Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
06-14-2018, 12:19 PM,
#21
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
मैं लगातार यूँ ही उसकी चूचियों को रगड़ते हुए उसके नुकीले टिप्पों को मसले जा रहा था और जिससे उसकी आवाजों में मादकता के साथ-साथ कम्पन भी बढ़ने लगा था।
उसी अवस्था में उसने अपना हाथ पीछे की ओर ले जाकर मेरे तने हुए लौड़े पर रख दिया और उस सहलाते हुए अपने सर को थोड़ा बाएं मोड़ कर मेरे माथे पर चुम्बन जड़ दिया।

उसकी इस क्रिया के जवाब में मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिया और एक बार पुनः एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

इतना आनन्द आ रहा था दोस्तो.. जिसकी कल्पना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

उसके मुख से लगातार ‘उम्म्म फच उम्म्म्म्’ के नशीले स्वर निकल रहे थे और माया अपने हाथों से मेरे लौड़े को सहलाते हुए अपनी गांड के छेद पर दबा कर रगड़ रही थी..
जिससे ऐसी अनुभूति हो रही थी कि मानो मेरे लौड़े से कह रही हो- जान आज तेरा यही घर है.. कर ले जी भर के अपनी इच्छा पूरी.. मैं तैयार हूँ.. तेरी इस दर्द भरी ठुकाई के लिए।

फिर मैंने उसके बदन की सुलगती आग को महसूस करते हुए उसके मम्मों को सहलाते हुए अपने हाथों को उसके आगे किए और रसीले मम्मों को ऊपर-नीचे सहलाते हुए उसके बदन से खेलने लगा।
साथ ही मैं उसके कानों के बीच में चुम्बन करते हुए कान के निचले हिस्से को भी दांतों से रगड़ने लगा.. जिससे माया के बदन में सिहरन दौड़ने लगी।

वो अपना काबू खो कर मेरे लौड़े को सख्ती के साथ भींचने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं उसकी गर्दन में अपने होंठों को गड़ा कर चूसने लगा।

मेरे इस वार को माया बर्दास्त न कर सकी और अपनी चूत की सब्र का बांध तोड़ते हुए, ‘अह्ह्ह आआह्ह्ह शह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ अपनी गांड को मेरे लौड़े पर दबाते हुए अपनी पीठ को मेरे सीने से चिपका कर अपनी गर्दन दाएं-बाएं करने लगी।

दोस्तों इस अद्भुत आनन्द की घड़ी में मैंने महसूस किया जैसे मैं बिना पंख के ही आसमान में सबसे तेज़ उड़ रहा हूँ।

मुझे भी होश न रहा और मैं बिना लोअर उतारे ही उसकी गांड मैं लण्ड रगड़ते हुए झड़ गया।

जब मुझे मेरे ही वीर्य की गर्म बूंदों का अहसास मेरी जाँघों पर हुआ.. तो मुझे होश आया और तब मुझे अहसास हुआ कि कोई इतना भी बहक सकता है।

और ऐसा हो भी क्यों न.. जब माया जैसी काम की देवी साथ हो।

मैं भी झड़ने के बाद कुछ देर बाद तक उसके कंधे पर सर रख कर उसके अपने होंठों से सटे गाल पर चुम्बन करते हुए उसके चूचों को प्यार से मसले जा रहा था और मेरे मुख से ‘उम्म्म्म चप्प-चप्प’ के साथ बस यही शब्द निकल रहे थे, ‘जानू आई लव यू.. आई लव यू सो मच..’

जिससे माया के बदन की आग फिर से दहकने लगी और वो भी अपने होंठों को मेरे होंठों में देकर कहते हुए बोलने लगी, ‘आई लव यू टू.. आई लव यू टू.. जान मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है.. ले लो अपनी जानू की जिंदगी का रस.. आज तो मज़ा आ गया.. ऐसी घड़ी आज के पहले मेरे जीवन में कभी न आई..’

ये कहते हुए उसने अपना हाथ फिर से पीछे ले जाकर मेरे लौड़े पर रख दिया। वो हाथ रखते ही बोली- अरे ये क्या आज तुम भी भावनाओं के सागर में बह गए क्या..?

तो मैंने बोला- अरे तुम हो ही मज़ेदार और सेक्सी.. जो किसी का भी लौड़ा बस देखकर ही बहा दो..

तो माया किलकारी मारकर हँसते हुए बोली- जानू आई लव यू.. बस मैं तुम्हारी इसी अदा पर ही तो फ़िदा हूँ.. तुम साथ में जीने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हो।

यह कहते हुए वो मेरी ओर घूमी और अपने होंठों को मेरे होंठों से गड़ा कर मेरी पीठ पर अपने हाथों को चींटी की तरह धीरे-धीरे चलाते हुए मेरी टी-शर्ट के निचले सिरे पर पहुँच गई।
वो पीछे से अपने हाथों को मेरे शर्ट के अन्दर डालते हुए उसे ऊपर धीरे-धीरे उठाने लगी।

मैं अपनी आँखों को बंद किए हुए उसे चूमने-चाटने में इतना मदहोश था कि मुझे तब होश आया जब उसने मेरी टी-शर्ट को निकालने में थोड़ी ताकत का प्रयोग किया।

ये सोचकर आज मैं बहुत हैरान था कि क्या ऐसा भी होता है कि इंसान इतना खो जाता है कि उसे होश ही नहीं रहता है कि उसके साथ क्या हो रहा है।

फिर टी-शर्ट निकालने में मैंने उसका सहयोग करते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा लिया।

पर आज माया अपनी जवानी के नशे में मुझे खा जाने के मूड में थी।

अब आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा क्या किया माया ने.. तो बता दूँ उस वक़्त वो मेरे होंठों को तो चूस नहीं सकती थी.. पर मेरी नंगी छाती जो कि अब उसके हवाले थी.. उसे वो प्यार से अपनी जुबान से चाटते हुए चूमने लगी थी।

और मेरी टी-शर्ट के उतरते ही माया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे बदन की गर्माहट अपने शरीर में महसूस कराने लगी।

अब वो दाईं ओर अपना मुँह करके बंद आँखों से अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर.. राहत भरी सांस भरने लगी.. जैसे मेरे बदन की गर्माहट उसकी दुखती रगों को सेक रही हो।

मैंने भी उसकी पीठ को धीरे-धीरे प्यार से सहलाना शुरू किया और बोला- थक गई हो तो आराम कर लो।

मेरे इतना बोलते ही माया ने अपनी आँखें खोल दीं और प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली- जान आई लव यू सो मच.. मुझे तुम्हारी बाँहों में बहुत सुख मिलता है.. मेरा बस चले तो मैं इन्हीं बाँहों में अपना सारा जीवन बिता दूँ।

फिर माया ने बारी-बारी से मेरे माथे को चूमा.. दोनों आँखों को चुम्मी ली.. फिर मेरे गालों के दोनों ओर चूम कर अपने होंठों से पुनः मेरे होंठों का करीब एक मिनट तक रसपान करती रही।

वो यूँ ही चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे को बढ़ने लगी।
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RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ - by sexstories - 06-14-2018, 12:19 PM

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