RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
घूमते हुए हम लोग एक मॉल में गए.. और वहाँ पर रेस्टोरेन्ट में बैठ कर खाने का आर्डर दिया।
मैं और महमूद आमने-सामने बैठे थे, महमूद के पीछे वाली टेबल पर एक हेण्डसम सा लड़का बैठा था। वह लड़का जब से बैठा था.. तभी से मुझे ही देखे जा रहा था।
मैंने उसकी तरफ गौर किया.. तो वह मुझे स्माइल और इशारा देने लगा। उसके इशारे पर मैं बस मुस्कुरा देती.. वह मेरे मुस्कुराने को मेरी रजामंदी समझ कर मुझे इशारे से मिलने को बोलकर एक तरफ चल दिया।
कुछ देर बाद मैंने गौर किया तो पाया कि मेरा आर्डर का टोकन नम्बर 543 था और जो नम्बर चल रहा था.. वह अभी 535 था.. इसका मतलब डिनर आने में करीब 20 मिनट लगने वाला था, तो मैं बाथरूम के बहाने महमूद से बोल कर चल दी।
मैं उसी ओर गई जिस तरफ वो गया था। वह ऊपर जाने वाली सीढ़ी के पास था। मुझे देखकर वह इशारा करके सीढ़ियाँ चढ़ने लगा और मैं उसके पीछे-पीछे चल दी। वो जिस सीढ़ी से चढ़ रहा था.. वह बैक साईड की सीढ़ी थी.. वो लड़का चौथे फ्लोर पर जाकर रूक गया। वहाँ के बाद ऊपर जाने का रास्ता बन्द था और अंधेरा भी था।
मेरे पहुँचते ही उसने मुझे अपने पास खींच लिया, मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर किस करने लगा।
मैं उससे छूटने को छटपटा रही थी.. पर वह एक ढीट लड़का था.. उसने सीधे मेरी बुर पर हाथ ले जाकर मेरी बुर को दबा दिया और एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
पता नहीं.. कब उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था।
साले का लण्ड बेलन की तरह गोल था।
उसका लण्ड हाथ में आते ही मेरा मन उससे खेलने को करने लगा और मैं उसके लण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
उसने इसे मेरी रजामंदी मानकर मेरे होंठों को छोड़ कर मुझे नीचे बैठाकर अपना लण्ड मेरे मुँह में भर दिया.. और मैं भी ‘लपालप’ लण्ड चूसने चाटने लगी।
मैं चाह रही थी कि जल्दी से उसके लण्ड का पानी निकले और मैं चाटकर साफ करके नीचे जाऊँ.. कहीं देर न हो जाए।
वह लड़का भी ‘गपागप’ लण्ड मेरे मुँह में पेले जा रहा था। कुछ देर की चुसाई के बाद उसने मुझे उठाकर झुका दिया और मेरी छोटी सी स्कर्ट को ऊपर करके मेरी पैन्टी को खींचकर नीचे करके मेरी चूत को मुँह में लेकर चाटने लगा। वह जीभ लपलपा कर चाटता रहा।
मैं बोली- जो करना बे.. जल्दी कर.. मुझे देर हो रही है।
अभी मैं कुछ समझती.. उस लड़के ने तुरन्त चूत पीना छोड़कर अपने लण्ड को मेरी प्यासी बुर पर लगा दिया और एक जोरदार झटका लगाकर पूरा लण्ड एक ही बार में अन्दर डाल दिया।
अब उसने मेरी कमर पकड़ कर बिना रूके झटके पर झटका लगाते हुए मेरी बुर ऐसी-तैसी करते हुए मेरी चुदाई करने लगा।
उसके हर धक्के से मेरे मुँह से ‘ऊऊ..न.. आह.. आहहह हईईई.. आहई..ऊऊऊऊऊ’ निकलती।
मैं देश दुनिया से बेखबर बुर चुदाती रही ताबड़तोड़ चुदाई से मेरी बुर पानी छोड़ रही थी। तभी उसका लण्ड मेरी चूत में वीर्य की बौछार करने लगा। मैं असीम आनन्द में आँखें बंद करके बुर को बाबूराव पर दबाकर उसके गरम वीर्य को बुर में लेने लगी।
तभी उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। सट.. की आवाज करता लण्ड बाहर था.. और मैं खड़ी होती… इससे पहले वह गायब हो गया।
मैं भी नीचे बाथरूम में जाकर चूत साफ करके मेकअप आदि ठीक करके बाहर आकर महमूद के पास बैठ गई। देखा कि डिनर भी आ चुका था। अब लण्ड खाने के बाद भूख भी जोरों से लगती है न..
डिनर करने के बाद हम लोग सीधे कमरे पर पहुँचे और महमूद ने मुझे उसी ड्रेस में रहने को बोला.. जिस ड्रेस में मैं थी।
मैं सोफे पर बैठ गई.. मेरे पास ही महमूद भी बैठकर मेरी जांघ सहलाते हुए बात करने लगे।
‘डॉली.. आज जो लड़का आ रहा है.. दीपक राना.. वो बहुत ही मस्त कद-काठी का है.. तुम देखोगी तो तेरी बुर पानी छोड़ने लगेगी.. और मैं जो ड्रिंक लेने को बोल रहा था.. वो इसलिए कि दीपक राना का लण्ड एक सामान्य लण्ड नहीं है.. जैसा कि तुमको आज तक मिला होगा और तुम चूत में ले चुकी होगी। तुम्हारी जानकारी के लिए बता रहा हूँ.. अगर तुम सब बात जानकर मना करोगी दीपक राना से चुदने के लिए.. तो मैं दीपक राना को नहीं बुलाऊँगा..
आज तक तुम बहुत मोटे लण्ड से चूत मरवाई होगी.. पर दीपक राना का लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा लण्ड कहना गुनाह है। दीपक के लण्ड की तुलना घोड़े के लण्ड से कर सकती हो। एक बात और जो है कि दीपक का लण्ड सुसुप्त अवस्था में भी बहुत मोटा रहता है.. जब तुम दीपक के लण्ड से बहुत खुल कर खेलोगी.. तब जाकर कहीं वह चुदाई के लिए तैयार होता है। मैं इसलिए भी बता रहा हूँ क्योंकि उसके लण्ड को देखकर लड़कियाँ चुदने से मना कर देती हैं। इसलिए बेचारे के मन से सेक्स की फीलींग ही समाप्त सी हो गई है.. बहुत जगाने पर दीपक का लण्ड बुर चोदने को तैयार होता है। मैं चाहता हूँ कि तुम मना मत करना.. मैं उसके लण्ड को तेरी बुर में देखना चाहता हूँ।’
मेरे मन में भी दीपक राना के विषय में सुनकर उसके लण्ड को देखने की इच्छा जाग उठी थी, मैं भी ऐसे अदभुत लण्ड को देखना और ट्राई करना चाहती थी।
उधर महमूद ने एक अंग्रेजी शराब की बोतल खोल कर दो पैग बना दिए।
मैं बोली- महमूद.. मैं होश में दीपक का लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ.. नशे में मजा नहीं आएगा।
पर महमूद ने कहा- नहीं रानी.. मेरी बात मानो.. तुम होश में अगर दीपक राना का लण्ड देख लोगी.. तो तुम्हारी चूत मैदान छोड़ कर भाग जाएगी.. इसलिए तुम्हारा पीना जरूरी है।
और उसने मेरी तरफ पैग बढ़ा दिया।
मैं भी पैग उठाकर एक ही बार में पी गई.. मैंने करीब तीन-चार पैग गले से उतार लिए.. पहला पैग लेने में थोड़ी दिक्कत हुई.. फिर तो पीने में मजा आने लगा, महमूद पैग देते गए.. मैं पीती गई और मैं नशे में अपनी बुर सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी।
तभी बेल बजी.. महमूद ने जाकर दरवाजा खोला और किसी को अन्दर लेकर आए और उसे मेरी बगल में बैठा दिया।
उस लड़के का जिस्म मजबूत कद-काठी का था।
मैं तो पहले ही नशे की हालत में होश खो बैठी थी। उस पर उस लड़के का जिस्म.. मेरी चूत की आग को नशा और भड़काने लगा।
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