RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
तो मैंने उससे बोला- खुद से कैसी शर्म..? क्या तुम ‘ऐसे..ऐसे..’ नहीं नहातीं?
वो बोली- न बाबा.. मुझे तो शर्म आती है।
मैंने उसकी जांघों पर हाथ रखते हुए बोला- एक बार आज़मा कर देखो.. कितना मज़ा आता है।
यह सुनते ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और मैंने उसके शरीर पर एक अजीब सी फुरकन जैसी हरकत महसूस की.. क्योंकि मेरा हाथ उसकी जाँघों पर था।
फिर वो मेरी बात काटते हुए बोली- देखेंगे कभी करके ऐसे.. लेकिन जो चड्डी तुम ले गए थे.. वो है कहाँ?
तो मैंने भी लोअर की जेब में हाथ डाला और झटके से उसकी आँखों के सामने लहराने के साथ-साथ बोला- लो कर लो तसल्ली.. मेरी ही है कि नहीं?
वो एकदम से बोली- अरे मेरे भोले राजा.. अब तो खुद भी तो देख लो.. या फिर नज़र कमजोर हो चली।
मैंने जैसे ही उसके चेहरे से नज़र हटाई और चड्डी की ओर देखा.. तो वो बोली- क्या है ये?
मैंने शर्मा कर सॉरी बोलते हुए बोला- मैंने ध्यान ही नहीं दिया यार.. उस समय हड़बड़ाहट में कुछ समझ ही नहीं आया.. खैर.. ये लो.. पर मेरी चड्डी कहाँ है?
तो उसने बोला- तुम्हें मेरी खुश्बू अच्छी लगती है न.. तो मैंने उसे पहन लिया.. वैसे भी तुम्हारी ‘वी-शेप’ की चड्डी बिल्कुल मेरी ही जैसी चड्डी की तरह दिखी.. तो मैंने पहन ली.. ताकि मैं तुम्हें अपनी खुश्बू दे सकूँ और उसे अपने पास रखने में तुम्हें शर्म भी न आए..
ये सुनकर पहले तो मुझे लगा कि ये मज़ाक कर रही है, तो मैंने बोला- यार मज़ाक बाद मैं. मुझे अभी जल्दी से तैयार होकर घर के लिए भी निकलना है।
बोली- अरे.. मज़ाक नहीं कर रही मैं.. अभी खुद ही महसूस कर लेना..
ये कहती हुई वो बाथरूम में चली गई और जब निकली तो उसके हाथ में मेरी ही चड्डी थी।
पर जब तक मैं उसे पहने हुए देख न लेता.. तो कैसे समझता कि उसने पहनी ही थी।
फिर वो मेरे पास आकर खड़ी हुई और मेरी चड्डी देते हुए बोली- लो और अब कभी भी ऐसी खुश्बू की जरुरत हो.. तो मुझे अपनी ही चड्डी दे दिया करना।
मैंने उसके हाथों से लेते ही उसको देखा तो उसके अगले भाग पर मुझे उसके चूत का रस महसूस हुआ और मैंने सोचा.. लगता है रूचि कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। इसे क्यों न और गर्म कर दिया जाए ताकि ये भी अपनी माँ की तरह ‘लण्ड..लण्ड..’ चिल्लाने लगे।
तो मैंने उसकी ओर ही देखते हुए बिना कुछ सोचे-समझे ही उसके रस को सूंघने और चाटने लगा और अपनी नजरों को उसके चेहरे पर टिका दीं।
मैंने उसके चेहरे के भावों को पढ़ते हुए महसूस किया कि वो कुछ ज्यादा ही गर्म होने लगी थी। उसके आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके होंठ कुछ कंपने से लगे थे.. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसकी चूत का रस अपनी चड्डी से नहीं.. बल्कि उसकी चूत से चूस रहा होऊँ।
खैर.. मैंने उसे ज्यादा न तड़पाने की सोचते हुए अपनी चड्डी से मुँह को हटा लिया और उसकी ओर मुस्कुराते हुए बोला- वाह यार.. क्या महक थी इसकी.. इसे मैं हमेशा अपने जीवन में याद रखूँगा.. आई लव यू रूचि..
तो वो भी मन ही मन में मचल उठी और शायद उसे भी अपने रस को अपने होंठों पर महसूस करना था.. इसलिए उसने कहा- अच्छा.. इतनी ही मादक खुश्बू और स्वाद था ये.. तो मुझे मालूम ही नहीं.. कि मेरी वेजिना किसी को इतना पागल कर सकती है?
मैं उसके मुँह से ‘वेजिना’ शब्द सुनकर हँसने लगा.. तो वो बोली- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो न..
मैं बोला- ऐसा नहीं है..
तो उसने भी प्रतिउत्तर मैं कहा- फिर कैसा है?
‘तुम्हें क्या यही मालूम है.. या बन कर बोली थीं..?’
तो वो बोली- क्या?
मैंने फिर से हँसते हुए कहा- वेजिना..
तो वो बोली- उसे यही कहते हैं.. मैं और कुछ नहीं जानती..
मैंने बोला- क्या सच मैं?
तो वो बोली- क्या लिखकर दे दूँ.. पर मुझे तुम बताओ न.. इसे और क्या कहते हैं?
मैं बोला- फिर तुम्हें भी दोहराना होगा..
तो वो तैयार हो गई.. फिर मैंने उसकी वेजिना को अपनी गदेली में भरते हुए कामुकता भरे अंदाज में बोला- जान.. इसे हिंदी में बुर और चूत भी बोलते हैं।
मेरी इस हरकत से वो कुछ मदहोश सी हो गई और उसके मुख से ‘आआ.. आआआह..’ रूपी एक मादक सिसकारी निकल पड़ी।
मैंने उसकी चूत पर से हाथ हटा लिया इससे वो और बेहाल हो गई.. लेकिन वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि मैं उसकी चूत को छोड़ दूँ.. जो कि उसने मुझे बाद में बताया था।
लेकिन स्त्री-धर्म.. लाज-धर्म पर चलता है.. इसलिए उस समय वो मुझसे कुछ कह न सकी और मुझसे धीरे से बोली- राहुल.. क्या इतनी अच्छी खुश्बू आती है मेरी चू… से..
ये कहती हुई वो ‘सॉरी’ बोली.. तो मैं तपाक से बोला- मैडम सेंटेंस पूरा करो.. अभी तुमने बोला कि दोहराओगी और वैसे भी अब.. जब तुम भी मुझे चाहती हो.. तो अपनी बात खुल कर कहो।
तो बोली- नहीं.. फिर कभी..
मैं बोला- नहीं.. अभी के अभी बोलो.. नहीं तो मैं आज शाम को नहीं आऊँगा।
ये मैंने उसे झांसे में लेने को बोला ही था कि उसने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ा और लटका हुआ सा उदास चेहरा लेकर बोली- प्लीज़ राहुल.. ऐसा मत करना.. तुम जो कहोगे.. वो मैं करूँगी।
मैंने बोला- प्रॉमिस?
तो वो बोली- गॉड प्रोमिस..
शायद वो वासना के नशे में कुछ ज्यादा ही अंधी हो चली थी.. क्योंकि उसके चूचे अब मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे और वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए खड़ी थी। उसके सीने की धड़कन बता रही थी कि उसे अब क्या चाहिए था।
तो मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तो क्या कहा था.. अब बोल भी दो?
तो वो बोली- क्या मेरी चूत की सुगंध वाकयी में इतनी अच्छी है…
तो मैंने बोला- हाँ मेरी जान.. सच में ये बहुत ही अच्छी है।
वो बोली- फिर सूंघते हुए चाट क्यों रहे थे?
तो मैंने बोला- तुम्हारे रस की गंध इतनी मादक थी कि मैं ऐसा करने पर मज़बूर हो गया था.. उसका स्वाद लेने के लिए..
ये कहते हुए एक बार फिर से अपने होंठों पर जीभ फिराई.. जिसे रूचि ने बड़े ही ध्यान से देखते हुए बोला- मैं तुमसे कुछ बोलूँ.. करोगे?
तो मैंने सोचा लगता है.. आज ही इसकी बुर चाटने की इच्छा पूरी हो जाएगी क्या?
ये सोचते हुए मन ही मन मचल उठा।
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