RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
खैर फिर मैंने दोबारा धीरे से उसके कान के पास चुम्बन लेते हुए अपने हाथ उसकी टॉप में डाले और ऊपर की ओर उठाने लगा जिसमें रूचि ने भी सहयोग देते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर उठा लिए जिससे उसकी चूचियाँ तन के मेरी आँखों के सामने आ गई।
दोस्तो, क्या गजब का नज़ारा था… जैसे सफ़ेद छेने पर गाढ़ी लाल रंग की चेरी रख दी हो!
मैं तो देख कर इतना मस्त हो गया कि मुझे कुछ होश ही न रहा और मैं उसके चूचों की घुंडियों को प्यार से मसलने लगा जिससे रूचि कुछ कसमसाई तो मैंने उससे धीरे से पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- यार अच्छा भी लग रहा है और थोड़ा अजीब सा भी!
मैंने बोला- बस थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें मज़ा आने लगेगा।
तो वो बोली- अब क्या करने वाले हो?
मैंने बिना बोले ही उसके बायें चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगा जैसे लोग कोल्ड ड्रिंक में स्ट्रॉ डाल कर चुस्की लगाते हैं और दूसरे चूचे को अपनी हथेली से सहलाने लगा जिससे रूचि इतना मदहोश हो गई कि पूछो ही मत… वो ऐसे सीत्कार ‘शिइइइइइइ शीईईईईई आह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह’ कर रही थी जैसे रो रही हो !
पर जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो नज़ारा कुछ ओर ही था, वो अपनी गर्दन को पीछे किये हुए अपनी आँखें बंद करके निचले होंठों को दांतों से दबाते हुए मंद सीत्कार कर रही थी जैसे की पक्की रंडी हो!
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