RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
स्टीव का लंड अब रोब से बाहर खनक रहा था. ऋतु उसको अपने हाथों से सहला रही थी. दोनो के होंठ मिल चुके थे और स्टीव ऋतु के होंठों का आछे से मज़ा ले रहा था. उसके होंठों ऋतु के होंठों पे थे, गर्दन पे थे.. छाती पे थे… उसके हाथ ऋतु के बदन को एक्सप्लोर कर रहे थे. तभी एक झटके से वो ऋतु से अलग हो गया. अपना ड्रिंक ख़तम किया और ऋतु को घुमा के बाल्कनी की रेलिंग के साथ खड़ा कर दिया. ऋतु नीचे लोगों को देख रही थी. उसके बूब्स रेलिंग से बाहर लटक रहे थे. अभी भी उसके बदन पे सारे कपड़े थे. स्टीव उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसने अपने हाथ ऋतु की कमर पर रखे और वहाँ से धीरे धीरे सरकता हुआ नीचे उसके आस पे ले गया.
ऋतु को यह बहुत ही उत्तेजक लग रहा था. दोनो बाल्कनी में खड़े थे खुले में और कोई भी बीच से ऋतु को देख सकता था. स्टीव क्यूकी ऋतु के पीछे था इसलिए वो सबको नही दिख रहा था. स्टीव के रोब से झाँकता हुआ उसका बेकाबू लंड ऋतु के चूतडो के बीच चुभ रहा था. स्टीव ने पीछे से हाथ आगे बढ़ाए और ऋतु के बूब्स को जकड़ा. ऋतु डर गयी. अगर कोई नीचे से उपर देखता तो उसको स्पष्ट दिख जाता की ऋतु के बूब्स पे किसी और के हाथ हैं.
ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हिलने नही दिया. ऋतु यही प्रार्थना कर रही थी भगवान से की नीचे से कोई उपर ना देखे और उसे ना पहचाने. स्टीव को इस सब में अजीब सा मज़ा आ रहा था.
स्टीव एक हाथ नीचे ले गया और ऋतु की ड्रेस को उपर खीचा. ऋतु ने पॅंटी और ब्रा तो पहनी थी ही नही… उसकी मस्त मुलायम और चिकनी चूत पे हाथ फिरते हुए स्टीव का लंड और भी तन गया था. अब स्टीव ने अपनी एक उंगली ऋतु की चूत में डाल दी. ऋतु आआअह करने लगी. वहीं दूसरी और स्टीव का लंड ऋतु के चूतडो के बीच की गहराई में जा बैठा था. स्टीव धीरे धीरे उपर नीचे हो रहा था और अपने लंड को दोनो मांसल चुतडो के बीच रगड़ रहा था.
ऋतु को कुछ डर कुछ मज़ा यह बसब का मिला जुला एहसास सा रहा था. उसे बाहर यह सब करने में आनंद आ रहा था. पकड़े जाने के डर से उसकी चूत भड़क रही थी. स्टीव की उंगलियाँ भी बहुत आछे से अपना काम कर रही थी. ऋतु को थोड़ा दर्द और थोड़ा मज़ा आ रहा था. बहुत दीनो से वो चुदी नही थी इसलिए चूत थोड़ी टाइट हो गयी थी. टाइट होने के बावजूद स्टीव की उंगलियाँ आराम से अंदर फिसल रही थी क्यूकी अब तक ऋतु 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.
ऋतु के हाथ अब पीछे गये और स्टीव के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगे. स्टीव का लंड पहले से ही तना हुआ था. बस अब उससे नही रहा गया. उसने वहीं बाल्कनी की रेलिंग पे ऋतु को थोड़ा सा आगे को झुकाया और उसकी टांगे फैलाने को बोला. स्टीव थोड़ा झुका और अपने लंड का सिरा ऋतु की चूत पर टीकाया. एक ज़ोरदार झटके के साथ की स्टीव का लंड ऋतु की चूत में था और ऋतु के मूह से एक चीख छूट गयी. काफ़ी लोग उपर देखने लगे. ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हटने ना दिया. नीचे खड़े लोगों को स्टीव नही दिख रहा था. एक दो बार उपर देखने के बाद लोग वापस अपने काम में लग गये.
स्टीव तो पहले से ही बेख़बर था उन लोगों के बारे में. उसको तो बस ऋतु की टाइट चूत का मज़ा लेना था. वो कस कस के झटके मारे जा रहा था. ऋतु ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसकी आँखों के किनारे से आँसू निकल रहे थे. स्टीव का लंड ऋतु की चूत की उन गहराइयो को छू रहा था जिनके होने का एहसास ऋतु को भी नही था.
15 मिनट की इस ज़बरदस्त चुदाई के बाद स्टीव ऑर्गॅज़म करने के लिए तैयार हुआ… उसके टटटे शॉर्ट होने लगे. उसने ऋतु की चूत से लंड निकाला और उसको घुटनो के बल बाल्कनी के फ्लोर पे बिठाया. ऋतु आँखें बंद करके बैठ गयी. उसे पता था स्टीव क्या करने वाला हैं. स्टीव ज़ोर से मूठ मारने लगा ऋतु के मूह के पास. थोड़ी ही देर में उसके वीर्य की एक तेज़ गर्म धार निकल कर ऋतु के चेहरे पे पड़ी. फिर एक और और उसके बाद एक और. यह सिलसिला करीब 1 मिनिट तक चलता रहा. स्टीव ने जो भी वीर्य स्टॉक में था सब का सब ऋतु पे न्योछार कर दिया. ऋतु का पूरा चेहरा स्टीव के लेस से सना हुआ था .. उसके बालों पे भी वही था और कुछ बहकर उसके गर्दन और छाती पे भी चला गया था.
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