RE: Porn Chudai Kahani तीन देवियाँ
तीन देवियाँ पार्ट -3
गतान्क से आगे..................
थोड़ी देर के बाद दोनो फिर से एक दूसरे के साथ लेट गये और चूमने लगे. शालु तो कुछ ज़ियादा ही सेक्सी हो गई थी 2 – 3 मिनिट के अंदर ही उस्मै जोश भर गया और वो अनु की चुचिओ को चूसने लगी और अनु की चूत को अपनी हथेली से मसाज करने लगी और अनु भी शालु की चूत का मसाज करने लगी. अब शालु अनु के ऊपेर चढ़ के पलट गई और फिर से वो दोनो 69 की पोज़िशन मे आ गये. शालु ऊपेर थी और अनु नीचे दोनो के घुटने मुड़े हुए थे और एक दूसरे की चूतो को चाटने लगी और एक दूसरे की चुचिओ को मसल्ने लगी. शालु अपनी गंद उठे उठा के अनु के मूह पे अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से पटक रही थी वो तो जोश मे दीवानी हो गई थी अनु के दाँत शालु के क्लाइटॉरिस से लगते तो वो मज़े से सिसकारिया निकालती. अभी यह दोनो मस्ती मे आ के ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूतो को चाट रही थी और शाएद झड़ने के कगार पे थी उसी टाइम पे दरवाज़ा धीरे से खुला और ऋतु कमरे मे अंदर आ गई. एक मिनिट के लिए तो शालु आंड अनु दोनो चोंक गये पर ऋतु को देख कर मुस्कुराने लगे. कमरे का दरवाज़ा शाएद ऋतु के लिए ही खुला छोड़ा था. ऋतु ने अंदर आ के कमरा अंदर से लॉक कर दिया और जल्दी से अपने कपड़े उतार ने लगी इतनी देर मे वो दोनो एक दूसरे से लिपटे काँपने लगे और झड़ने लगे. कुछ ही देर मे दोनो के बदन ढीले पड़ गये और शालु ऊपेर से स्लिप हो के नीचे लेट गई.
ऋतु शाएद मोम के पैर दबा के उनके सोने का वेट कर रही थी और जब पक्का यकीन हो गया के दोनो सो गये है तो वो ऊपेर आ गई. इतनी देर से ऋतु को शुवर पता होगा के ऊपेर क्या हो रहा है और शाएद उसका सारा ध्यान शालु और अनु के नंगे बदन पे था इसी लिए दोनो के सोते ही वो दबे पाँव ऊपेर आ गई और कमरे मे घुस गई और आते ही अंदर से बंद कर दिया और अपने सारे कपड़े उतार के नंगी हो गई.
ऋतु फुल मस्ती मे आ गई थी और अपने कपड़े निकाल के नंगी हो चुकी थी और अपनी चूत को अपने हाथ से रगड़ते हुए दोनो को ऐसे देख रही थी जैसे कोई भूकि शेरनी अपने शिकार को देखती है. देखते ही देखते ऋतु बेड के ऊपेर आ के शालु और अनु के
बीचे मे घुटने मोड़ के बैठ गई और अपने दोनो हाथो से दोनो की चुचिओ को मसल्ने लगी अनु और शालु ने भी अपने अपने एक एक हाथ बढ़ा के ऋतु की दोनो चोचिओ को पकड़ लिया और दबाने लगी और उसके निपल्स को काटने लगी. ऋतु पूछने लगी के कितने राउंड हो गये है दीदी ? तो शालु हस्ते हुए बोली के अभी तो सिर्फ़ 2 राउंड ही हुए है और अभी तो सारी रात पड़ी है और अब तू भी आ गई है तो सारी रात राउंड ही चलते रहेंगे और तीनो मिल के हस्ने लगी. अनु अपनी जगह से उठ गई और ऋतु को वाहा लिटा दिया और बोली के मुझे ऋतु की रसीली चूत बोहोत पसंद है और यह कहते हुए वो ऋतु की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे पेट के बल लेट गई और उसकी चूत को किस करने लगी. अनु का मूह उसकी चूत पे लगते ही ऋतु मस्ती मे पागल हो गई और अपने पैर घुटने से मोड़ के अनु का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया और अपनी गंद उठा के अनु के मूह से रगड़ने लगी. ऋतु इतनी गरम हो गई थी के वो अनु का मूह अपनी चूत मे फील करते ही झड़ने लगी. इतने मे शालु अपनी जगह से उठ के ऋतु के सर के दोनो तरफ अपने घुटने मोड़ के उसके मूह पे अपनी चूत रख के बैठ गई और ऋतु शालु की चूत को ऐसे चूसने और काटने लगी जैसे चूत की भूकी हो. अब शालु घुटनो के बल हाफ उठ गई और अपने दोनो हाथ आगे को कर के ऑलमोस्ट लेट गई और अपनी गंद उठा उठा के चूत को ऋतु के मूह पे ऐसे मारने लगी जैसे चोद रही हो. अब पोज़िशन ऐसी थी के ऋतु पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनो खुली हुई टाँगो के बीच मे अनु लेट के ऋतु की मक्खन जैसी चिकनी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी और शालु ऋतु के मूह पे उल्टा लेटी अपनी गंद उठा उठा के ऋतु के मूह को चोद रही थी. ऋतु अपनी उंगली शालु की चूत मे डाल के वाहा से उसका रस्स निकाल के शालु की गंद मे लगा दिया और अपनी उंगली शालु की गंद मे घुसेड़ने लगी जिस से शालु का जोश और बढ़ गया. इतने मे ऋतु के मूह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी और बोल रही थी आआआआआअहह डीईएद्द्दीईईईईईईई खाआअ जाऊओ आआहह काआआत्त्त्त डाआआआआलो मेर्र्रिईईईईईई कक्चूऊऊऊथततटतत्त ककककूऊऊऊओ आऐईईसस्स्स्स्सीईईई ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईईईईई आआआआअग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्
ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और अपनी गंद उठा के ज़ोर ज़ोर से अनु के मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी और अपने दोनो हाथो से शालु की कमर को पकड़ा हुआ था और ऋतु का बदन काँपने लगा और वो फिर से झड़ने लगी. अनु उसकी चूत का सारा रस्स पी गई और बॅस उतने मे ही शालु चिल्लाने लगी काआआआआत्त्त्त्त्त्त दाआल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ऱीइत्त्त्त्त्त्त्त्तुउउउउउउउउउउउउउउउउ क्क्हाआआआआअ ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआाआअ मेररीईईईईईईईईईईई कककककककचूऊऊऊऊऊऊऊऊथततटटटटटटटटटटतत्त ऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई म्माआआआआआआआआअ
ऊऊऊऊओिईईईई ऱीईईत्त्त्तुउउउउउउउउउउउउउउउउउ मैईईईईईईईईईई आआआ र्र्राआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईइ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हुउउउउउउउउउउउउउउउउउउ आआआआआहह और शालु का बदन भी काँपने लगा और वो भी झड़ने लगी. शालु और ऋतु दोनो झाड़ के शांत हो चुके थे.
थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे फिर तीनो बेड पे एक साथ लेट गये ऋतु को बीच मे लिटा दिया और एक तरफ अनु और दूसरी तरफ शालु थी एक दूसरे से चिपके हुए थे उनके कमरे से तीनो की चूतो से निकले हुए रस्स की मधुर सुगंध आ रही थी और मेरे लंड को दीवाना बना रही थी. मैं ने महसूस किया के मेरे लंड से बिना मूठ मारे के मलाई की गाढ़ी गाढ़ी पिचकारियाँ निकल रही है और उड़ उड़ के दीवार पे गिर रही है.
घड़ी देखी तो रात के 3 बज रहे थे. कमरे मे अनु और शालु तो नंगे ही गहरी नींद सो गये पर ऋतु को नीचे सोना था इसी लिए वो अपनी जगह से उठ गई और दोनो के नंगे बदन पे एक एक शॉल डाल के अपने कपड़े पहेन के नीचे उतर गई. मैं भी अपनी जगह से हट गया और चेक कर लिया के सारा वीडियो और पिक्चर्स बोहोत ही अछी तरह से रेकॉर्ड हुई थी. मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ गई और एक प्लान बना ने लगा और फिर पता नही चला के मैं कब सो गया.
सुबह को ब्रेकफास्ट की टेबल पे अनु और शालु ऐसे पोज़ कर रही थी जैसे रात उनके बीच कुछ हुआ ही नही और वो ऐसे अपनी पढ़ाई की बातें कर रही थी जैसे सारी रात पढ़ाई कर रही हो. मैं दिल ही दिल मे मुस्कुराने लगा और उनकी आक्टिंग की दाद देने लगा के दोनो बड़ी ज़बरदस्त आक्टर्स है. इसी तरह से दिन बीत ते गये, कभी अनु और ऋतु तो कभी अनु, शालु और ऋतु अपने अपने चूत चटाई के खेल मे लगे रहे. और मेरे पास वीडियोस और पिक्चर्स का अछा ख़ासा स्टॉक जमा हो गया. कुछ दीनो बाद अनु के एग्ज़ॅम्स शुरू भी हो गये और ख़तम भी हो गये. मुझे पता चला के अनु एक वीक के अंदर अपने मम्मी और डॅडी के पास छुट्टियो मे चली जाएगी तो मैं सोचने लगा के मुझे उसके जाने से पहले ही कुछ करना होगा जिसका चान्स मैं ने एक दिन पा ही लिया.
हुआ ऐसे के उस रात मेरे मम्मी और डॅडी आस यूषुयल खाना खा के सो गये. ऋतु मेरे मम्मी के टाँगें दबाने के बाद मम्मी के सोने का वेट करती रही और उनके सो जाने के बाद हमेशा की तरह दबे पाँव ऊपेर आ गई और अनु के कमरे मे घुस के अंदर से डोर लॉक कर लिया. मैं तो अनु को चोदने की
प्लॅनिंग करते हुए जाग ही रहा था. इतने दीनो मे मैं ने बीच की विंडो को ऐसे अड्जस्ट कर लिया था के मुझे उनके रूम का एक एक भाग अछी तरह से सॉफ नज़र आए.
|