RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--8 गतान्क से आगे.................... ये कह कर दीपा बेड पर टाँगे फैला कर लेट गयी. दीपा- चलो अब शुरू भी हो जाओ. मेरी टाँगे थक जाएँगी. ... आशु- एक बार फिर सोच लो. शादी से पहले ये सब... दीपा (मेरी बात काटते हुए बोले)- शादी के पहले हो या बाद मे. होना तो हम दोनो के बीच ही है ना. ज़रा सोचो मेरी तो इज़्ज़त लूट ही गयी थी ना, अगर तुम नही बचाते. अब इस शरीर बस तुम्हारा ही तो है. अगर मैं तुम्हे पसंद नही तो कोई बात नही. आशु- नही नही ऐसी बात नही है. दीपा- तो फिर मुझे प्यार करो ना. मैं तुम्हारी हू. जी भर कर प्यार करो मुझे. दीपा का शानदार जिस्म सामने बिछा हुआ अपनी पूजा करने के लिए मुझे आमंत्रित कर रहा था. उसकी आँखे मुझे ऐसे देख रही थी की जैसे खुद को प्यार करने के लिए मेरी मिन्नते कर रही हो. उसके दोनो हाथ अपने निप्पलो को सहला रहे थे. उसके आग्रह को देख कर मैने अपना लंड उसकी भूखी चूत के मुहाने पर लगा दिया. दीपा- प्लीज़ घुसा दो ना मेरी चूत मे प्लीज़. मैने भी सोचा अब बचने का कोई रास्ता नही है. मैने दीपा की टाँगो को अपने कंधो पर रखा और उसकी चूत पर रख कर अपने लंड के सूपदे का दबाव डाला. वो तो अब भी बिल्कुल टाइट थी. पर उसके रस के साथ मिक्स हो चुके आयिल ने अपना कमाल कर दिया. दीपा चिहुन्क उठी. सूपड़ा चूत के अंदर था और दीपा की हालत दुबारा पहले जैसी ही हो रही थी. उसने अपने को पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन मैने उसको कस कर पकड़ रखा था. दीपा- प्लीज़ जान एक बार निकाल लो. फिर डाल लेना. प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है. पर माने अभी नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और लंड उसकी फिर उसकी झिल्ली से जा टकराया. दीपा की तो चीख ही निकल गयी. कुछ देर इसी हालत में रहने के बाद जब दीपा की चूत मेरे लंड की आदि हो गयी तो दर्द कम होने लगा. जैसे-जैसे दर्द कम हो रहा था उस पर मस्ती सवार हो रही थी. उसकी चूत मे अजीब सी कसक उठ रही थी. इसी मस्ती की तान मे दीपा ने सिसकारी लेते हुए अपनी गंद को उचका दिया. दीपा की इस हरकत से मेरे भी तन-बदन मे आग लग गयी. दीपा का सिग्नल पाकर मैने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और पूरे ज़ोर से अपने लंड का धक्का दीपा की चूत मे दे मारा. मेरा लंड दहाड़े मारता हुआ दीपा की चूत मे 8 इंच तक घुस गया था. मेरी आँखे मूंद गयी थी. मेरे लंड ने जन्नत का दरवाजा खोल लिया था. मुझे असीम आनंद मिल रहा था. दीपा की चूत बुरी तरह से टाइट थी और लंड एकदम पॅक हो चुका था. आख़िरकार मेरे लंड के इस प्रहार से दीपा की चूत की झिल्ली फट गयी थी और उसकी चूत पर मेरे लंड ने अपना नाम लिख ही दिया था. इधर दीपा को शुरू मे चूत के अंदर, जैसे किसी चींटी ने काट लिया हो, इतना ही दर्द हुआ था. उसको अपने कौमार्या भंग का अहसास हो चुका था. जैसे किसी बेलून मे किसी ने उंगली डाल कर फोड़ दिया हो. पर झिल्ली के फटने के बाद जब लंड उसकी चूत के अंत मे जाकर टकराया तो दीपा दर्द से बिलबिला उठी. वो उठ कर मुझ से लिपट गयी और मुझे कसकर पकड़ लिया. दीपा मुझे बिल्कुल हिलने नही दे रही थी. थोड़ी देर तक हम इसी पोज़ मे रहे. अंततः दीपा की टाइट चूत ने मेरे लंड को जगह देना आक्सेप्ट कर ही लिया. जिससे उसका दर्द कम होने लगा. आशु- मैने तो कहा था कि बहुत दर्द होगा. दीपा- मेरी जान इस दर्द के बाद जो मज़ा आएगा उसकी सोचो. यह कह कर दीपा फिर बेड पर लेट गयी. मैने भी मौका अच्छा देख कर अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और पूरे ज़ोर से धक्का मार दिया. इस धक्के से दीपा बुरी तरह सिसक उठी- हाई रे, मेरी चूत. काट डाला तूने कसाई. अब दीपा की चूत गरम हो चुकी थी और मेरे मोटे लंड से चुदाई के लिए तैय्यार थी. मैने अपने दोनो हाथो मे उसके कबूतरो को पकड़ लिया और धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. पर दीपा की चूत बुरी तरह फदक रही थी. उसकी चुदास इतनी धीरे से बुझने वाली नही थी. वो अपनी गंद को उछालने लगी. उसकी इस हरकत को देख कर मैने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. उपर मैं दीपा के बूब्स को बुरी तरह मसल रहा था और नीचे दीपा की चूत की जबरदस्त चुदाई हो रही थी. हर बार लंड अंदर जाता और बाहर आ जाता. हर बार दीपा सिसक उठती. ...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी. धक्के दे जान मुझे... आह. तेज कर…आह…. कभी मत निकालना इसको ... मेरी चूत ...आ ...फाड़ दो इसको…कब से परेशान कर रखा है….आज छोड़ना नही…सब कुछ लेलो….सब….तुम्हारा है…मज़ा आ गया... कमरे मे प्लॉत-प्लॉत की आवाज़े और दीपा की दर्द भरी सिसकारिया गूँज रही थी. उधर मेरा का भी यही हाल था. मैं उछल उछल कर दीपा की चूत मे लंड पेले जा रहा था कि अचानक दीपा ने ज़ोर से अपनी टाँगे भींच ली. उसका सारा बदन अकड़ सा गया था. उसने उपर उठकर मुझको ज़ोर से पकड़ लिया. उसकी चूत पानी छोड़ती ही जा रही थी. इससे मेरा का काम आसान हो गया था. अब मैं और तेज़ी से धक्के लगाने लगा. पर अब दीपा गिड०गिदाने लगी- प्लीज़ अब निकाल लो. अब सहन नही हो रहा. दीपा की सिसकारिया चीखो मे तब्दील हो चुकी थी. पर मस्त हाथी को कोई रोक पाया है कभी ? मुझे तो दीपा पर दया आ रही थी पर मेरा लंड अब मेरे काबू मे नही था. वो बस एक ही काम जानता था और वो उसे बखूबी कर रहा था. 2 मिनिट तक पूरी बेरहमी से चुदने के बाद दीपा फिर से अपनी गंद उछालने लगी. अपनी चूत की अनवरत चुदाई से वो फिर से गरम हो गयी थी. फिर सिसकने लगी थी. इसी प्रकार मैं दीपा की चूत को आधे घंटे तक बिना रुके रोन्द्ता रहा. कभी धीरे, कभी तेज. जैसे जैसे दीपा के चेहरे पर भाव आते जाते वैसे ही मेरी रफ़्तार बदलती जाती. अब तक दीपा कम से कम 6 बार पानी छोड़ चुकी थी. मेरा भी टाइम आ चुक्का था. मैने अपना लंड दीपा की चूत से बाहर निकालना चाहा पर दीपा बोली- अपना रस मेरे अंदर ही निकाल दो जान. अंत करीब जानकार मैने ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. दीपा भी बुरी तरह चीख रही थी. फिर मैं ज़ोर की दहाड़ मार कर दीपा के उपर ही ढेर हो गया. मेरा लंड दीपा की चूत मे अपना रस उडेल रहा था और बाहर सरक रहा था. दीपा की छोटी सी चूत मे से वीर्य निकल कर बहने लगा. दीपा और मेरे दोनो को अपनी मंज़िल मिल चुकी थी. दीपा- आइ लव यू मेरी जान. मुझे नही पता था कि इसमे इतना मज़ा आता है. आशु- हा मेरी जान. आज तो शुरुआत है. सुबह उठा तो दीपा मुझ से चिपकी हुई थी. पूरी रात दीपा ने मुझे सोने नही दिया था और अब घोड़े बेच कर सो रही है. दीपा के सुंदर जिस्म का जितना बखान करू कम है. जब भी मैं उसे देखता तो अपने आप सहलाने लगता. मेरे सहलाने से थोड़ी देर मे ही दीपा की नींद खुल गयी. पर रात का नशा अभी उसकी आँखो से गया नही था. उठते ही अपने होठ मेरे होंठो पर रख कर किस किया और बोली- गुड मॉर्निंग जान. आशु- मेम, मेरी गन ने आख़िरकार आपके लाल-किले का दरवाजा तोड़ ही दिया. अब तो खुश है आप. मेरे लंड की ओर देख कर दीपा बोली- ये गन नही पूरी तोप है. मेरा तो पूरा लाल-किला ही तहस-नहस हो गया. आशु- छोटी सी कोठरी को लाल-किला कहती हो. मेरा तो बुरा हाल हो गया था. दीपा- तभी इतना उछल-उछल तोप चला रहे थे. आशु- जब भगवान ने तोप दे रखी है तो काहे का डर. दीपा- तुम अपने साथ ये तोप लेकर क्यो घूमते हो. इसका लाइसेन्स भी है तुम्हारे पास ? दीपा हंसते हुए बोली. आशु- हथियार तो रखना ही पड़ता है. पता नही कब इज़्ज़त पर ख़तरा आ जाए. दीपा- अच्छा जी. कही भी इस्तेमाल कर लेते हो इसे. हुम्म. आशु- नही कल पहली बार ही नौबत आई थी. दीपा- अच्छा जी. तो तुम्हारी इज़्ज़त लूटी जा रही थी. आशु- और नही तो क्या. मैं तो मना ही कर रहा था. दीपा- तो तुम्हारी मर्ज़ी नही थी. मैने तुम्हारी इज़्ज़त लूट ली, क्यो ? आशु- तुम ही मेरे उपर चढ़ गयी थी. दीपा- और वो मेरी चिड़िया को किसने मारा था. आशु- तो उसके बदले तुमने मेरा लंड भी तो चूस लिया था. दीपा- कभी किसी लड़के की भी इज़्ज़त लूटती है भला. .... ऐसे ही काफ़ी देर तक हम दोनो मे चुहलबाजी चलती रही. आइए दोस्तो अब इधर देखते हैं की अपने बबलू के साथ क्या हो रहा है..................... बबलू ने श्याम द्वारा दिए गये जॉब पर लिखे पते को पढ़ा. ये बांद्रा का पता था. उसने टॅक्सी पकड़ी और बांद्रा पर पहुच गया. बांद्रा मुंबई के सबसे पॉश इलाक़ो मे से एक है. बांद्रा मे बबलू को लिबास बुटीक मे पहुचना था. थोड़ा ढूँढने के बाद वो लिबास पहुच गया. लिबास के गेट साथ ही शोकेस मे बहुत ही सुंदर इंडो-वेस्टर्न ड्रेसस मॅनिकिन्स ने पहनी थी. लिबास को बाहर से देखने से ही पता चलता था कि यहा अप्पर क्लास के कस्टमर ही आते होंगे. गेट मे घुसते ही एकदम ठंडी हवा के झोंके ने उसे पूरा तरो-ताज़ा कर दिया. अंदर की सजावट शानदार थी. घुसते ही सामने गणेश जी की बड़ी सी मूर्ति थी. लिबास के अंदर की दीवारो पर भी बढ़िया सजावट की गयी थी. अंदर कम रोशनी थी, पर मॅनिकिन्स पर स्पॉट लाइट पड़ रही थी. अंदर कुल 4 लड़किया थी. 3 रॅक्स के पास काम कर रही थी और एक पेमेंट काउंटर पर थी. चारो ही लगभग साधारण नैन-नक्श की मालकिन थी. पर उनके कपड़े अट्रॅक्टिव थे. बुटीक के अंदर कस्टमर कोई नही था. बबलू सीधा पेमेंट काउंटर पर बैठी लड़की पास पहुचा. लड़की- यस. हाउ कॅन आइ हेल्प यू ? बबलू- मैं टेलर की जॉब के लिए आया हू. फिर उसने अपना जॉब-कार्ड लड़की को दे दिया. लड़की- ओह तो तुम टेलर की जॉब के लिए आए हो. ठीक है. पर शमा मेडम अभी आई नही है. तुम वाहा बैठ जाओ. वो आने वाली ही है. बबलू- ठीक है. क्रमशः......
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