RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
रणबीर ने मधुलिका की पीठ पर हाथ रख रखा था और रणबीर उसे उसी तरह चिपकाए हुए आगे बढ़ा और कमरे की बाल्कनी की तरफ खुलने वाला दरवाज़ा खोल दिया. दरवाज़ा खुलते ही कमरे मे रोशनी भी हो गयी और बाहर बारिश का बड़ा ही मनोरम दृश्या था.
दोनो घोड़े भी डाक बुंगलोव के नीचे आ गये थे. कमरे मे कार्पेट बीछा हुआ था. दीवारों पर बड़ी बड़ी तस्वीरें तंगी हुई थी, कई अलमारियाँ बनी हुई थी, दो बड़े बेड थे जिनके सर के तरफ गोल गोल करके रखे हुए बिस्तर थे. एक तरफ सोफा सेट और कुछ मेजें पड़ी हुई थी.
"वाह कितने ठाट बाट से भरा हुआ कमरा है ये. मेरा बस चले तो हवेली छोड़ इससे मे आ जाउ. जहाँ तुम हो, घुड़सवारी सीखना, निशाने बाज़ी सीखना और अकेले रहना." मधुलिका ने कहा.
"अभी तक जीप नही आई." रणबीर ने बाहर देखते हुए कहा.
"वह अपने टाइम पर आज्एगी और अभी तो डेढ़ घंटे से ज़्यादा पड़ा है. मेने ड्राइवर से कह दिया था की चाहे बरसात आए या कुछ और आए.. रणबीर में थक गयी हूँ , यह बिस्तर खोल कर बिछा दो."रणबीर ने झट बिस्तर खोल कर बिछा दिया और मधुलिका पट लेट कर पसर गयी.
"मधुलीकाजी आप इस समय बहोत ही सुन्दर लग रही है.,"
"वो तो है तभी तो तुम मुझे घूर घूर कर देख रहे हो." तभी मधुलिका ने एक झटके से रणबीर को खेंच लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख एक तगड़ा चुंबन ले लिया.
मधुलिका हाँप रही थी और उसने रणबीर को जाकड़ लिया. उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ रणबीर की छाती से रगड़ खा रही थी.
"रणबीर मुझे प्यार करो ना. तुम मुझे अच्छे लगते हो. में तुम्हे चाहने लगी हूँ."
"पर बेबी,...... मधुलीकाजी .... यहाँ यदि किसी को मालूम पड़ गया तो ठाकुर साब मेरी खाल उतरवा लेंगे."
"उस खुल दरवाजे से किसी के भी आने का हमे मालूम पड़ जाएगा पर इस अंधेरे मे हमें कोई नही देख पाएगा." ये कहकर मधुलिका ने रणबीर को और जाकड़ लिया और उसके गालों का, होठों का चुंबन लेने लगी.
इधर रणबीर का भी बुरा हाल था, कयि दिन का प्यासा लंड पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था. उसने मधुलिका के होंठ अपने होठों मे ले लिए और उन्हे चूसने लगा. उसके हाथ कठोर चुचियों पर कस गये. उसने उसके खुले गले के जॅकेट को खोलना शुरू किया और अब ब्रा मे क़ैद मधुलिका के मस्त माममे उसके सामने तने हुए थे.
उधर मधुलिका भी कहाँ पीछे रहने वाली थी. उसने रणबीर को पॅंट और शर्ट से आज़ाद कर दिया. रणबीर ने मधुलिका के ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसकी एक मस्त चूची को मुँह मे ले चूसने लगा.
"ओह मेरे बाबा....मेरे प्यारे बच्चे ... चूसो... ओह्ह्ह्ह्ह हाआँ चूसूऊऊऊऊओ." मधुलिका सिसकियाँ भरने लगी और रणबीर के मुँह मे एक हाथ से अपनी चुचि पकड़ उसके मुँहमे ठेलते हुए चूसाने लगी.
रणबीर मधुलिका की पॅंट के बटन खोल चुका था और एक हाथ पॅंटी के उपर से अंदर डाल दिया. उसका हाथ मधुलिका के झाटों से भरी चूत से टकराया. वह गीली हो चुकी थी. रणबीर उसे मुट्ठी मे कस दबाने लगा. बीच बीच मे वह झाँटो पर हाथ भी घिस रहा था.
उधर मधुलिका ने भी रणबीर का लंड जंघीए से निकाल लिया था और उसे धीरे धीरे मुठियाने लगी.
"वाह मेरे बेबी का ये बेबा तो बड़ा लगता है. इतना बड़ा लटकाए फिरते हो और 10 दीनो से खाली घोड़ा चलाना सीखा रहे हो. अब में इसे भी चलौंगी." ये कह कर मधुलिका ने रणबीर का लंड मुँह मे लेना शुरू कर दिया.
पहले वह सूपाडे पर जीब फिराती रही फिर मुँह को गोल कर लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे धीरे धीरे मुँह मे अंदर तक लेने लग गयी.
"क्या करता ठाकुर साहब का हुकुम ही ऐसा था. सोचा तो कयि बार पर हिम्मत नही हुई. अब इस बेबी से में भी जी भर के खेलूँगा." रणबीर ने मधुलिका की चूत मे एक अंगुल पेलते हुए कहा.
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