RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर वह बोली- ठीक है मैंने भी अपनी खरीदारी की लिस्ट बना लेती हूँ और ग्यारह बजे तक तैयार हो कर आती हूँ।
नेहा इतना कह कर बालकोनी लांघ कर अपने घर चली गई और मैं भी बाज़ार चलने के लिए तैयार होने लगा!
ग्यारह बजने में दस मिनट पर जब मेरे घर की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो हुस्न की परी नेहा को अपने सामने खड़ा पाया!
किसी भी नारी का समय से पहले तैयार होना मैं पहली बार देख रहा था जिसके लिए मैंने उसे बधाई भी दी!
मैंने नेहा को बैठने को कहा और कपड़े बदलने के लिए अपने कमरे में गया तो वह भी मेरे पीछे आ गई और पूछने लगी- रवि हम सामान लेने कैसे जा रहे हैं?
तब मैंने उससे उल्टा प्रश्न कर दिया- तुम कैसे जाना चाहोगी? पैदल या बस पर?
नेहा गुस्से में बोली- पैदल या बस में तुम अकेले ही जाओ, मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ! सामान जहाँ मिलता है वह जगह बता दी है! अब तुम जानो और तुम्हारा काम मैं अपने घर जा रही हूँ।
मैंने उसका गुस्सा शांत करने के लिए उसके पास जा कर उसे बोला- सॉरी मैडम, मैंने तो मज़ाक में कह दिया था! मुझे नहीं मालूम था की तुम मज़ाक भी सहन नहीं कर सकती।
फिर बात आगे बढ़ता हुआ मैं बोला- तुम कैसे जाना चाहोगी? बाइक पर या कार में?
मेरी बात सुन कर वह बोली- बाइक और कार? वह किसकी है?
मैंने उसे बताया- आज भाभी, भईया के साथ, उनकी कार में ही गई है और अपनी कार मेरे लिए बाज़ार से सामान लाने के लिए छोड़ गई है! बाइक तो भईया की है जो अब उन्होंने चलाने के लिए मुझे दे दी है।
तब नेहा ने कहा- मुझे तो बाइक पर पीछे बैठ कर घूमने जाने में बहुत ही आनंद आता है लेकिन हमे तो सामान लाना है इसलिए कार पर चलेंगे तो सामान उसमें लाद कर लाने में सुविधा होगी।
यह बातें करते हुए मैं तैयार हो गया और उससे मैंने कहा- ठीक है तो मैं भाभी के कमरे से कार की चाबी ले कर आता हूँ तब तक तुम लिफ्ट को ऊपर बुला कर रोको।
चंद मिनटों के बाद हम दोनों घर को बंद कर एक साथ लिफ्ट से नीचे पहुँचे और कार में बैठ कर खरीदारी के लिए निकल पड़े!
मॉल और मेगा स्टोर से दोनों लिस्टों का सभी सामान खरीद कर जब मैंने अपने कार्ड से पैसे दिए तो नेहा ने नाराज़गी दिखाई तब मैंने उसे कह दिया कि दोपहर के खाने के पैसे वह देकर हिसाब पूरा कर दे!
फिर हमने नेहा द्वारा सुझाये रेस्टोरेंट में खाना खाया और दो बजे तक घर वापिस पहुँच गए।
घर पहुँच कर नेहा अपने फ्लैट में जाने लगी तब मैंने उसे कहा- दोनों का सामान आपस में मिल गया है इसलिए अन्दर बैठ कर उसे छांट लेते है फिर तुम उसे ले कर अपने घर चली जाना।
नेहा अच्छा कह कर बैठक में आ गई और अपना पर्स सोफे पर पटक कर सीधा मेरे कमरे में चली गई।
मैं हैरान सा उसके पीछे पीछे गया तो देखा कि वह अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए मेरे बाथरूम में चली गई।
मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला पाया और अन्दर से ‘शूऊ… शूऊ…’ का मधुर संगीत सुनाई दिया।
मैं समझ गया कि नेहा मूत्र विसर्जन कर रही थी।
क्योंकि मुझे भी मूत्र विसर्जन के लिए बाथरूम जाना था मैं वहीं उसके बाहर आने का इंतज़ार करता रहा।
कुछ क्षणों के बाद नेहा अपनी सलवार का नाड़ा बांधती हुई बाहर निकली और मुझे वहाँ खड़ा देख कर थोड़ा झिझकी और फिर मुस्कराते हुए मुझे बाथरूम में जाने का रास्ता दे दिया।
मैं जब मूत्र विसर्जन कर रहा था तब मैंने तिरछी नजरो से दिवार पर लगे आईने में नेहा की छवि को देखा जो दरवाज़े में से बाथरूम के अन्दर झांक रही थी।
मैं समझ गया की वह क्या देखना चाहती है इसलिए मैं थोड़ा घूम गया ताकि उसे मेरा लिंग अच्छे से दिख जाए!
मूत्र विसर्जन के बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो नेहा को वहाँ नहीं देख कर समझ गया कि वह बैठक में भाग गई होगी।
उसके बाद हम दोनों ने अपनी अपनी लिस्ट के हिसाब से सामान छांटा और नेहा अपना सामान ले कर अपने फ्लैट में चली गई!
अगले दो दिन नेहा मुझे कभी कभी बालकनी में नज़र आ जाती और हमारी कुछ देर इधर उधर की बातें हो जाती।
तीसरे दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तब नेहा की आवाज़ आई।
इससे पहले की मैं उठ कर बालकनी में पहुँचता, नेहा बालकनी लाँघ कर मेरे कमरे के दरवाज़े को खटखटाने लगी!
मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि वह हाँफ रही थी तब मैंने उसे आराम से बैठ कर बात करने को कहा तो वह कमरे के अंदर आकर मेरे बैड पर ही बैठ गई।
थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की उसका हाँफना बंद हो गया है तो पूछा- क्या बात है? इतना हाँफ क्यों रही हो?
जैसे ही उसकी सांस में सांस में आई तब वह बोली- आज मैं बहुत खुश हूँ और वह ख़ुशी तुम्हारे साथ साझा करना चाहती थी इसलिए भागी भागी चली आई! मेरी नौकरी का नियुक्ति पत्र आ गया है और तीन दिनों के बाद सोमवार को मुझे उसे ज्वाइन करना है।
मैंने नेहा से पूछा- कौन सी कंपनी से नियुक्ति पत्र आया है?
तब उसने अपनी नाइटी के गले में हाथ डाला और ब्रा मे फसा एक कागज़ निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया।
मैंने जब उसे खोल कर पढ़ा तो देखा कि उसे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जहाँ मुझको सोमवार को जाना था।
जब मैंने नेहा को बताया कि मुझे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली हुई है और मैं भी सोमवार को वहीं ज्वाइन करूँगा तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और मुझ से लिपट गई।
मैंने उसे अपने से अलग किया और फिर हम काफी देर बैड पर ही बैठे अपनी अपनी नौकरी के भविष्य के बारे में बाते करते रहे।
अगले दिन रविवार को भईया, भाभी और मैं जब बालकनी में बैठे थे तब नेहा बालकनी में आई और हमें वहाँ बैठा देख कर तुरंत वापिस अन्दर चली गई।
कुछ क्षणों के बाद वह अपने पति के साथ बाहर आई तब नेहा के पति ने भईया, भाभी का अभिनन्दन किया और मुझसे हाथ मिलाया तथा अपना परिचय दिया।
|