RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --10end
गतान्क से आगे................
दीदी तो टीवी स्क्रीन की तरफ़ देख रही थी और राज उनके चेहरे की तरफ़ पर
दोनो रुक रुक कर बाते ज़रूर कर रहे थे..पता नही क्या बाते थी..पर दीदी की
बॉडी लॅंग्वेज बता रही थी कि वो बाते ज़रा कुछ हट कर थी. अब तक तो राज की
चाल काम कर रही थी..मैं वाकई राज की दाद दूँगा कि उसको लड़कियो को पटाना
अच्छी से आता था…मेरी दीदी जो उसको बिल्कुल भी पसंद नही करती थी उनको 15
मिनिट्स मे ही उसने अपने जाल मे फ़सा लिया था.(लग भग). मुझे अब उन्दोनो
के बीच क्या बाते हो रही है उनको सुनने के तलब हुई तो मैं कोई दूसरी जगह
तलाश करने लगा . मैं धीरे से उत्तर कर दूसरे रूम मे चला गया वाहा से मैं
उनको देख तो नही पा रहा था पर आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी.
.राज अंजलि दीदी से बोल रहा था " आपके बाल बहुत खूबसूरत है बिकुल आप की तरह "
दीदी मुस्कुराते हुए " अच्छा जी..लगता है तुम्हे मेरे बाल बहुत पसंद है"
राज " अरे मेरी पसंद ना पूछो मुझे तो और भी बहुत कुछ पसंद है ….."
दीदी: " अच्छा तो बताओ क्या क्या पसंद है"
राज: " आपके बाल..आपकी आँखे…आपके सेक्सी होठ….."
राज की आवाज़ से लग रहा था कि मानो उस पर नशा हो गया है. दोनो की आवाजो
का अगर अप कंपेरिषन करो तो सॉफ साफ पता चल रहा था कि राज की आवाज़
बिल्कुल आवारो जैसे और दीदी की एक पढ़ी लिखी लड़की जैसी .
तभी दीदी की धीरे से एक आवाज़ आई " ..आ..इषस्स्सस्स…इस्शह..आअह..राज मेरे
बालो को क्यो खोल रहे हो…"
"क्यू मेरे हाथो मे आकर क्या इनकी खोबसूरती कम हो गाएगी " तभी राजकी साँस
खिचने की आवाज़ आई शायद वो अंजलि के बालो से आती खुशुबू को सूंघ रहा था"
वाह क्या खुश्बू है"
मैं ये जान कर और ज़्यादा बेचैन हो गया कि वू दीदी के रेस्मी बालो को
ओपन्ली सूंघ रहा है. जबकि मैने इतने दिनो मे एक दो बार ही दीदी के रेशमी
बालो को छुआ था और वो सिर्फ़ 15 मिनट मे ही यहा तक पहोच गया.
" अच्छा एक बात पूछूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो" राज की आवाज़ मेरे कानो मे आई.
"ऐसा क्या पून्छोगे ..प्ल्स आहह..तुम मेरे बालो को इतना मत खिचो
दर्द..होता है..आह...."दीदी बोली
"साइज़ क्या है तेरे कबूतरो का" राज बोला
"क्या…कबूतर क्या" दीदी परेशान होते हुए बोली
यहा पर मैने ये गोर किया कि वो अब दीदी को " तू " ओर " तेरे " कह कर बुला
रहा था…कहा पहले वो आप आप कर कर बात कर रहा था और कहाँ अब "तू " …या तो
दीदी ने राज की इस बात पर ध्यान नही दिया..या फिर……
" तेरी चुचियो का साइज़ " राज बोला
"पागल हो गये हो क्या..मैं तुम्हारी बड़ी बहन की तारह हू..प्लीज़ बी इन
लिमिट..तुमने फ्रेंडशिप करने के लिए बोला है तो सिर्फ़ फ्रेंड ही बनो…. "
दीदी थोड़ा गुस्से से बोली.
"अरे ज़्यादा नाटक मट कर …मुझे पता है तेरा बदन चुदाई माँग रहा है" राज
भी थोड़ा कड़क होता हुआ बोला.
तभी कुछ कुछ गुथा गुथि सी हुई और दीदी की हल्की सिसकारी मेरे कानो मे
पड़ी. " आहह..इशह…छोड़ो मुझे"
मैं ये देखने के लिए पागल सा हो गया कि आख़िर हो क्या रहा है सो मैं वापस
पहले वाली जगह पर आ गया.
मैने देखा कि अंजलि दीदी सोफे की साइड मे खड़ी है और राज के हाथ से अपनी
टी-शर्ट का एक कोना छुड़ाने की कोशिस कर रही है . उनके लंबे बाल प्युरे
तारह से खुले हुए है..राज थोड़ा गुस्से मे लग रहा था और दीदी के चेहरे पर
डर साफ झलक रहा था.
तभी राज उठा और उसने दीदी को अपनी बाँहो मे भर लिया और ज़ोर से उनके होटो
को चूसने लगा..दीदी अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिस कर रही थी..राज तो
अंजलि दीदी के होटो को ऐसे चूस रहा था कि मानो उनको खा ही जाएगा..रह रह
कर वो दीदी की चूचियो को भी कस्स कस्स कर दबा रहा था…दीदी के मूह से आती
दर्द भरी आवाज़ ये बता रही थी कि राजके सख़्त पत्थर जैसे हाथ दीदी की तनी
हुई मुलायम चूचियो का बुरा हाल कर रहे है..तभी दीदी ने राज को एक तरफ़
धक्का दिया और वो भाग कर किचिन मे चली गयी पर राज कोई कच्चा खिलाड़ी तो
नही था वो लपक कर किचिन मे जा घुसा..एक्षसितेंन्ट तो मुझे भी बहुत हो गयी
थी ..पर राज का ये रवैया देख मुझे डर भिलगने लगा था. अंदर किचिन से
बर्तनो के गिरने की आवाजो के साथ साथ दीदी की सिसकारिया भी आ रही
थी.."आहह…राज….प्ल्स छोड़ो मुझे..आहही…इश्ह्ह…मा…इतनी ज़ोर से मत
दबाओ…..प्लस्सस्स्मुझे…इस्शह…आ.
ममीईई….."दीदी के रोने की आवाज़े मुझे
परेशान कर रही थी..आख़िर वो मेरी बड़ी बेहन ही तो थी कोई अजानी नही और आज
राजमेरे होते हुए भी उनका बलात्कार करने की कोशिस कर रहा था..अब मेरा मन
मुझे धिक्कार रहा था…मन से सिर्फ़ ये ही आवाज़ आ रही थी कि अपनी बड़ी
बेहन को बचा उस दरिंदे से ..अनुज …कही ऐसा ना हो की तू अपनी नज़रो मे ही
गिर जाय " ये आवाज़े मेरे दिल के अंदर से आ रही थी..समय बीतता जा रहा था
.फिर वो वक्त आया जब मैं सीधा भागता हुआ नीचे किचिन की तरफ़ गया ..अंदर
जाते ही मैने देखा कि राज ने दीदी को पीछे से पकड़ा हुआ है और दीदी का
पाजामा और उनकी पॅंटी उनके पेरो मे फसी है और दीदी की टी-शर्ट दूर किचिन
के फर्श पर फटी हुई पड़ी है..दीदी का रो रो कर बुरा हाल था और राज अपना
लंड पीछे से दीदी की छूट पर लगा रहा था.तभी उन्दोनो की नज़र किचिन के गेट
पर खड़े मुझ पर पड़ी . मुझे देखते ही राज ज़ोर से बोला
" देख आज अपनी जवान बहन का बलात्कार ..आज इसको मैं अपनी रंडी बना कर रहूँगा…."
दीदी लाचार नज़रो से मुझे देख रही थी. और उनकी खोबसुर्रत आँखो से निकलते
आँसू मानो मुझे बोल रहे हो कि अनुज अब क्या सोच रहा है..बचा अपने बड़ी
बहन को ..मार डाल इस हरामी को.
"राज …छोड़ मेरी दीदी को.." मैं ज़ोर से गरजा ना जाने मुझ मे इतनी जान
कहा से आ गयी थी.
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