RE: Hindi Porn Kahani रज़िया और ताँगे वाला
ये मेरी ज़िंदगी का वो कमज़ोर लम्हा था जब मैं हवस में बिल्कुल बेखुद होकर अपने बारे में, अपने सोशल-स्टेटस, अपने शौहर और बाकी सब कुछ भूल गयी थी। उस वक्त मेरे लिये सबसे ज्यादा अहमियत तो सिर्फ उस टाँगेवाले से ज़ोरदार चुदाई कि थी। शायद इसलिये कि मेरे शौहर तीन हफ्तों से दौरे पर गये हुए थे और आज इस टाँगेवाले के साथ मस्ती भरी छेड़छाड़ ने और उसके शानदार लण्ड ने मेरे अंदर बेतहाशा आग भड़का दी थी। मैं सारी हदें पार करके एक अजनबी गरीब टाँगेवाले से चुदवाने के लिये तड़प रही थी। किसी गरम और चुदासी कुत्तिया जैसी हालत थी मेरी। आखिरकार मुझे उस टाँगेवाले की ख्वाहिश के सामने झुकना ही पड़ा और मैंने उसके और उसके दोस्त के साथ ग्रुप-चुदाई के लिये रज़ामंदी दे दी। थ्री-सम चुदाई के ख्याल से मुझे सनसनी सी भी महसुस होने लगी थी। इंटरनेट पर ब्लू-फिल्मों में अक्सर ये सब देख कर मैं गरम हो जाया करती थी लेकिन हकीकत में खुद मुझे ये सब करने का मौका मिलेगा ये कभी नहीं सोचा था।
मेरे ऊपर झुककर मेरे चेहरे को ठोडी से पकड़ते हुए उसने फिर से एक बार पूछा, “चल बता - क्या तू हम दोनों दोस्तों से एक साथ चुदाने को तैयार है?”
उसकी आँखों में झाँकते हुए मैंने हाँ कहते हुए फिर रज़ामंदी जता दी। वो मेरी ठोडी पकड़े हुए भी मेरी हवस से गुलाबी आँखों में झाँक रहा था। लेकिन हैरानी तो मुझे ये हो रही थी कि अचानक उसका लहज़ा तबदील हो गया था और वो “मेमसाब” और “आप-आप” से सीधे “तू-तू” करने लगा था।
अभी भी मेरी ठोडी को पकड़े हुए उसने फिर मुझसे पूछा, “हम लोग तुझे कुत्तिया बना कर चोदेंगे एक साथ… अगर तुझे नहीं पसंद है तो अभी ना बोल दे… नहीं तो बाद में हम रुकेंगे नहीं!”
मैंने उसकी ये शर्त भी मंज़ूर कर ली लेकिन फिर मैंने अपनी एक शर्त भी उसे बता दी, “लेकिन पहले तू एक बार अपने इस मोटे लौड़े से मेरी चू रही चूत को रगड़-रगड़ के चोद के इसको ठंडा कर दे - फिर तू जो कहेगा वो मैं करने को तैयार हूँ!” मैं भी अब “तुम” से “तू” पर आ गयी थी। वो भी मेरी शर्त मान गया लेकिन एक बार फिर मुझे ताकीद कर दिया कि बाद में मुझे उन दोनों से एक साथ चुदवाना पड़ेगा।
इसके बाद वो फिर मेरे करीब आया और मेरी आँखों में झाँकते हुए बोला, “ले राँड! मेरे इस प्यारे लंड को अपने मुँह में ले कर चूस… और इसे फिर से खड़ा कर… टाँगे में तो तेरी अम्मा (सास) जाग गयी थी तो मज़ा नहीं आया था… पर यहाँ पर कोई नहीं आने वाला है!” मुझे भी और क्या चाहिये था। मैं भी तो बिल्कुल यही आरज़ू कर रही थी कि उसका अज़ीम लंड अपने लबों में ले लूँ। मैंने लपक कर उसे पकड़ लिया और बड़े चाव से उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। उसका लंड चूसते हुए मैं उसके चूतड़ों को दबाते हुए अपने लंबे नाखूनों से खुरच रही थी। उसका लण्ड फिर से सख्त होने लगा था। मैं दस मिनट तक चुप्पे मार-मार के इतनी ज़ोर-ज़ोर से उसका मोटा लंड चूसती रही की मेरे होंठ दुखने लगे।
वो अब ज़ोर-ज़ोर से कराहते हुए ये अल्फाज़ बोल रहा था, “चूस साली… और जोर से चूस मेरा लंड… तुझे शहर में ऐसा लौड़ा नहीं मिलेगा… ऊऊऊहहऽऽऽऽ येऽऽऽ मेरी गाँड भी सहला साली… आंआंऽऽऽऽ हाय क्या लौड़ा चूसती है तू… तूने तो राँडों को भी पीछे छोड़ दिया लंड चूसने में… हायऽऽऽऽ मेरी कुत्तिया… बस इसी तरह सेऽऽऽऽ!”
थोड़ी देर और अपना लंड चुसवाने के बाद उसने मुझे चूसने से रोक दिया, “बस बहुत हो गया अब… छोड़ मेरे लंड को नहीं तो इसका पानी ऐसे ही निकल जायेगा… फिर तेरी चूत प्यासी ही रह जायेगी!”
मैंने उसका लंड मुँह में से निकाला और उसके अंदाज़ में बोली, “साले! अगर अब मेरी चूत प्यासी रह गयी तो तेरे इस लंड को काट के अपने साथ ही ले जाऊँगी। ले - अब जल्दी से मेरी चूत चोद!” ये कहते हुए मैंने अपना लहंगा उतार फेंका और चटाई पे लेट कर अपनी चूत उसे दिखाते हुए बोली, “अब प्लीज़ जल्दी कर… देख कब से मेरी चूत प्यासी है… जल्दी से आ और अपने लण्ड से इसकी प्यास बुझा!”
मैं अब सिर्फ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी वहाँ लेटी हुई दो टके की रंडी की तरह उसके लंड की भीख माँग रही थी। वो मेरे करीब आया कुछ पलों के लिये मेरी खुली हुई दिलकश चूत निहारता रहा और फिर बोला, “मैंने गाँव में इतनी चूतें देखी और चोदी भी हैं पर एक भी तेरी चूत के जैसी नहीं थी… हाय क्या मक्खन के जैसी चूत है तेरी… और ये तेरी माँसल जाँघें… ये गोरी लंबी टाँगें और ऊँची ऐड़ी की सैंडल में ये प्यारे पैर… इन्हें देखकर तो नामर्दों का भी लंड खड़े होकर सलामी देने लग जायेंगे… हायऽऽऽ मैं मर जाऊँ तेरी इस अदा पर!”
उसकी महज़ बातों से मैं झल्ला गयी और बोली, “अबे चूतिये… अब चोदेगा भी या ऐसे ही खड़ा-खड़ा निहारता रहेगा और शायरी करता रहेगा… देख साले… मेरी चूत में आग लगी हुई है!” मैंने फैसला कर लिया था कि अगर वो मेरे साथ गंदे अल्फाज़ और गालियाँ इस्तेमाल कर सकाता है तो चुदाई के मज़े में इज़ाफे के लिये मैं भी वैसा ही करुँगी।
फिर वो मेरे ऊपर झुककर अपना लंड मेरी चूत में घुसाते हुए बोला, “अभी तेरी इस चूत की आग तो ठंडा कर देता हूँ मेरी रंडी… तू घबरा मत… तेरे पति ने तेरी चूत को नंगी करके क्या चोदा होगा मेरी जान!” जैसे ही उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पे लगाया तो उसका सुपाड़ा इस कदर गरम था कि मुझे लगा जैसे मैं बम की तरह फट पड़ुँगी। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में ढकेला तो मूश्किल से अभी वो अंदर घुसा ही था कि मुझे लगा वो मेरी चूत ही फाड़ डलेगा। मैं ज़ोर से चींखी, “अरे चूतियेऽऽऽ ज़रा धीरे से घुसा… क्या मेरी चूत को ही फाड़ डालेगा आज… प्लीज़ ज़रा धीरे से चोद ना!”
“अभी तो आधा भी नहीं घुसाया है… अभी से ही चिल्लाने लग गय़ी… साली जब पूरा घुस जायेगा तो क्या करेगी… ले और धक्के खा मेरी राँड… तुझे बहुत शौक है ना चुदाने का तो लेऽऽऽ!”
और उसके साथ ही उसने एक झटके में ही तमाम लंड मेरी चूत में घुसा दिया। एक पल के लिये तो मुझे लगा कि दर्द के मारे मेरी जान ही निकल जायेगी। मैं चिल्लाने लगी, “ओहहहऽऽऽ हायऽऽऽ अल्लाहऽऽऽऽऽ मर गयी… मैं तो आज नहीं बचुँगी… आज तो ये हरामी मुझे मार ही डालेगा… हायऽऽऽ प्लीज़ ज़रा धीरे-धीरे तो चोद ना!” लेकिन फिर कुछ देर में आखिरकार दर्द कम हो गया और मुझे उसके लंड के धक्कों का मज़ा आने लगा। वो अब मोतदिल रफ्तार से अपना लंड मेरी चूत में चोद रहा था।
अचानक वो बोला, “अरे कुत्तिया ऐसे क्यों लेटी हुई है… साली चल तू भी अपनी गाँड हिला नीचे से… फिर देख तुझे कितना मज़ा आता है!”
मैंने भी उसके लंड के धक्कों के साथ-साथ लय में अपने चूतड़ ऊपर-नीचे हिलाने शुरू कर दिये और ऐसे ही कुछ देर चुदाई ज़ारी रही। मुझे लग रहा था कि जैसे मैं ज़न्नत में हूँ। इतनी इशरत मैंने ज़िंदगी में पहले कभी महसूस नहीं की थी। वो मुझे लगातार एक मुस्तकिल रफ्तार से चोद रहा था। मैं जोर से चिल्लाते हुए बोली, “ले साले! तू भी क्या याद रखेगा कि कोई शहर वाली मिली थी तुझे चुदाने के लिये… हायऽऽऽ तेरे गाँव की दस औरतें भी मिल कर तुझे इतना मज़ा नहीं देंगी जितना मैं अकेले दूँगी! ऊऊऊऊहहहऽऽऽऽ मेरे खुदाऽऽऽ! हाय मेरे सनम… बस इसी तरह से मुझते चोदता रह… जन्नत का मज़ा आ रहा है!”
मुझे लग रहा था जैसे लंड की बजाय किसी ने लोहे का रॉड मेरी चूत में घुसेड़ रखा था। दर्दनाक तो था लेकिन फिर भी उसके साथ-साथ बेहद मज़ेदार एहसास था। ऐसा एहसास ज़िंदगी में पहले कभी नहीं हुआ था। मैं ये नहीं कह रही कि मैं अपने शौहर के लंड से मुतमैन नहीं थी लेकिन इस टाँगेवाले का बिना-खतना मोटा लंड मेरे शौहर के लंड से काफी बेहतर था। अचानक टाँगेवाले ने मेरी चूत में से अपना लंड बाहर खींच लिया। मुझे लगा कि मेरी चूत का खालीपन मेरी जान ही ले लेगा। उसने मुझे घूम कर घुटनों और हाथों के सहारे कुत्तिया वाले अंदाज़ में झुकने को कहा। चुदाई के अलग-अलग अंदाज़ों के बारे में टाँगेवाले की मालूमात देख कर मैं हैरान थी और मैंने उससे फूछा कि उसे ये सब कैसे मालूम है।
“हम लोग भी घाँव में अंग्रेज़ी नंगी फिल्मे/किताबें (मतलब की चुदाई की तस्वीरों वाली एलबम) देखते हैं! चल उठ और जल्दी से कुत्तिया बन कर दिखा!” मुझे थोड़ी घबराहट सी हुई क्योंकि वैसे ही उसका लंड काफी ज़हमत के साथ मेरी चूत में जा रहा था और अब इस कुत्तिया वाले अंदाज़ में तो मुझे यकीन था कि वो मेरी चूत फाड़ डालेगा क्योंकि वो अब ज्यादा अंदर तक मेरी चूत में घुसने के काबिल होगा। अब मैं उसे रोक भी नहीं सकती थी क्योंकि मैंने उसके हिसाब से चुदने का वादा जो किया था। मैं घूम कर कुत्तिया की तरह झुक गयी और उसने मेरे पीछे आकर मेरे चूतड़ सहलाने शुरू कर दिये। “आज तो मैं तेरी गाँड भी मारूँगा… हाय तेरी इतनी बड़ी गाँड देख कर तो मेरा दिल कर रहा है कि अभी इसी वक्त तेरी गाँड मार लूँ… पर क्या करूँ तुझे वादा किया है कि पहले तेरी चूत मारके तुझे पूरा तृप्त करना है! गाँड को बाद में देखेंगे!” ये कहते हुए उसने एक दफा फिर मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया।
इस दफा भी खुब दर्द हुआ लेकिन पिछली बार की तरह नहीं क्योंकि शायद मेरी चूत कुछ ज्यादा ही रस टपका रही थी। ये देख कर वो बोला, “अरे लगता है तेरा तो पानी छूट रहा है!” और उसने ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे चूतड़ों को भी वो सहलाते हुए ज़ोर-ज़ोर से भींच रहा था और उसने अपनी एक उंगली मेरी गाँड में डाल दी और गाँड को उंगली से चोदने लगा।
मैं मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी, “ओहहहहऽऽऽ चूतियेऽऽऽऽ थोड़ा और ज़ोर से धक्के मार… हाय बहुत मज़ा आ रहा है… लेकिन प्लीज़ मेरी गाँड में से अपनी उंगली निकाल ले… ओहहहऽऽऽऽऽ मममऽऽऽऽऽ आआआआहहहहऽऽऽऽऽ!” टाँगेवाला बोला, “अरे मेरी राँड! तू तो उंगली से ही घबरा रही है… अभी थोड़ी देर बाद मैं इसमें अपना लौड़ा घुसा दूँगा… तब क्या होगा!” अपनी कुँवारी गाँड में उसके मोटे लंबे लौड़े के घुसने के ख्याल से मैं कंपकपा गयी। मेरे शौहर ने कभी मेरी गाँड नहीं मारी थी। मेरी कमर पे आगे झुकते हुए उसने मेरा लटकता हुआ एक मम्मा अपने हाथ में ले लिया और उसे और निप्पल को मसलने लगा।
मस्ती में मैं भी खुद पे और काबू नहीं रख सकी और अपने जिस्म की तमाम आग और गर्मी अपनी चूत में दागने लगी। “हाय अल्लाहऽऽऽ… अब मेरा काम तो हो गया है मेरा तो पानी छूट गया… ऊऊऊहहहऽऽऽऽ मेरे खुदाऽऽऽऽ अब जल्दी कर तू भी!” जब उसे एहसास हुआ कि मेरा इखराज़ हो गया है तो उसने भी चोदने की रफ्तार तेज़ कर दी और चिल्लाते हुए बोला, “साली कुत्तिया… ले अब तो तेरा दिल भर गया ना… ले… अब मैं भी अपना पानी छोड़ता हूँ… हाऽऽऽऽ ओहहऽऽऽऽऽ हायऽऽऽ मेरी रानी… आहहहऽऽऽ मज़ा आ गयाऽऽऽऽ!” फिर उसने मेरी चूत में अपना गाढ़ा माल छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे कि अचानक मेरी चूत गरम पिघलते हुए लावा से भर गयी है। मुकम्मल तमानियत का एहसास था। ज़िंदगी में पहली दफा चुदाई में इस कदर तसल्ली महसूस की थी मैंने। कुछ वक्त के लिये मैं ऐसे ही पड़ी रही। अपनी भीगी और टपकती चूत को साफ करने के लिये उठने की भी ताकत नहीं थी मुझमें। मैं तो बस चुदाई के बाद के सुरूर के एहसास का मज़ा ले रही थी। ऐसे ही पड़े हुए मुझे पाँच मिनट हुए थे जब किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी।
टाँगेवाला बोला, “लगता है कि मेरा दोस्त… वही ढाबेवाला… बाहर खड़ा अपना लंड हिला रहा था और उससे अब और इंतज़ार नहीं हो रहा है… आने दो… उस बेचारे को भी बुला लेते हैं और तुझे भी अब अपने वादे के मुताबिक उस ढाबेवाले से चुदाना पड़ेगा… तो फिर साली… तू तैयार है ना हम दोनों का लंड एक साथ खाने के लिये?”
“हाँ बहनचोद! अब जो वादा किया है वो तो निभाना ही पड़ेगा ना… लेकिन एक बार मुझे अपने आपको ज़रा ढक तो लेने दे… नहीं तो पता नहीं तेरा दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेगा!” ये कहते हुए मैं अपनी चोली पहनने के लिये उठी तो टाँगे वाला मुझे चोली पहनने से रोकते हुए बोला, “अब कपड़े पहनने से क्या फायदा फिर पाँच मिनट के बाद तो खोलने ही हैं तो क्यों ये तकलीफ दे रही है अपने आप को… अगर ढकना ही है तो अपनी चुनरी से ढक ले!”
मुझे भी उसका मशवारा पसंद आया और तमाम कपड़े पहनने के बजाय मैंने चुनरी से खुद को ढक लिया और बगैर स्लिप (पेटीकोट) के अपना लहंगा पहन कर ढाबेवाले के लिये दरवाज़ा खोला। मैंने जब दरवाज़ा खोला तो टाँगेवाले का दोस्त मेरे जिस्म को मुँह खोले और आँखें फाड़े ऐसे देखता रह गया जैसे कि उसने ज़िंदगी पहले कोई औरत ना देखी हो। टाँगेवाले ने अपने दोस्त को अंदर बुलाया और बोला, “अबे चुतिये! इस तरह से क्या देख रहा है… ये कुत्तिया तो अब पूरी की पूरी हमारी ही है! इसे हम जिस तरह से भी चाहें चोद सकते हैं… गाँड मार सकते हैं… और… और जो कुछ भी करना चाहें कर सकते हैं… ये हमें ना नहीं बोल सकती। ले तेरे को इसके मम्मे दबाने हैं तो जा… बिंदास होकर इसके मम्मों को जी भर के दबा… ये तुझे कुछ भी नहीं बोलेगी… क्यों राँड… करेगी ना सब कुछ?”
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