RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--7 गतान्क से आगे.................... दीपा- क्या बात है. तुम्हारी गन तो फिर से लोड हो गयी. ऑटोमॅटिक है क्या ? आशु- मेडम जी. एक तो पहले ही आप इस बिकिनी मे कहर ढा रही हो , उपर से आपकी ये कातिल अदाए. उफ्फ. गन तो रिलोड होनी ही थी. दीपा अपनी तारीफ सुन कर फूली नही समा रही थी, जो उसके खिल उठे चेहरे से जाहिर था. दीपा- ओह. तो तुम्हारी गन मेरे कारण लोड हो गयी है. ये बस ऐसे ही लोड होती रहती है या कभी चलाई भी है. आशु- पहले कभी चलाई तो नही, पर मुझे पता है कि कैसे चलती है. आपको सीखना है क्या ? मैने सच को छुपाना ही ठीक समझा. दीपा- ह..हा..वही सीखने तो तुम्हारे पास आई हू. प्लीज़ सीखा दो ना. आशु- मेडम जी. ये इतना आसान नही है. दीपा- तो मैं कब मना कर रही हू. मुश्किल चीज़े सीखने मे ही तो असली मज़ा है. आशु- मेडम जी. आपको बहुत दर्द होगा. दीपा- तुम्हे अपना बनाने के लिए मैं कुछ भी सहन कर लूँगी. आशु- आप समझ नही रही. इतना दर्द होता है कि जान ही निकल जाती है. दीपा- एक लड़की के लिए उसकी इज़्ज़त जान से बढ़ कर होती है. जब मैं वही तुम पर लूटा रही हू तो जान की किसे परवाह. आशु- तो तुम पक्का फ़ैसला करके आई हो. दीपा- हा..अब ज़बान नही अपनी गन चला कर दिखाओ मेरी जान. दीपा मेरी बगल मे आकर लेट गयी और मेरी पहल का इंतेजार करने लगी. मैं डरते हुए उसकी टाँगो के बीच पहुच गया. दीपा का शानदार हुस्न देख कर सारा डर मेरे दिमाग़ से गायब हो गया. मैं बस बिकिनी टॉप और शॉर्ट जीन्स मे से बाहर झाँकते दीपा के अनुपम सौंदर्या को निहारने लगा. दीपा बेसब्री से मेरा इंतेजर कर रही थी. दीपा- क्या हुआ...कुछ करो ना. मैं दीपा के उपर आ गया पर उसे तो छुआ नही. फिर मैने उसकी बिकिनी मे उभरे हुए एक निपल को होंठो मे दबा लिया. मेरी इस पहली हरकत से ही उसकी आँखे बंद होने लगी. धीरे-धीरे मेरे होठ और जीभ उसके दोनो बूब्स के हर उतार-चढ़ाव का रासा-स्वादन करने लगे. इसी बीच पता नही कब, बेचारी छोटी सी बिकिनी के दोनो कप साइड मे सरक गये और दीपा के गुलाबी निपल उजागर हो गये. मेरी जीभ दीपा के छोटे से निप्पलो से खेलने लगी. कभी उपर नीचे चाटती तो कभी बेरेहमी से दबा देती. निप्पलो पर हुए प्रहारो से दीपा जबरदस्त गरम हो गयी थी. उसकी टाँगे एक दूसरे को मसल रही थी और मूह से सिसकारिया निकल रही थी. दीपा- प्लीज़ इनको दबाओ ना. दीपा के सॉलिड बूब्स मे कुलमुलाहट हो रही थी, जो केवल बुरी तरह मसल्ने से ही मिट सकती थी. पर मैने उन्हे छुआ तक नही और उन्हे उसी हालत मे छोड़ दिया. फिर उसके जिस्म को चाटते हुए नीचे की और जाकर दीपा की नाभि (नेवेल) को चाटने लगा. मैं और नीचे उसके तालपेट (लोवर स्टमक) को चाटने लगा. अब आगे दीपा की शॉर्ट जीन्स थी. मैने उसका बटन खोल कर ज़िप नीचे कर दी. उसके बाद जीन्स दीपा के घुटनो पर पहुच गयी. दीपा की चूत एकदम गीली थी. चूत पानी से चमक रही थी. उसकी गुलाबी चूत के दर्शन कर के मैं एक बार फिर धन्य हो गया था. मेरा लंड बार-बार फन्फना कर दीपा की चूत को सलामी दे रहा था. अब मुझे कोई रोक नही सकता था. मैने उसकी जीन्स को निकाल कर फेंक दिया और उसकी टाँगो को पूरी तरह खोल दिया. उसकी चिड़िया एकदम लाल हो चुकी थी. मैने दीपा की चूत के छेद मे अपनी एक उंगली डालनी चाही पर वो एक इंच से ज़्यादा अंदर नही घुस पाई. मैं उसकी मखमली चूत की कोमलता पर ज़ोर-आज़माइश नही कर पा रहा था. पर मेरी इस हरकत ने दीपा की चूत की आग को बुरी तरह भड़का दिया. वो अपनी गंद उछाल कर मेरी उंगली को चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी. दीपा- इंतेजार किसका कर रहे हो ? अरे डरो नही एक ज़ोर का धक्का दो और अपनी गन लेकर मेरी प्रेम-गली मे घुस जाओ ना. मैं दीपा की बात पर मुस्कुरा उठा और अपनी उंगली को उसकी चूत मे थोड़ा अंदर कर दिया. दीपा- क्यो तड़पा रहे हो. प्लीज़ करो ना. दीपा उत्तेजना की अतिरेक्ता से बहाल हुए जा रही थी. पर मुझे पता था की ये सब इतना आसान नही होगा. जब दीपिका मेडम जैसी एक्सपीरियेन्स्ड औरत का बुरा हाल हो गया था तो दीपा की क्या बिसात है. उसकी चूत के छेद मे तो उंगली घुसने की जगह है नही, मेरा लंड कैसे घुसेगा. आशु- मेमसाहब, आपकी प्रेम-गली ये मेरी गन नही उंगली फँसी हुई है. आपके छेद मे मेरी गन के लिए जगह नही है. दीपा ने हैरानी से अपनी आँखे खोली और अपनी चूत की तरफ देखने लगी. दीपा- हा. तो तुम मुझसे मज़े ले रहे हो. गन-वन चलानी नही आती तो लोड क्यो करते हो. हाए कितनी शानदार गन है...पता नही तुन्हे कैसे मिल गयी. अब तुम रहने दो और यहा पर लेट जाओ और इस गन को इधर लाओ. मैं खुद ही चला लूँगी. यह सुन कर मुझे दीपिका मेडम वाला सीन याद आ गया. फिर मैने सोचा इस बेचारी को भी अपने मन की पूरी कर लेने दो भाई. आशु- अच्छा एक बात तो बता दो...ये आक्सिडेंट कैसे हो गया ? दीपा- वो तो बस नाटक था...तुम्हारी नीयत को टेस्ट करने के लिए. आशु- अच्छा जी. टेस्ट का क्या रिज़ल्ट निकला ? दीपा- वो मैं तुम्हे बता चुकी हू. तुम फर्स्ट क्लास फर्स्ट आए हो. आशु- ठीक है तो मेरा इनाम कहा है ? दीपा- इनाम तुम्हे अवॉर्ड सेरेमनी मे दिया जाएगा. आशु-अब ये सेरेमनी कब ऑर्गनाइज़ होगी. दीपा- वही तो ऑर्गनाइज़ कर रही हू मेरी जान. यह कह कर दीपा मेरे उपर सवार हो गयी. दीपा- तुम्हारी इस गन का नाम तो बता दो. तुम इसे क्या कहते हो ? आशु- मेरा नाम तो पूछा नही मेरी गन का नाम क्यो पूछ रही हो. दीपा- तुम्हारा इनाम इसी गन के द्वारा ही तो दिलवाया जाएगा ना, इसीलिए. आशु- इसको लंड कहते है जानेमन. आपके छेद का नाम पूछ सकता हू ? दीपा- मैने तो कोई नाम नही रखा पर मेरी फ्रेंड्स इसको चूत कहती है. छी ! कितना गंदा सा नाम है ना. आशु- जो है सो है. वैसे आपके इन कबूतरो को किस नाम से पुकारा जाता है, वो भी बता ही दो ? दीपा- हा इनका नाम तो तुम पूछोगे ही. सब मर्दो की नज़र चेहरे से पहले इन्ही का साइज़ तो चेक करती है. सब इन्ही पर मरते है. कोई इन्हे बूब्स कहता है कोई मुम्मे. और भी बहुत नाम है, इनके. आशु- ठीक है. चलो अब सो जाते है. बहुत रात हो गयी है. दीपा- ये तो धोखा है. मैने इनाम देने के लिए पूरी सेरेमनी ऑर्गनाइज़ कर दी है. अब तुम भाव खा रहे हो. . आशु- मेरी जान तुम्हे बहुत दर्द होगा. दीपा- मेरी सब फ्रेंड्स अपने बाय्फरेंड्स के साथ सेक्स करती है. उन्हे तो बड़ा मज़ा आता है. उनकी बाते सुन-सुन कर मेरे पागल हो गई हू. सब की चूत मे उनके बाय्फरेंड्स के लंड डेली घुसते है. उन्हे तो कभी दर्द नही होता फिर मेरी चूत मे क्या कमी है. आशु- तुम शर्त लगा लो. तुम्हारी चूत मे मेरा लंड नही घुसेगा. दीपा- ठीक है अगर तुम जीते तो जो तुम कहोगे वो दूँगी. हारे तो जो मैं कहूँगी वो देना पड़ेगा. आशु- मैं तो अब तुम्हारा हो गया हू. मेरा क्या है जो मैं दूँगा. दीपा- ज़यादा बाते नही. बोलो शर्त लगाते हो. आशु- चलो डन. इसके बाद दीपा बेड से उतर कर बाथरूम मे गयी और एक बॉटल ले आई. उसने उसकी कॅप खोली और तेल मेरे लंड पर उडेल दिया. थोड़ा उसने अपनी उंगली से अपनी चूत के अंदर भी लगा लिया. दीपा- ये शर्त तो मैं जीत कर रहूंगी. दीपा फिर मेरे उपर चढ़ गयी और अपनी चूत मेरे लंड पर टीका दी. फिर उसने अपने दाँत कस कर भीच लिए और अपने शरीर का भार मेरे लंड पर छोड़ दिया. आआआआआआआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययईईईईईईईईईईई-एक कानफ़ादू चीख आई. एक ही झटके मे मेरा लंड दीपा के अंदर 3 इंच तक घुस चुका था. आयिल की चिकनाई से लंड चूत के कुछ अंदर तक फिसल गया था. पर 3 इंच तक जाने के बाद चूत के अंदर किसी दीवार ने उसका रास्ता रोक लिया. दीपा की मस्त टाइट चूत मे घुस कर मेरा लंड निहाल हो गया था. उधर दीपा की आँखे अपने कटोरो से बाहर निकलती सी लग रही थी. उसकी साँस भी रुक सी गयी थी. वो बिना हीले 2 मिनिट तक ऐसे ही चढ़ि रही. मेरा लंड चारो और से पड़ रहे दबाव से झानझणा रहा था. थोड़ी देर बाद दीपा का दर्द कम हुआ तो उसकी जान मे जान आई. आशु- क्या हुआ ? दर्द हो रहा है. दीपा- तुम तो चुप ही रहो. देखो घुसा कि नही. ऐसे घुसाते है. अब ये ट्रैनिंग याआद रखना. आशु- तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी. तुम्हे दर्द होगा इसलिए मैं हिचकिचा रहा था. पर तुमने तो एक झटके मे ही... दीपा मेरे मूह पर हाथ रख कर बोली- ज़्यादा बाते नही...अब मैने इतना घुसा दिया है. बाकी काम तुम करो. आशु- क्यो ? दीपा- मैने अपना हाइमेन अपने पति के लिए सलामत रखा था. आशु- अब ये हाइमेन क्या है ? दीपा- ये हर लड़की की चूत मे होती है. उसके वर्जिन होने की निशानी. आशु- मैं समझा नही. दीपा- ऊफफो...तुम बस ये समझो कि ये लाल-किले का दरवाजा है, जो तुम्हे अपनी गन से तोड़ना है. बसस्स. ये कह कर दीपा बेड पर टाँगे फैला कर लेट गयी. दीपा- चलो अब शुरू भी हो जाओ. क्रमशः.........
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