Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
06-14-2018, 12:15 PM,
#11
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
मैं कभी उसके बालों से खेलता तो कभी उसकी नशीली आँखों में झांकते हुए उसके होंठों में अपनी उँगलियों को घुमाता.. जिससे दोनों को ही मज़ा आ रहा था।
मुझे तो मानो जन्नत सी मिल गई थी, क्योंकि ये अहसास मेरा पहला अहसास था।
मैं और वो इस खेल में इतना लीन हो गए थे कि मुझे पता ही न चला कि मैंने कब उसके उरोजों को नग्न कर दिया और उसको भी कोई होश न था कि उसके मम्मे अब कपड़ों की गिरफ्त से आज़ाद हैं।

जब मैंने उसके कोमल संतरों और गेंद की तरह सख्त उरोजों को मल-मल कर रगड़ना और सहलाना प्रारम्भ किया तो उनके मुख से एक आनन्दमयी सीत्कार “आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” निकल पड़ी।
जिसके कारण मेरा रोम-रोम खिल उठा और मैंने माया के किशमिशी टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से मींजने लगा। जिससे माया को अहसास हुआ कि उसके गेंदनुमा खिलौने कपड़ों की गिरफ्त से छूट कर मेरे हाथों में समा चुके हैं।

उसके मुख की सीत्कार देखते ही देखते बढ़ती चली गई- आआअहह श्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है राहुल.. इनको मुँह से चूसो.. चूस लो इनका रस.. निकाल दो इसकी सारी ऐंठन..

मैंने उसी अवस्था में झुक कर उनके माथे को चूमा और उनकी आँखों में आनन्द की झलक देखने लगा।

एकाएक माया ने अपने हाथों से मेरे सर को झुका कर मेरे होंठों को अपने होंठों से लगा कर रसपान करने लगी। जिसका मैंने भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए करीब 15 मिनट तक गहरी चुम्मी ली।

जैसे हम जन्मों के प्यासे.. एक-दूसरे के मुँह में पानी ढूँढ़ रहे हों और इस प्रक्रिया के दौरान उसके मम्मों की भी मालिश जारी रखी जिससे माया के अन्दर एक अजीब सा नशा चढ़ता चला गया जो कि उसकी निगाहों से साफ़ पता चल रहा था।

फिर धीरे से उसने मेरे होंठों को आज़ाद करते हुए अपने मम्मों को चूसने का इशारा किया तो मैंने भी बिना देर करते हुए ही उसके सर को अपनी गोद से हटाकर कुशन पर रखा और घुटनों के बल जमीन पर बैठ कर उसके चूचों का रस चूसने लगा।

क्या मस्त चूचे थे यार.. पूछो मत।

मैं सुबह तो इतना उत्तेजित था कि मैंने इन पर इतना ध्यान ही न दिया था।

लेकिन हाँ.. इस वक़्त मैं उसको चूसते हुए एक अज़ब से आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा था। उसके चूचे इतने कोमल कि जैसे मैं किसी स्ट्रॉबेरी को मुँह में लेकर चूस रहा हूँ..

इस कल्पना को शब्दों में परिणित ही नहीं कर सकता कि क्या मस्त अहसास था उसका..

मैं अपने दूसरे हाथ से उसके टिप्पों को मसल रहा था, जिससे माया के मुँह से आनन्दभरी सीत्कार ‘आआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल जाती जिससे मैं अपने आप आनन्द में डूब कर उसके मम्मों को और जोर से चूसने और रगड़ने लगता।

माया को भी इस खेल में इतना आनन्द आ रहा था जो कि उसके बदन की ऐंठन से साफ़ पता चल रहा था और हो भी क्यों न… जब इतना कामोत्तेजक माहौल होगा.. तो कुछ भी हो सकता था।

इधर मेरा ‘सामान’ भी पैन्ट में खड़े-खड़े इठने लगा था.. मैंने भी पारी बदलते हुए उसके मम्मों को हाथों में जकड़ते हुए उसके सलवार के नाड़े की ओर नज़र दौड़ाई तो देखा की सलवार के आगे का हिस्सा गीला हो चुका था।

मैंने माया के चेहरे की ओर आश्चर्य भरी निगाहों से देखा तो माया ने पूछा- क्या हुआ मेरे नवाब.. ऐसे क्यों देख रहे हो?

तो मैंने उसकी सलवार की ओर देखते हुए उससे पूछा- क्या बात है.. इस समय इतना पानी निकल रहा है.. कि तुम्हारी सलवार के ऊपर से ही साफ़ झलक रहा है।

तो वो मुस्कुराते हुए बोली- जब मथानी इतने अच्छे से चलेगी तो मक्खन तो निकलेगा ही..

मैंने बोला- आज सुबह भी तो मथा था.. तब तो ऐसा नहीं हुआ था?

तो वो बोली- इस समय पैन्टी नहीं पहनी है और उस समय पैन्टी पहन रखी थी।

मैंने बोला- हम्म्म.. क्या बात है माया रानी.. लगता है आज रात का मेरे लिए तुमने पूरा मायाजाल बिछा रखा है।

तो वो हँसते हुए अपने हाथों से मेरे सर को पकड़कर अपने होंठों से चुम्बन करते हुए बोलने लगी- अब मैं बस तुम्हारी हूँ.. तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी.. तुमने मेरी बरसों पुरानी इच्छा को पूरा किया है।

तभी उनका फोन पर घन्टी बजी.. जो कि विनोद का था।

मैंने माया को फोन दे दिया और माया फोन ऑन करके हाल चाल लेने लगी।

उसने मेरे बारे में पूछा तो बोली- वो बाहर कमरे में टीवी देख रहा है.. जबकि तब तक सीन बदल चुका था मैं माया की सलवार उतार कर उसकी मखमली जांघों को सहला रहा था और अपने मुख से उसके गोल और सुडौल उरोजों का रसपान कर रहा था।

फिर मैंने धीरे से उनकी मखमली पाव सी चूत में ऊँगली घुसेड़ दी।


यह इतने अचानक से हुआ कि उसके मुँह से ‘आआआआह’ जोर की चीख निकल पड़ी।

शायद वो इस आघात के लिए तैयार नहीं थी। उसकी चीख सुनकर विनोद ने कुछ बोला होगा.. जिसके उत्तर में माया ने बोला- अरे वो.. मैं न कल के लिए सब्जी काट रही थी तो चाकू लग गया।

तो उसने बोला होगा आराम से काम किया करो तो वो बोली- आराम से तो सिर्फ सोया जा सकता है.. पर कोई काम आराम से नहीं कर सकती.. नहीं तो सारे दिन बस आराम ही करती रहूँगी..

यह बोलकर वो मेरी ओर देखकर हँसने लगी और मैं भी उसकी चूत के दाने को रगड़ने और मसलने लगा.. जिससे उसकी चूत से रस का रिसाव प्रारम्भ हो गया और उसकी आवाज़ में भी कंपकंपी सी आने लगी।
तब तक शायद फोन रूचि ले चुकी थी तो उसने बोला- राहुल से बात कराओ मैं उससे बोल दूँ कि मेरी माँ का ध्यान अच्छे से रखे।

तो माया ने बहाना बनाया.. पर उस पर कोई प्रभाव न पड़ा।

फिर उसने मुझसे बात की और मुझसे बात की कि कब आए और माँ का ख्याल रखना.. उनके चोट भी लग गई है.. वगैरह वगैरह..
मैं शांत खड़ा उसकी बातें सुन रहा था और ‘हाँ.. हूँ’ कर रहा था।

इतने में माया ने अपना बदला लेने के लिए मेरा लोअर नीचे किया और मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर जोर-जोर से चूसने लगी। जिससे मेरी आवाज़ में भी कंपकंपी आ गई।

तो उसने बोला- ऐसे क्यों बोल रहे हो..? अब तुम्हें क्या हुआ?

तो मैंने बोला- एसी की वजह से ठण्ड बढ़ गई है।

मैंने बातों को विराम देते हुए फोन कट कर दिया।

फिर माया को देखा तो देखता ही रह गया..
वो मेरी ओर बड़ी-बड़ी आँखों से बड़ी ही कामुक निगाहों से देखते हुए मेरे लौड़े को उसकी जड़ तक चूसने के प्रयास में लगी थी।
जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके सर को हाथों में कस लिया और उससे बोला- जान अब जीभ से चाटो..
उसने बिल्कुल ऐसा चाटा.. जैसे कोई छोटा बच्चा कोन वाली आइसक्रीम चाटता है.. जिससे मेरा आनन्द और दुगना हो गया।

फिर मैंने उससे बोला- इसको अपने थूक से गीला करो।

तो वो आश्चर्य से देखने लगी.. शायद सोच रही होगी कि अब क्या होने वाला है..

शायद आप भी यही सोच रहे होंगे।

फिर माया ने नज़रें झुकाईं और मेरे गर्म लोहे की रॉड के समान लौड़े को बिना कुछ कहे ही गीला करने लगी।
जब मैंने देखा कि माया ने अब अच्छे से गीला कर दिया है.. तो मैंने उसे अपने सामने सोफे के नीचे बैठाया और उसके उरोजों के बीच अपने सामान को सैट करने लगा।

उसको देखकर साफ़ लग रहा था कि इस तरह से उसने कभी नहीं किया है और मेरी भी एक अनचाही इच्छा पूरी होने वाली थी।

फिर मैंने उसको बोला- अब अपने चूचों को दोनों तरफ से दबा कर मेरे लौड़े की चुदाई ऐसे करो.. जैसे मालिश की जाती है।

एक बार मैंने उसे बताया और फिर उसको ये कार्य सौंप दिया। वो बड़े अच्छे तरीके के साथ इस कार्य में तल्लीन थी.. जिससे मुझे काफी मज़ा आ रहा था।

यह मैंने केवल फिल्मों में ही देखा था जो कि आज मेरे साथ हकीकत में हो रहा था। मेरे शरीर में एक अजीब सा करंट दौड़ रहा था जैसे हज़ारों चीटिंयाँ मेरे शरीर पर रेंग रही हों।

कुछ ही मिनटों के बाद मैंने माया से बोला- अब मेरा होने वाला है.. मुझे कुछ अजीब सी मस्ती हो रही है।

तो माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा?

तो मैंने उसे अपनी बाँहों में ले कर बोला- सच माया… आज तो तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी।

फिर वो बोली- ये कहाँ से सीखा था?

तो मैंने बोला- ब्लू-फिल्म में ऐसे करते हुए देखा था।
Reply


Messages In This Thread
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ - by sexstories - 06-14-2018, 12:15 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,495,293 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,740 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,229,273 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 929,839 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,650,400 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,077,707 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,946,180 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,039,949 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,025,529 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,343 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)