RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--6
गतांक से आगे ...........
सोनल ने अपने हाथ मेरे कंधो पर रख दिये और अपने बूब्स मेरी पीछ में दबा दिये। मैंने ड्राइविंग शुरू कर दी। जैसे ही हम मेन रोड पर आये तो सोनल चिल्लाई, रोको, रोको। मैंने स्कूटी साइड में रोक कर पूछा।
मैं: क्या हुआ!
सोनल: वो देखो सामने मामा जी खड़े हैं।
मैंने देखा सामने ट्रेफिक पुलिस वाले खड़े थे और जबरदस्त वाली चैकिंग चल रही थी।
मैं: यार! इनको भी सुबह सुबह भी चैन नही है।
सोनल स्कूटी से नीचे उतर गई और मैं भी स्कूटी को खडी करके नीचे उतर गया। सोनल ने स्कूटी की सीट को उठाया और उसमें से एक छोटा सा हेलमेट निकाला और मेरी तरफ बढ़ाते हुए।
सोनल: लो इसे पहन लो। मैं आपके पीछे दुबक जाउंगी तो पता ही नहीं चलेगा कि पीछे भी कोई बैठा है।
मैंने हेलमेट पहना और वापिस से ड्राइव शुरू कर दी। मैंने साइड मिरर से देखा तो सोनल पूरी तरह से मेरे पीछे दुबक गई थी। सामने से तो वो दिखाई ही नहीं दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि पीछे कोई नहीं बैठा है।
सोनल ने अपना चेहरा मेरी कमर पर टिका रखा था और अपने हाथ मेरी कमर पर पीछे की तरफ टिका रखे थे। मुझे उसकी सांसे अपनी पीठ पर महसूस हो रही थी। जैसे ही हम पुलिस वालों के पास से गुजरने लगे तो एक पुलिस वाला भागकर हमारे सामने आ गया।
पुलिस वाला: चलो साइड में लगाओ।
मैं: क्या हुआ सर जी!
प्ुलिस वाला: चलो साइड में लगाओ और लाइसेंस दिखाओ।
मैंने स्कूटी साइड में खडी कर दी और सोनल उतरकर मुझसे दूर जाकर खड़ी हो गई।
एक दूसरा पुलिस वाला मेरे पास आया और लाइसेंस दिखाने को कहा, मैंने लाइसेंस दिखा दिया।
पुलिस वाला: कागज पूरे हैं।
मैं: जी सर जी, एकदम पूरे हैं। (वैसे मुझे पता नहीं था कि कागज है भी या नहीं।)
पुलिस वाला: हेलमेट कहां है?
मैंने हेलमेट दिखाते हुए (जो कि मेरे हाथ में था) ये रहा सर जी।
पुलिसवाला: ठीक है जाओ। (और वो पुलिसवाला दूसरे बाइक वाले के पास चला गया।
मैंने सोनल की तरफ देखा और आंख मार दी। सोनल समझ गई कि मामला सुलझ गया है। और हम दोनों मुस्करा दिये।
सोनल कुछ और आगे जाकर खडी हो गई और स्कूटी को स्टार्ट करके मैं उसके पास जाकर रोक दी। सोनल पीछे आकर बैठ गई।
सोनल: बच गये आज तो, नहीं तो पक्का चालान होना था।
मैं: अरे, वो तो दूर आकर खडी हो गई, नहीं तो हेलमेट का तो होना ही था।
तभी मेरा फोन बजने लगा, मैंने फोन जेब से निकाला तो अपूर्वा का फोन था। मैंने कॉल रिसीव करके हैल्लो किया।
अपूर्वा: हैल्लो! तैयार हो गये, मैं आ रही हूं लेने के लिए।
मैं: हाव स्वीट! तुम्हें याद था।
अपूर्वा: क्यों याद क्यों नहीं रहेगा।
मैं: अरे नहीं यार, वो सुबह मैं तो भूल ही गया था बाइक बॉस के घर पर ही। जब नीचे आया तो याद आया कि बाइक तो आज है ही नहीं।
अपूर्वा: मुझे तो याद है जी। ठीक है मैं आ रही हूं। तैयार रहना।
मैं: अरे नहीं, मैं वो सोनल के साथ आ रहा हूं। वो भी उधर ही तो जाती है महारानी कॉलेज।
अपूर्वा (अबकी बार अपूर्वा की आवाज कुछ धीमी थी): ठीक है! मैंने तो घर पर मम्मी को बोलकर जल्दी नाश्ता तैयार करवाया, जल्दी तैयार हुई, कि समीर को भी लेने जाना है। पर मुझे क्या पता था कि जनाब के लिए और भी लड़कियां तैयार बैठी है, ड्रॉप करने के लिए। ओके! आ जाओ, ऑफिस में मिलते हैं।
मैं कुछ कहता उससे पहले ही फोन कट हो गया था। अपूर्वा की बाद वाली बातों से कुछ उदासी झलक रही थी। जिससे मेरा मन भी थोड़ा उदास हो गया।
मैंने मोबाइल को जेब में रखा, और सोनल से कहा चलें।
सोनल: किसका फोन था।
मैं: अपूर्वा का था, वो कह रही थी कि लेने आना है क्या। (मैंने स्कुूटी चला दी)
सोनल: हाव स्वीट! बहुत धयान रखती है तुम्हारा। मुझे तो लगता है कि उसके और तुम्हारे बीच में कुछ चल रहा है, पर तुम बता नहीं रहे हो।
मैं: हम बहत अच्छे दोस्त हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं है।
सोनल: अच्छा जी, फिर ठीक है। (और मुझसे सटकर बैठ गई)
उसके बूब्स को अपनी कमर में दबते महसूस करके मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। मैं भी मजे लेने के लिए थोड़ा पीछे हो गया। सोनल ने अपने हाथ मेरे पेट पर रख दिये और मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठ गई। तभी मुझे उसके हाथों में कुछ हरकत महसूस हुई। धीरे धीरे उसके हाथ मेरे पेट पर हरकत करने लगे थे। उसकी उंगलिया मेरी शर्ट के उपर से ही मेरे पेट पर थिरक रही थी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उसने अपनी एक अंगली को मेरे पेट पर सहलाते हुए थोड़ा नीचे की तरफ कर दिया जो मेरी नाभि से नीचे आ गई। उसकी वो उंगली मेरी बेल्ट को टच हो रही थी। मैंने शॉर्ट शर्ट पहनी हुई थी। उसने अपनी उस उंगली से मेरी शर्ट को थोडा सा उपर उठाया और मेरी जींस के किनारों के साथ मेरे पेट पर अपनी उंगली घुमाने लगी। मेरे शरीर में बहुत ज्यादा सिहरन हो रही थी और मेरा पप्पू तो पहले से ही अंडरवियर के अंदर धमाचौकड़ी मचा रहा था।
तभी अचानक सोनल ने अपनी एक उंगली मेरी जींस के थोड़ा सा अंदर कर दी और मेरी बनियान को खींच कर जींस से बाहर निकाल दिया और अपनी उंगली वापिस जींस के किनारों के साथ साथ मेरे पेट पर फिराने लगी। उसकी उंगली को अपने नंगे पेट पर महसूस करके मेरे शरीर ने एक झटका लिया और मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।
मेरा दांया हाथ अपने आप उसके हाथ के उपर आया और उसके हाथ को पकड़ लिया। मुझपर हल्की हल्की मदहोशी छाने लगी थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर वहां से हटाकर वापिस अपने पेट पर रख दिया और अपना हाथ वापिस हैंडल पर ले गया क्योंकि स्कूटी की स्पीड कम हो गई थी।
मैं: सोनल यार! आराम से बैठों ना, खामखां एक्सीडेंट हो जायेगा।
सोनल: एक्सीडेंट क्यों हो जायेगा, अपना धयान सामने रखों।
मैं: अब इस तरह की हरकत करोगी तो सामने धयान कैसे रहेगा।
सोनल: क्यों मैंने क्या किया। मैं तो बस थोड़ी छेडछाड कर रही हूं।
मैं: तुम थोड़ी छेडछाड कर रही हो, पर मुझे प्रॉब्लम तो ज्यादा हो रही है।
सोनल: अच्छा तो जी जनाब को थोड़ी सी छेडछाड में ज्यादा प्रॉब्लम हो रही है।
सोनल: वैसे मुझे तो बहुत मजा आ रहा है तुम्हें छेडते हुए।
मैं: मैं कोई लड़की थोडे ही हूं जो मुझे छेडने में तुम्हें मजा आ रहा है।
सोनल: तो मैंने कब कहा कि लड़की हो।
सोनल: अब लड़कियों को छेडने में तो लड़को को मजा आता है। लड़किया कों तो लड़कों को छेडने में मजा आयेगा ना।
मैं: हे भगवान! कैसा कलयुग आ गया है, अब तो लड़कियां लड़कों को छेडती हैं। लड़कों की इज्जत सलामत ही नहीं रही अब तो।
सोनल: हा हा हा, बहुत छेड लिया लडको नें लडकियों को, अब हम लडकों से सारा बदला लेकर रहेंगी।
मैं: एक कहावत है कि चाहे आलू चाकू पर गिरे या चाकू आलू पर गिरे, कटना तो आलू को ही है।
सोनल: अच्छा! तो इसका इस बात से क्या मतलब हुआ।
मैं: मैं तो तुम्हें इंटेलीजेंट समझता था, तुम्हें इतना भी समझ में नहीं आया।
सोनल: अब ज्यादा पतलून मत उतारो, समझाओं मुझे।
मैं: अब लडके लडकियों को छेडे या लडकिया लडकों को छेडे, मजा तो लडकों को ही आना है।
सोनल: ऐसा नहीं है, लडकियों को भी मजा आता है छेडने में।
मैं: वो तो छिडवाने में भी आता होगा।
सोनल: नहीं आता।
और सोनल ने अपना हाथ फिर से मेरी शर्ट और बनियान को हटाकर मेरे पेट पर रख दिया और अपनी एक उंगली मेरी नाथि में डालकर मसाज देने लगी।
सोनल की उंगली ने जैसे ही मेरी नाभि में टच किया, मेरे मुंह से आह निकल गई।
सोनल: बड़ा मजा आ रहा है छिडवाने में।
मैं: बस पूछो मत, मन तो कर रहा है कि यहीं कहीं साइड में स्कूटी खडी कर दूं और तुम ऐसे ही छेडती रहो।
सोनल: चुपचाप ड्राइव करते रहो।
थोड़ी ही देर में हम बापू नगर पहुंच गये और मैंने स्कूटी को अपने बॉस के घर की तरफ घुमा दिया और घर के बाहर जाकर स्कूटी रोक दी। सोनल नीचे उतरी और मैं भी स्टैंड लगाकर नीचे उतर गया।
मैं: ओके मेरा डेस्टिनेशन आ गया, सफर को इतना मजेदार बनाने के लिए थेंक्स।
मेरी बात सुनकर सोनल थोडा शरमा गई और अपनी नजरे नीचे झुका ली। तभी मुझे पीछे से अपूर्वा भी अपनी स्कूटी पर आती हुई दिखाई दी।
मैं (सोनल की तरफ देखते हुए): लो, अपूर्वा भी आ गई।
मेरी बात सुनकर सोनल ने पीछे देखा।
सोनल: ये है अपूर्वा, ओह माई गोड ये तो बहुत सुंदर है। मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे बीच कुछ नहीं होगा। जरूर तुम्हारे बीच में कुछ तो होगा ही।
इतने में अपूर्वा भी हमारे पास पहुंच गई। अपूर्वा ने अपना हेलमेट उतारा और स्कूटी की सीट के नीचे रख दिया और हमारे पास आकर खड़ी हो गई।
सोनल: हाय अपूर्वा!
अपूर्वा (थोड़ी असमंझस के भाव अपने चेहरे पर लोते हुए): हाय!
अपूर्वा के चेहरे पर थोड़ी असमंझस देखते हुए मैंने कहा: अपूर्वा, ये हैं सोनल।
अपूर्वा: ओह, तो ये हैं सोनल जी, वाव आप तो बहुत खूबसूरत हैं।
सोनल: पर आपसे ज्यादा नहीं। आप तो सच में एक दम परी लग रही हैं।
अपूर्वा ने व्हाइट कमीजऔर चूडीदार सलवार पहन रखी थी। वाकई में अपूर्वा इस ड्रेस में एकदम परी की तरह बहुत ही प्यारी लग रही थी।
अपूर्वा: अरे ये तो आपका बडपन है, नहीं तो आप मुझसे ज्यादा खूबसूरत हैं।
मैं: सच अपूर्वा, तुम एकदम परी की तरह बहुत ही प्यारी लग रही हो।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा का चेहरा एकदम लाल हो गया और उसने अपना चेहरा नीचे झुका लिया।
सोनल अपूर्वा की तरफ ही देखे जा रही थी। उसकी नजरे अपूर्वा पर से ही हट ही नहीं रही थी।
मैंने सोनल को छेड़ते हुए कहा: क्या हुआ, लगता है पसंद आ गई अपूर्वा जी आपको। कहीं शादी करने का मूड तो नहीं बन गया है, अपूर्वा के साथ।
सोनल: बकवास मत करो! मैं कोई लेस्बो नहीं हूं, जो किसी लड़की से शादी करूंगी, पर हां अगर मैं लड़का होती तो तुरंत अपूर्वा से शादी कर लेती। सच में बहुत ही प्यारी है, एकदम गुड़िया के जैसी। (और सोनल ने अपूर्वा के गालों को हाथों से सहलाते हुए उसके गालों पर एक चुटकी काट ली।)
अपूर्वा के मुंह से हल्की चीख निकल गई।
मैं: अरे यार! गुडिया भी कह रही हो और उपर से काट भी रही हो। थोडा तो रहम करो।
सोनल: अच्छा जी! ब्हुत दया आ रही है।
मैं: आये क्यों, ना देखों, मेरी प्यारी सी दोस्त के गाल पे कैसा लाल निशान कर दिया।
सोनल: हां, हां, प्यारी सी दोस्त। मैं सब समझती हूं, प्यारी सी दोस्त का मतलब।
सोनल की बात सुनकर अपूर्वा का चेहरा फिर से लाल हो गया, और उसने अपने नजरे वापिस से नीचे झुका ली।
मैं: ओके, अब चलो नहीं तो कॉलेज के लिए लेट हो जाओगी।
सोनल: अच्छा मुझे भगाना चाहते हो, यहां से। मैं कभी कॉलेज लेट नहीं होती। अभी कॉलेज के लिये टाइम ही टाइम है। मैं तो प्यारी सी परी से बढिया तरह से मिलकर जाउंगी।
सोनल: हाय मेरी प्यारी सी गुडिया, चल ना कहीं रेस्टोरेंंट में चलते हैं थोड़ी देर के लिए, वहां खूब गप्पे लड़ायेंगे।
तभी बॉस की गाड़ी हमारे पास आकर रूकी।
अपूर्वा: लो, हो गई छूट्टी, अब तो सीधा ऑफिस में ही घुसना पड़ेगा।
अपूर्वा की बात सुनकर मैं हंस दिया।
क्रमशः.....................
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