RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
महमूद मुझे चिढ़ाते हुए अपने लण्ड को मेरी गाण्ड की दरार से सटाकर मेरी गुदा के छेद को रगड़ने लगे। महमूद के ऐसा करने से तो मेरी चुदने के इच्छा और भी तेज हो गई और मैं महमूद से अपनी बुर चुदवाने के लिए मनौती करने लगी।
मेरी मनुहार से महमूद को शायद मेरे ऊपर दया आ गई, महमूद मुझे चूमते हुए मेरी नाभि से होते हुए मेरी योनि प्रदेश को चूमने और चाटने लगा, मैं चूत उठा-उठा कर महमूद से बुर चुसवाने लगी।
मेरी बुर तो चुदने के लिए तड़प रही थी, महमूद के चुसाई से भरभरा गई पूरी बुर एकदम पकोड़ा सी फूल चुकी थी और चुसाई से राहत के बजाए बुर को अतिशीघ्र चुदाई की चाहत होने लगी।
तभी महमूद ने मेरी बुर को पीना छोड़ कर मेरे होंठों को चूसते हुए अपने लण्ड को मेरी बुर पर लगा कर हलका सा दबाव देकर सुपारे को अन्दर ठेल दिया।
‘आहहह.. सीसीसी.. ईईई.. आह..’ और मैं महमूद के सीने से लिपट गई।
तभी महमूद ने एक जोर का शॉट मेरी बुर पर लगा दिया।
‘आआ.. उइइइ… सीआह..’ की आवाज के साथ महमूद का पूरा लण्ड मेरी बुर में समा गया।
महमूद एक ही सांस में गचागच लण्ड बुर में डुबोने लगा और मैं चूतड़ों को उछाल-उछाल कर बुर में लण्ड लेने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। महमूद भी मेरी बुर को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। पूरी लय-ताल से मेरी बुर की चुदाई करते हुए मेरी और मेरे चूत की तारीफ के साथ मेरी बुर का भोसड़ा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।
मेरी बुर भी महमूद के हर शॉट पर फूलती जा रही थी और साथ में पानी छोड़ कर लण्ड को बुर में लेने का कोई कसर नहीं छोड़ रही थी।
मैं मस्ती के आलम में आँखें बंद किए हुए बस बुर को उछाल कर लण्ड खाती रही।
ना जाने कैसे बूढ़े में इतनी ताकत आ गई थी.. वो मेरी बुर की धुनाई करते जा रहा था और मैं भी एक इन्च बिना पीछे रहे बुर मराती जा रही थी।
तभी महमूद ने गति तेज कर दी और ताबड़तोड़ मेरी बुर पर झटकों की बौछार करने लगा।
मैं लण्ड की लगातार मार से मेरी चूत झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी ‘आह..सी.. और पेलो.. और मारो.. निकाल दो.. मेरी चूत की सारी गरमी.. आहह.. सीई.. आह.. ऐसे ही चोदो.. मेरे सनम.. और डालो मेरी बुर में.. लण्ड आहह.. सीई.. मैं गई रे.. आह.. आह.. उई.. चली गई.. आह.. सीसी..’
और मैं महमूद से लिपट कर बुर का पानी निकालने लगी.. पर महमूद अभी भी शॉट लगा रहा था और झड़ती बुर पर शॉट पाकर मेरी बुर का पूरा पानी निकल गया। मेरी पकड़ ढीली पड़ गई।
इधर महमूद अभी भी धक्के लगाए जा रहा था। मेरे झड़ने के 5 मिनट की चुदाई के बाद महमूद ने भी मेरी बुर में अपना पानी डाल दिया और वो शान्त हो गया.. चुदाई का तूफान भी थम गया था।
चूत और लण्ड कि लड़ाई और वासना के खेल शान्त हो चुका था और महमूद अभी मेरी चूत पर ही लदे थे कि तभी बेल बज उठी।
मैंने महमूद की तरफ देखा.. महमूद भी झुंझलाते हुए बुदबुदाए- कौन है?
यह कहते हुए वीर्य से सनी बुर से अपना लण्ड खींचकर तौलिया लपेट कर दरवाजे की तरफ बढ़े और मैंने वैसे ही अपने नंगे बदन को ढकने के लिए एक चादर खींच कर अपने जिस्म पर डाल ली।
तभी महमूद ने दरवाजा खोला तो सामने जय थे।
‘ओह जय भाई, आप..!’
‘जी महमूद भाई.. मैं हूँ.. कहीं गलत वक्त पर एंट्री तो नहीं मार दिया हूँ?’
‘थोड़ा और पहले आते तो जरूर आने की शिकायत करता..’
जय और महमूद दोनों लोग आकर बिस्तर पर बैठ गए।
जय महमूद को और मुझे देख कर सब समझ गया था कि अभी अभी यहाँ चूत और लन्ड से चुदाई करके वासना का खेल खेला गया है।
उसी समय महमूद बाथरूम चले गए और तभी जय ने मेरे चादर के अन्दर हाथ डाल कर मेरी बुर को सहलाने के लिए ज्यों ही अपना हाथ मेरी चूत पर रखा.. वैसे ही मुस्कुरा दिया क्योंकि जय का हाथ मेरे रज और महमूद के वीर्य से सन गया था।
उसी वक्त महमूद बाथरूम से बाहर आए और जय ने हाथ बाहर खींच लिया।
महमूद बोले- कैसे आना हुआ जय जी?
‘वही.. महमूद भाई.. अगर आप की इजाजत हो तो डॉली को ले जाता..’
महमूद ने कहा- जय भाई मन तो नहीं भरा है.. वैसे आप की इच्छा.. मैं तो चाह रहा था कि आज की रात डॉली जी की चूत और चोदता और चुदते देखता.. अगर आप चाहो तो कुछ और दे दूँ?
अभी जय कुछ कहते.. महमूद ने 100 के नोटों की एक गड्डी फेंक दी।
जय बिना मुझसे पूछे.. बोले- जब तक आप की इच्छा हो.. आप डॉली जी के जिस्म को भोग सकते हैं।
और जय मुझे एक बार फिर महमूद के लण्ड की शोभा बनने के लिए छोड़ कर चले गए।
मैं बिस्तर पर चूत में महमूद के वीर्य को लिए हुए बस जय को जाते हुए देखती रही। जय के कमरे से जाते ही महमूद दरवाजा बन्द करके मेरे पास आकर बोले- डार्लिंग तुम और तुम्हारी चूत मेरे को भा गई है।
अभी महमूद कुछ और कहते.. मैंने कहा- आपने जय से कहा कि डॉली की चूत और चोदता.. पर आप एक चीज और बोले थे कि चुदते हुए देखता.. इसका मतलब नहीं समझी.. यह कैसे सम्भव है?
महमूद मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रहे थे.. पर बोले कुछ नहीं और मोबाइल से किसी को फोन करने लगे। मैं बस चुप होकर महमूद की बात सुनने लगी।
उधर किसी ने ‘हैलो’ कहा.. महमूद ने भी हैलो कहकर बोला- अरे भाई, मैं महमूद बोल रहा हूँ..
और हालचाल के बाद जो महमूद ने उससे कहा उसे मैं सुनकर सन्न रह गई।
उधर वाले ने भी शायद महमूद को कुछ बोलकर फोन रख दिया।
मैं बोली- यह आप किससे बात कर रहे थे और मेरी चूत को चुदने के लिए उससे क्यों कह रहे थे?
महमूद बोले- डॉली जी मेरा शौक है.. मैं जहाँ भी जाता हूँ.. मुझे एक ‘चुदक्कड़’ लड़की चाहिए होती है और उसे चोदने के बाद मुझे उसे चुदते देखने का भी शौक है और इसी तरह मैं जिस भी शहर में जाता हूँ.. वहाँ एक लड़के को रखता हूँ।
यहाँ भी मेरा लड़का है.. दीपक राना.. उसी से बात कर रहा था। तुम्हारी चुदाई के लिए वह आ रहा है। उसे मैंने 10.30 रात तक आने को कहा है।
आज मैं दीपक राना का लण्ड पकड़ कर तेरी चूत में डाल दूँगा और जब दीपक राना तेरी चुदाई करेगा.. मैं तेरी चूचियां मीसूंगा और तेरी चुदती बुर का पानी चाटूगा..
एक काम करो डॉली.. तुम बाथरूम जाकर अच्छी तरह फ्रेश हो लो और चलो कहीं घूम कर आते हैं.. और बाहर ही डिनर कर लिया जाएगा.. ताकि बस रात को तेरी चुदाई इत्मीनान से देख सकूँ। रानी तू ड्रिंक करती है..?
मैंने ‘ना’ में सर हिलाया..
‘लेकिन डॉली रानी.. आज तुमको मेरी खातिर पीना पड़ेगा.. प्लीज ‘ना’ मत कहना.. नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा..’
मैं बोली- महमूद.. यार मैंने कभी पी नहीं है.. और आपके कहने पर अगर पी ली.. तो मैं नशे में हो जाऊँगी.. और फिर मैं खुल कर साथ नहीं दे पाई तो?
महमूद ने कहा- कुछ नहीं होगा.. तुमको पीना पड़ेगा.. मेरी कसम है तुझे..
मैं फिर कुछ नहीं बोली और सीधे बाथरूम में चली गई, फ्रेश होकर मैंने चार्ली के द्वारा दी गई ड्रेस पहन ली.. जो कि एक शार्ट स्कर्ट था और ऊपर का बिना बाजू का एक हॉट सा दिखने वाला टॉप पहन कर तैयार हो गई।
महमूद ने जब मुझे देखा.. तो वो मुझे देखता ही रह गया और बोला- वाहह.. क्या मस्त माल लग रही है मेरी जान..
मैं मुस्कुरा दी।
और फिर हम लोग घूमने निकल गए।
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