RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर उसका चेहरा उतर गया और बोली- मैंने तुम्हें मेरे पास बैठने की सजा देने के लिए नहीं बुलाया है! जब तक मुझे नींद नहीं आ जाती तब तक क्या तुम मेरे पास बैठने के बजाय लेट कर बातें नहीं कर सकते।
इससे पहले कि मैं उसकी बात का कोई उत्तर देता नेहा ने अपनी दोनों टाँगे खड़ी करके चौड़ी कर ली जिससे उसकी नाइटी पूरी ऊँची हो गई और उसकी दोनों जांघे, जघन-स्थल और योनि पूर्ण रूप से नग्न हो गई थी!
टाँगें चौड़ी करने के कारण उसकी योनि के होंठ भी खुल गए थे और ऐसा लग रहा था की जैसे वह मुझे उसमे समाने का निमंत्रण दे रही थी!
ऐसा दृश्य देख कर कोई साधू संत भी उत्तेजित हो जाता, मैं तो सिर्फ एक साधारण इंसान ही था!
जब मैं अपने पर और अधिक संयम नहीं रख सका तब मैं उसके साथ वाले बैड पर उसकी ओर मुँह कर के लेट गया।
मेरे लेटते ही नेहा ने अपनी करवट मेरी और बदल ली और सरक कर बिल्कुल मेरे करीब आ गई।
उसके मेरी ओर करवट करके लेटने से उसकी नाइटी का गला नीचे लटक गया था और उसमें से मुझे उसके स्तन नज़र आने लगे थे!
उसके स्तनों में कसाव था और वह इतने सख्त थे की उसके झुकने के बावजूद भी उनमें कोई लटकन दिखाई नहीं दे रही थी।
मेरा मन कर रहा था कि मैं हाथ बढ़ा कर उसे दोनों स्तनों को पकड़ कर मसल दूँ लेकिन अपने पर नियंत्रण रख कर लेटा रहा।
कुछ देर वह जब कुछ नहीं बोली तब मैंने नेहा के चेहरे की ओर देखा तो पाया कि वह मेरे लिंग के कारण हुए मेरे पजामे के उभार को टकटकी लगा कर देख रही थी!
मुझसे रहा नहीं गया और उससे पूछा- क्या देख रही हो?
वह बोली- कुछ नहीं, तुम्हारा वह देख रही थी।
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मेरा क्या देख रही थी?
उसने कहा- तुम्हारा लिंग देखने की कोशिश कर रही थी! वही लिंग जिस में से तुम मूत्र विसर्जन करते हो।
मैं बोला- तुम उसे कैसे देख सकती हो इस समय तो वह पजामे में बंद है, और तुम उसे क्यों देखा चाहती हो?
वह तुरंत बोली- क्योंकि तुम मेरी योनि देख चुके हो इसलिए अब मुझे तुम्हारा लिंग देखने का पूरा हक है।
मैंने जब अपने लिंग को अपनी दोनों जाँघों के बीच में करके दबाने लगा तब नेहा ने मुझे टोका और बोली– रवि, थोड़ा रुको इसे अन्दर मत दबाओ! मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि मुझे इसे देखने का पूरा हक है इसलिए बेहतर होगा की तुम खुद ही अपना पजामा उतार कर इसे बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो।
मैंने उससे पूछा- लेकिन मूत्र विसर्जन के समय तुम मेरा लिंग देख चुकी हो फिर अब क्यों देखना चाहती हो?
नेहा बोली- तब तो बहुत दूर से देखा था! मैं इसे अब करीब से देखना चाहती हूँ! मुझे तुम्हारा लिंग मेरे पति के लिंग से कुछ भिन्न लगता है।
मैं चुपचाप लेटा कुछ देर सोचता रहा और फिर अंतिम निर्णय ले कर अपना पजामा उतार कर उसके सामने नग्न हो कर लेट गया और बोला- यह लो, जी भर कर देख लो इसे।
तब नेहा ने झुक कर मेरे लिंग को देखा और मुझसे पूछा- क्या मैं इसे हाथ लगा सकती हूँ।
मैं झट से बोल उठा- नहीं, क्या मैंने अभी तक तुम्हारे किसी भी अंग को छुआ है?
नेहा बोली- रवि, मैं मानती हूँ कि तुमने अभी तक मुझे कहीं भी नहीं छुआ है! लेकिन तुमने अभी तक मुझे या मेरे किसी भी अंग को छूने कोशिश भी नहीं की है और न ही मुझसे ऐसा करने की अनुमति ही मांगी है।
यह सुन कर मैंने नेहा से कहा- अगर तुम मुझे अपने शरीर के अंगों को हाथ लगाने की अनुमति देती हो तभी मैं तुम्हें अपने लिंग को हाथ लगाने दूंगा।
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