RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
टॉप और ब्रा के बीच उसकी क्लीवेज भी सॉफ दिखाई दे रही थी. इस हालत मे मैने दीपा को जगाना ठीक ना समझा. मैने वापस गेट के बाहर जाकर पुकारा- दीपा मेम. पर कोई हलचल नही हुई. हिम्मत जुटा कर अंदर गया और पुकारा- दीपा मेम. फिर वही हालात. मैने दीपा को हल्के से हिलाकर फिर पुकारा. पर कोई फायेदा नही. दीपा का कमसिन जिस्म देखकर मेरी हालत फिर सुबह जैसी होती जा रही थी. मेरा लंड पूरे जोश मे आ चुका था और बुरी तरह फदक रहा था. टट्टो मे भी दर्द बढ़ता जा रहा था. अब मैने दीपा को ज़ोर से हिलाया. पर वो तो जैसे बेहोश पड़ी थी. उसकी कलाईयो पर कई जगह छोटे-छोटे लाल निशान बने थे. अब मैं खुद को रोक नही पा रहा था. अब कोई चारा नही था. मैं बेड पर दीपा के बगल मे लेट गया. सब कुछ अपने आप हो रहा था. मेरी नज़र दीपा की क्लीवेज पर गढ़ी हुई थी. इतने साल जो चीज़ देख कर ललचाते थे, वो आज मेरे सामने पड़ा था. हिम्मत और डर दोनो बढ़ते जा रहे थे. फिर धीरे से अपनी उंगली दीपा की क्लीवेज पर फिरा दी. पहली बार उस जगह का स्पर्श पाकर मैं बहकने लगा. अब मेरे हाथो ने उसके बूब्स को कपड़ो के उपर से ढक लिया था. फिर मैं दीपा के योवन-कपोत (बूब्स) को धीरे-धीरे दबाने लगा. इधर मेरे हाथो का दबाव दीपा के बूब्स पर बढ़ता उधर मेरी साँसे और लंड फूलते जाते. फिर मैने उसके टॉप के स्ट्रॅप्स खोल दिए. अब दीपा केवल ब्रा मे थी. ऑरेंज रंग की ब्रा मे उसके बूब्स किसी टोकरी मे रखे सन्तरो की तरह लग रहे थे. मैने उसकी क्लीवेज पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की. दोनो हाथो से उसके बूब्स भीच रहा था. थोड़ी देर तक उपर से दबाने के बाद मैं बदहवास सा हो गया था. मुझ बेचारे को क्या पता था कि बूब्स के अलावा भी एक लड़की के पास काम की चीज़े होती हैं. मैं तो इन्ही को देख-देख कर बड़ा हुआ था. इतना सब होने के बाद भी दीपा की तंद्रा (नींद) नही टूटी और मेरी हिम्मत और ज़ोर मारने लगी. अब मैने धीरे से अपना दाया हाथ दीपा की ब्रा मे सरकया. अंदर जाकर मेरे हाथ की उंगलियो के पोर (फिंगर-टिप) उसकी छोटी सी निपल से टकराया. थोड़ी देर मे उसका निपल मेरी दो उंगलियो के बीच फँसा था. मैं उस निपल को मसल्ने लगा. अपने निपल्स के साथ छेड़खानी दीपा सहन नही कर सकी और हरकत करने लगी. उसकी टाँगे मसल्ने लगी और मुँह से इश्स..स.सस्स की आवाज़े निकलने लगी. दीपा का हाथ अपनी जाँघ के बीच पहुच गया और धीरे-धीरे जाँघो के बीच मसलने लगा. जैसे-जैसे वो मसल्ति जाती वैसे-वैसे उसकी सिसकारिया तेज हो रही थी. अचानक एक तेज आवाज़ सुनाई दी- आशु...कॉफी... मैं एक झटके मे बेड से उछल कर खड़ा हो गया. और भागता हुआ किचन मे पहुचा. कॉफी मेकर का स्विच ऑन किया. 5 मिनिट बाद मैं कॉफी ट्रे मे लेकर मेडम के पास खड़ा था. क्रमशः............
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