RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजान रास्ता-9
गतान्क से आगे................
ऐसे ही दिन बीतने लगे और मेरे अंदर का शैतान हर बीतते दिन और ज़्यादा प्रबल होता गया. एक दिन मैं साइबर केफे मे बैठा सेक्सी क्लिप्स देखने मे मग्न था. तभी अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा .
“अच्छा बेटा अकेले अकेले…” एक आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. डर से तो मेरे होश ही उड़ गये थे .मेने झाट से उपर देखा तो पाया कि वो राज था. मैं हिचकिचा गया पर शर्म से मेने उसको कुछ नही बोला. राज दोसरा स्टोल ले कर मेरे साइड मे बैठ गया और कंप्यूटर स्क्रीन को घूर्ने लगा.
“अरे अपने गुरु से क्यो शर्मा रहा है ,……भूल गया मेने ही तो तुझे इन चीज़ो के बारे मे बताया था….पर मुझे तुझसे एक शिकायत है” राज बोला
“क..क्या शिकायत है बोल” मैं हकलाते हुए बोला.
राज की हर्कतो से मुझे अब उससे नफ़रत सी हो गयी थी. उसके इन गंदे रवैये से स्कूल मे उसका सेक्षन भी चेंज हो गया था. इसलिए मेरी और उसकी मुलाकात कम हीहोती थी.
“आबे साले फ्री मे गुरु की दीक्षा ले ली तूने….गुरु दाक्षिणा भी तो दे” राज अपना लंड को पॅंट के उपर से खुजलाता हुआ बोला.
मेने कोई जवाब नही दिया.तभी उसने मेरे हाथो से माउस लिया और कोई सेक्स वेबसाइट खोल कर वाहा एक क्लिप पर क्लिक कर दिया. थोड़ी ही देर मे क्लिप चालू हो गयी..ये ठीक वैसी ही क्लिप थी जैसी मुझे पसंद थी ..यानी इसमे एक जवान लड़की एक उसी की उमर की जवान लड़की से घोड़ी बनी चुद रही थी..
मेरा लंड खड़ा होने लगा. राज ये सब देख कर खुश हुआ और बोला” देख क्या मस्त लड़की है..”
“ देख बेहन चोद कैसे रंडी बन कर चुद रही है…” ये कहते हुए अचानक उसने अपना सीधा हाथ मेरी लेफ्ट थाइ पर रख दिया . मेने उसका हाथ हटाने की कोशिस की पर उसने हाथ नही हटाया . “ साली की हिलती हुई चूचिया देख …कितनी गोल गोल है ..पता है किसकी तरह लग रही है….”
पता नही पर राज के हाथो को धीरे धीरे मेरी जाँघो को सहलाने से मुझे मानो नशा सा हो गया था. औ उसी नशे मे मेरे मूह से यकायक निकल गया; “ ..कि..किसकी ..तारह….लगती है..”
“ तेरी बड़ी बहन अंजली के तारह…..उसकी भी ऐसी ही होंगी नाअ…वो भी तो ऐसी ही दिखती होगी नंगी हो कर..है ना…..बोल बेहन चोद” राज मेरे चेहरे के भाव को पढ़ता हुआ बोला.
अपवी दीदी का नाम सुनते ही मुझे ना जाने क्यो एक करेंट सा लगा.पर राज ने तो ना जाने क्या मुझ पर जादू ही कर दिया था…
“ उस लड़के का लंड देख ..मेरे लंड जैसा लग रहा है ना….” अब राज का दोसरा हाथ अपनी पॅंट मे खड़े हो चुके लंड को मसल रहा था.
“सोच वो लड़का मैं हू और वो लड़की तेरी बहन …आह…देख कैसे चोद रहा हू मैं तेरी बहन को…तेरे सामने..” उसी के साथ राज ने मेरे अब तक खड़े हो चुके लंड को अपने मूठ मे भर कर दबाया और बोला.” बोल देखना चाहता है अपनी बहन को मुझसे चुदते हुए..आहह..बोल….बहन चोद…आहह” दोस्तो उस वक्त मे इतना एग्ज़ाइटेड हो चुका था के मेरे मूह से जोश मे निकल गया. “हा…हा..मैं दे..देखना चाहता हू..” मैं मस्ती मे बहकता हुआ बोला.
“ देगा ना अपनी बेहन की कुँवारी चूत मुझे गुरु दक्षिणा मे..”
“हा…दूँगा..आह…अहीश्ह…”मैने जैसे हे ऐसे बोला राज ने मेरे लंड को इतनी ज़ोर से दबाया के उसमे से पानी निकल गया ..जिस तारह से राज ने ये बाते बोली थी उस एक्सिटमेंट मे मैं साइबर केफे मे ही बैठे बैठे झाड़ गया था.
करीब 5 मिनट तक मे पीछे दीवार से सर लगाए बैठा रहा और इस दोरान राज ने कुछ और क्लिप्स देखी और मुझे भी देखाई.
“ तेरे घर पर कंप्यूटर है ना..” राज ख़तम हो चुकी क्लिप को बंद करता हुआ बोला.
“हा है..पर उसमे नेट नही है” मेरी नज़र अब भी स्क्रीन पर आती नगी लड़कियो की पिक्स पर थी.
“तो बता कहा चोदू उसे..एक काम कर क्या तू उसको हमारे दूसरे घर पर ला सकता है”
“नही…नही…..मैं तुम्हे बता दूँगा बाद मे फोन कर के.”
हमारी बाते चल ही रही थी कि साइबर केफे मे लाइट चली गयी और कंप्यूटर्स बंद हो गये . फिर हम दोनो वाहा से बाहर आ गये और ये तय हुआ कि मैं फोन कर के राज को बताउन्गा कि कब उसको घर आना है. फिर मैं अपने घर आ गया.
उसी दिन रात के करीब 8 बज रहे थे.मैं और अंजली दीदी दोनो रूम मे थे ..मैं स्कूल का होमे वर्क कर रहा था और दीदी अपने कॉलेज के असाइनमेंट पर काम कर रही थी. वो ठीक मेरे सामने अपने बिस्तर पर बैठी थी. मैं चुपके चुपके उन्हे देख भी रहा था. मेरे मन मे कई ख्याल दौड़ रहे थे उस वक्त. मेरे दिल का सॉफ और पवित्र हिस्सा मुझे बता रहा था कि ..कितनी सुंदर है मेरी अंजली दीदी ..एक दम मासूम ..एक गुड़िया की तरह..कितना प्यार करती है वो मुझसे ..और वगेरह वगेरह..पर दूसरी तरफ मेरे दिल का काला हिस्सा मुझे दिखा रहा था कि…देख कितना हसीन बदन है तेरी बड़ी बेहन का…बिल्कुल भरा भरा बदन..चूचिया देख कैसी कसी और खड़ी हुई है…ये लंबे रेशमी बॉल कैसे सेक्सी लग रहे है..होंठ देख कैसे रस से भरे है…..और ये उभरे हुए चूतड़ तो मानो जान ले लें किसी भी मर्द की…बदन का कटाव देख…और भी ने जाने कितनी सेक्सी बाते बोल रहा था मेरे दिल का काला हिस्सा…
मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी ना जाने कहाँ से एक कोक्करॉच आया और अंजली दीदी के बॅड पर चढ़ गया उसको देखते ही दीदी चिल्लाई और भाग कर मेरे बॅड पर आ गयी .
“एयेए….अनुज….कोक्करॉच….” दीदी अपने बिष्तर पर चलते कॉकरोच की तरफ़ इशारा करते हुए बोली.दीदी का गोरा चेहरा डर से लाल हो गया था. मे फटाफट उठा कोक्करॉच को मारने के लिए तो वो उड़ कर दीदी की टी-शर्ट पर चिपक गया. बस फिर क्या था दीदी ज़ोर से चीखी और मुझसे आगे से लिपट गयी.
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