RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--8
गतांक से आगे ...........
मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, उसका चेहरा नीचे था और वो मंद मंद मुस्करा रही थी।
पार्क में सभी मनचलों की नजरें हमें (मतलब अपूर्वा को) ही घूर रही थी। अपूर्वा ने अपना हाथ मेरे हाथ में पूरी तरह डालते हुए अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और हम इसी तरह पार्क में टहलने लगे। नेहरू पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए ट्रेन चलती है, जिसमें 10 रूप्ये की टिकट लगती है।
अपूर्वा: चलो ना ट्रेन में सवारी करते हैं।
मैं: अरे वो बच्चों की ट्रेन है।
अपूर्वा: वो देखो, वो अंकल आंटी भी तो बैठे हैं, चलो ना।
मैं: ओके। (और हम ट्रेन की टिकट लेकर ट्रेन में बैठ गये)
हमारे सामने दो पति-पत्नी बैठे थे (ऐसा मुझे लगा कि वो पति-पत्नी ही होने चाहिए, बाकी तो पता नहीं थे भी या नहीं)।
तभी ट्रेन ने सीटी दी और चल पड़ी। ट्रेन चलते ही, पत्नी ने अपना सिर पति के कंधों पर रख लिया और अपना एक हाथ उसकी कमर के पीछे से पेट पर कस लिया। पति पहले तो थोड़ा झिझका हमारे सामने बैठे होने की वजह से, पर फिर उसने भी अपना एक हाथ पिछे से ले जाकर अपनी पत्नी की जांघों पर रख दिया।
अपूर्वा मेरे हाथ को अपने हाथों में लेकर बैठी थी और हमारे हाथों को अपनी जांघों पर रखा हुआ था और अपने दूसरे हाथ से मेरे हाथ को सहला रही थी। तभी ट्रेन अचानक रूक गई, हमने देखा कि फाटक खुली हुई थी और कुछ बच्चे उसे पार कर रहे थे। बच्चों के फाटक पार करने पर फाटक बंद कर दी गई और ट्रेन वापिस चल पड़ी। अपूर्वा ने भी अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया। ट्रेन सीटी बजाते हुए अपना सफर तय कर रही थी।
अपूर्वा के इस तरह बिहेव करने पर मुझे आश्चर्य भी हो रहा था, परन्तु खुशी भी बहुत हो रही थी, क्योंकि वो थी ही इतनी प्यारी की कोई भी उसके साथ को मचल उठे और मुझे तो वो बिन मांगे ही मिल रहा था।
परन्तु कहते हैं ना कि बिन मांगी चीज की ज्यादा कद्र नहीं होती, तो मैं भी अपूर्वा के इस बिहेवियर को केवल अच्छे दोस्त के रूप में ही देख रहा था। मेरे मन में उसके लिए कोई गंदे विचार नहीं थे।
मैंने अपना दूसरा हाथ अपूर्वा के हाथ के उपर रख दिया जो मेरे पहले हाथ को सहला रहा था। अपूर्वा ने एक बार अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा, पर मैं अपने हाथों की तरफ ही देख रहा था, तो अपूर्वा ने वापिस अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।
थोड़ी देर में ट्रेन वापिस उसी स्टेशन पर आकर रूक गई, जहां से हम बैठे थे। मैंने धीरे से अपूर्वा के कान में कहा, स्टेशन आ गया, चलो अब उतरना है।
अपूर्वा मेरे हाथ को वैसे ही अपने हाथ में लिए हुए उठ गई और हम ट्रेन से बाहर आ गये ।हम पार्क में टहलते हुए फांउटेन के पास जाकर बैठ गये। फाउंटेन के कारण वहां का वातावरण काफी सुहाना था और भीनी भीनी खूशबू के साथ ठंडा ठंडा महसूस हो रहा था। वहां पर बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। अपूर्वा मेरे हाथ को खींचते हुए वहीं पर बैठ गई और उसके साथ मैं भी वहीं पर घास पर बैठ गया।
बैठते ही अपूर्वा ने अपना सिर वापिस मेरे कंधे पर रख दिया।
अपूर्वा: मैं कल नहीं आ पाउंगी।
मैं: क्यों?
अपूर्वा: वो मम्मी के साथ दौसा जाना है।
मैं: क्यों, लड़का देखने जा रही हैं क्या तेरे लिए।
अपूर्वा: आप भी ना! वो मेरी मौसी जी रहती हैं, वहां पर उनकी लड़की की सगाई है, तो उसमें जा रहे हैं। दो बाद आउंगी।
मैं: तो तुमने बॉस से छुट्टी के लिए तो कहा ही नहीं।
अपूर्वा: कह दिया, जब आप बाइक में पंक्चर लगवाने गए थे, तब कह दिया था।
मैं: ये आप-आप क्या लगा रखा है, मैं तुम्हें तुम कह रहा हूं, और तुम हो कि आप आप लगा रखा है।
अपूर्वा: मुझे आपको तुम कहना अच्छा नहीं लगता, मैं तो आप ही कहूंगी।
तभी अपूर्वा का फोन बजने लगा। अपूर्वा ने कॉल रीसीव की।
अपूर्वा: थोड़ी देर में आ रही मम्मी (और हतना कहकर फोन रख दिया)।
मैं: क्या कह रही थी, आंटी।
अपूर्वा: पूछ रही थी अभी तक आई क्यों नही?
मैं: तो अब हमें चलना चाहिए।
अपूर्वा: क्यों, कोई इंतजार कर रही है घर पर।
मैं: हम तो अलहड़ बंदे हैं, हमारा कोई इंतजार नहीं करता।
अपूर्वा: तो फिर थोड़ी देर और बैठते हैं ना।
अब अपूर्वा का एक हाथ मेरी सातल पर हल्के हल्के घूम रहा था (अरे यार वो मुझे गरम नहीं कर रही थी, वो तो बस ऐसे ही बैठे हुए प्यार से सहला रही थी, आप लोग भी ना कुछ भी सोचने लग जाते है)।
मुझे अपूर्वा की गर्म सांसे अपने गालो पर महसूस हो रही थी क्योंकि उसने अपना सर मेरे कंधे पर जो रखा हुआ था।
मैंने अपने चेहरे को थोड़ा था अपूर्वा की तरफ घुमाया तो उसके होंठ मेरे गालों पर टच होने लगे। मैंने कुछ देर अपने चेहरे को वैसे ही रखा तो अपूर्वा ने मेरे गालों पर हल्के से एक किस कर दी।
तभी मेरा फोन बज उठा, मुझे थोडा सा घूसा आया, पर फिर फोन में से आती हुई आवाज ने बताया कि मोम का फोन है तो मेरा गुस्सा गायब हो गया (मेरे पास नोकिया 5230 है, जिसमें कॉल आने पर नम्बर जिस नाम से सेव होता है, रिंग के साथ वो नाम भी बोलते हैं।)
मैंने फोन उठाया।
मैं: हाय मॉम!
मॉम: मैं अभी मरी नहीं हूं, जो हाय हाय कर रहा है।
मैं: ओह मॉम, आप भी ना।
मॉम: कैसा है मेरा बेटा, कहीं कमजोर तो नहीं हो गया, कितनी मरी मरी आवाज आ रही है, कुछ खाता भी है या नहीं।
मैं: मॉम मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप खामखां परेशान होती हैं।
मॉम: हां, मुझे ही पता है, कैसा ठीक है। जब भी आता है, इतना पतला होके आता है।
मॉम: अच्छा, वो तेरे शादी के लिए रिश्ता आया हुआ है, तु 2 दिन के लिए घर आजा। बता कब आ रहा है, ताकि मैं उनको टाइम बता दूं कि कब आना है, तेरे को देखने के लिए।
मॉम: लड़की मैंने देख ली है, एकदम सुशील और खूबसुरत है, तेरे से ज्यादा पढ़ी लिखी भी है। और मुझे पंसद भी है।
(दोस्तों मैं किन्हीं कारणों से केवल आठवीं तक ही पढ़ा हूं।) अब आप सोचोगे कि आठवीं पढा लिखा सॉफ्रटवेयर इंजीनियर कैसे बन गया, अब तक फेंकता आ रहा था कि सॉफ्रटवेयर इंजीनियर हूं, अब खुल गई ना पोल।
पर मैं आपको बता दूं कि आठवीं में मेरे मार्क 92 प्रतिशत थे। वो तो किन्हीं कारणों से आगे पढ़ा नहीं। पर बाद में कम्प्यूटर सीख लिया और फिर तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैं आठवीं पढा हूं, इसलिए इतनी छोटी सी कम्पनी में काम करता हूं, क्योंकि बडी कम्पनी के लिए कम से कम ग्रेजुएट तो होना ही चाहिए।
मैं: फिर तो हो गई शादी, जब उसे पता चलेगा कि मैं आठवीं पढा हूं तो वो खुद ही मना कर देगी।
मॉम: ऐसे कैसे कर देगी, क्या हुआ आठवीं पढ़ा है तो कम्प्यूटर इंजीनियर है मेरा बेटा।
मेरे मुंह से शादी की बात सुनकर मुझे अपूर्वा के चेहरे पर थोड़ी चिंता के भाव दिखाई दिए। मैंने फोन की तरफ इशारा करते हुए अपूर्वा से कहा कि मॉम है, मेरी शादी की बात कर रही है। अपूर्वा थो़ड़ी फिकी मुस्कान मुस्करा दी और मैं वापिस फोन पर बात करने लगा।
मैं: जब उसे पता चलेगा ना कि लड़का आठवीं ही पढा हुआ है तो फिर आप चाहे इंजीनियर क्या पायलेट भी बताते रहना, वो यकीन ही नहीं करेगी।
मॉम: बस तुम घर आ जाओ मुझे कुछ नहीं मालूम, और जल्दी से बताना कि कब आ रहे हो।
मैं: क्या, फायदा मॉम, खामखां दो दिन के पैसे भी जायेंगे, और उनकी जो आवभगत होगी, वो भी बेकार जायेगी, मैं पहले ही कह रहा हूं।
मॉम: ज्यादा दादा मत बन, और जल्दी से घर आ जा।
मैं: ओके! मॉम मैं ऑफिस में बात करके बताता हूं, कब छृट्टी मिलेगी।
मॉम: जल्दी आना है, कहीं बहाने बनाने शुरू कर दे।
मैं: ओके मॉम! जल्दी ही आ जाउंगा।
मॉम: ओके बाये बेटा, और ठीक से खाना टाइम पे खा लेना, अगर अबकी बार फिर से कमजोर होके आया तो मारूंगी बहुत तुझे।
मैं: ओके मॉम बाये। (ऑर फोन कट हो गया।)
अपूर्वा: क्या हुआ, किसकी शादी हो रही है।
उसके चेहरे और आवाज से लग वो थोड़ा परेशान लग रही थी।
मैं: अरे, किसी की नहीं, वो मॉम कह रही थी कि मेरे लिये रिश्ता आया है। इसलिए घर बुला रही हैं।
अपूर्वा: तो, कब जा रहे हो। आपके मन में तो लड्डू फूट रहे होंगे शादी के।
अपूर्वा की आंखें कुछ नम सी हो गई थी, और आवाज भारी भारी हो गई थी।
मैं: अरे अभी से किसको शादी करनी है, वहां जाकर मना कर दूंगा। मॉम का भी शौक पूरा हो जायेगा, लड़की देखने का, बस।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा मुस्करा दी।
अपूर्वा: ओके! तो अब चले, काफी टाइम हो गया।
मेरा मन तो कर रहा था कि ऐसे ही अपूर्वा के साथ बैठा रहूं, पता नहीं क्यों पर मैं उससे दूर नहीं होना चाहता था।
मैं अपमने मन से उठ खड़ा हुआ और मेरे साथ अपूर्वा भी खड़ी हो गई। हम वापिस पार्क से बाहर आ गये।
मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और अपूर्वा को बायें बोला। अपूर्वा मेरे पास आई और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने उसके हाथ को थामकर हैंड सेक किया और अपूर्वा ने मेरे माथे पर प्यारी सी किस की और बाये कहकर अपनी स्कूटी स्टार्ट की औरएक दूसरे को बाये बोलकर अपने अपने घर के लिए चल दिये।
घर पहुंचकर मैंने बाइक को खड़ा किया और उपर आ गया। हल्का हल्का अंधेरा हो गया था।
उपर आते ही मेरे कानों में, गुस्से भरी आवाज पड़ी, अभी तक कहां थे, कब से वेट कर रही हूं।
मैंने आवाज की तरफ देखा तो सोनल खड़ी थी। उसने अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे और अपनी बड़ी बड़ी आंखें मेरी तरफ निकालती हुई मुझसे पूछ रही थी।
सोनल: कहां थे अब तक, मैं आधे घण्टे से यहां वेट कर रही हूं। और अपना मोबाइल नम्बर दो। नम्बर होता तो फोन करके ही पूछ लेती।
मैं: अरे तो नम्बर तो आंटी से ले लेती, आंटी के पास तो मेरा नम्बर है ही।
सोनल: (अपने मोबाइल को छेड़ती हुई) चलो अब जल्दी से अपना नम्बर बोलो।
मैने सोनल को अपना नम्बर बताया और उसने एक मिस कॉल मेरे नम्बर पर दी कन्फर्म करने के लिए।
मैंने भी उसका नम्बर अपने मोबाइल में सेव कर लिया।
मैं: कोई खास काम था।
सोनल: (गुस्सा होते हुए) हां, बहुत खास काम है, पहले अंदर चलो तब बताती हूं।
मैं: ओके।
मैं लॉक खोलकर अंदर आ गया। सोनल भी मेरे पीछे पीछे अंदर आ गई। मैंने फ्रिज में से पानी पीया और सोनल को पानी के लिए पूछा।
सोनल: नहीं मुझे पानी नहीं, आज मुझे कुछ और पीना है।
मैं: और क्या पीओगी, बताओ, अभी हाजिर करते हैं।
सोनल: मैं अपने आप ले लूंगी, आप इधर आकर बैठ जाओं।
सोनल के इस तरह के व्यवहार से मैं थोडा विचलित था।
वो मेरे बैठ पर बैठी थी। मैं भी बैठ पर जाकर बैठ गया और अपने शूज उतारकर आराम से बैड पर लेट गया।
सोनल ने मेरी तरफ देखा और फिर वो भी कोहनियों के बल लेट गई। उसके आधे पैर बैड से बाहर थे तो उसने अपने पैरों को गुटनों से मोड कर उपर उठा लिया।
क्रमशः.....................
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