RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
तब उसने बताया की उसका नाम नेहा है और वह देहली में पली बड़ी हुई है तथा उसने वहीँ से आई टी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी करी है!
उसकी शादी तीन माह पहले हुई थी और तब से वह अपने पति के साथ बैंगलोर में रहने के लिए आ गई।
जब मैंने उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उनका नाम संजय है और वह भी एक आई टी इंजिनियर है तथा बैंगलोर की एक आई टी कंपनी में कार्य करता है!
उसने यह भी बताया शादी से पहले वह भी गुड़गाँव में एक आई टी कंपनी में काम करती थी।
मेरे पूछने पर की वह अब यहाँ पर काम क्यों नहीं करती है तो उसने बताया कि उसने एक दो जगह इंटरव्यू दिए है और उनके नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रही है!
इसके बाद जब मैं अपने घर जाने के लिए तैयार हुआ तब नेहा से कहा- मेरी थोड़ी सहायता कर दो।
उसने पूछा- अब तुमको क्या सहायता चाहिए?
मैंने कहा- मुझे बालकनी तक जाने का रास्ता बता दो और कृपया मेरी टी-शर्ट भी वापिस कर दो! अगर कोई मुझे इस घर से नंगा जाते हुए देखेगा तो पता नहीं तुम्हारे और मेरे बारे में क्या क्या बातें फैलायगा।
मेरी बात सुन कर वह शर्मा गई और कहा- क्षमा करना, मैं तो इसे उतारना ही भूल गई थी!
लो मैं अभी उतार देती हूँ।
फिर उसने वहीं खड़े खड़े अपना गाउन खोल कर नीचे किया और मेरी टी-शर्ट उतार कर मुझे दे दी!
फिर अपना गाउन फिर पहन कर वह मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर कहा- क्या तुम मुझे, आज की घटना के बारे में किसी को भी नहीं बताने का वचन दे सकते हो? मैं नहीं चाहती की हम दोनों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को आज की घटना के बारे में कुछ भी ज्ञात हो!
उसकी बात सुन कर मैंने उससे पूछा- क्या तुम यह बात अपने पति को भी नहीं बातोगी?
उसने तुरंत उत्तर दिया- नहीं, मैं मरते दम तक इस बात का उल्लेख किसी से नहीं करुँगी।
मैंने पूछा- तुम यह बात अपने पति से क्यों छुपओगी?
तो उसने कहा- अगर बताऊँगी तो मुझे तुम्हारे सामने नग्न खड़े रहने और तुम्हारी टी-शर्ट पहनाने की बात भी बतानी पड़ेगी पता नहीं वे इसका क्या मतलब निकालने लगें और मेरी बात पर विश्वास भी करते भी हैं या नहीं! मेरी नई नई शादी हुई है और मैं नहीं चाहती कि मेरी शादीशुदा जीवन के शुरुआत में ही कोई अड़चन आ जाये।
उसकी बात सुन कर मैंने उसे वचन दे दिया- नेहा, मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि तुम्हारी अनुमति के बिना मैं भी मरते दम तक आज के प्रसंग को किसी भी तीसरे इंसान से साझा नहीं करूँगा।
मेरा वचन सुन कर उसने एक छोटी बच्ची की तरह ख़ुशी से उछलते हुए ताली बजाई और आगे बढ़ कर मेरे गाल को चूम लिया!
मैंने भी उसके चुम्बन के उतर में उसका गाल को चूम लिया और उससे पूछा- नेहा, जब मैंने तुमसे अपनी टी-शर्ट मांगी थी तब तुमने मेरे सामने ही नग्न हो कर उसे उतार कर मुझे दे दी थी! तुम दूसरे कमरे में जा कर भी तो उसे उतार सकती थी?
उसने कहा- मुझे तुम पर पूरा विश्वास हो चुका था! आधे घंटे से अधिक मैं पूर्ण नग्न स्तिथि में तुम्हारे साथ एक सात फुट लम्बे और साढ़े पांच फुट चौड़े बाथरूम में बंद रही थी और उस अविधि में तुमने मुझे हाथ लगाना तो दूर मेरी ओर देखा भी नहीं था! सबसे बड़ी बात मेरी नग्नता को छुपाने के लिए तुमने अपनी टी-शर्ट भी उतार कर मुझे पहनने को दी थी!
जब मैंने तुम्हे मुझे टी-शर्ट पहनाने के लिए कहा तब भी तुमने मेरे किसी भी अंग को नहीं छुआ, न ही छूने की कोशिश करी! मैंने देखा था कि लोअर के अन्दर तुम्हारे लिंग के उत्तेजित होने के बाबजूद भी तुमने अपने आप को कैसे संयम में रखा था! कोई दूसरा इंसान होता तो उस समय अपना संयम खो कर मेरा क्या हाल करता इसका तो मेरे लिए अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है! मेरी तो उस बारे में सोच कर ही रूह कांप जाती है।
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया और अपना सामान उठा कर बालकनी में चला गया।
वहाँ से मैंने स्टूल को भी उठाया और बालकनी लांघ कर अपने घर पहुँच गया! घर के अन्दर जाने से पहले मैंने नेहा को एक बार पीछे मुड कर देखा और फिर उसे “बाई” कह कर घर के अन्दर चला गया!
घर पहुँचते ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसमे से नेहा की महक को सूंघने लगा।
उस टी-शर्ट में जहाँ जहाँ पर नेहा स्तन छुए थे उन जगहों को चूमा!
फिर मैंने उस टी-शर्ट को दोबारा पहन लिया ताकि मुझे ऐसा एहसास होता रहे कि मैंने नेहा को अपने साथ चिपका लिया है!
मैं नेहा की बातें सुन कर अब अपना संयम खो चुका था इसलिए बाथरूम में जा कर हस्त-मैथुन किया और मानसिक एवं शारीरिक तनाव को ढीला किया।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मौसम बहुत ही सुहावना था क्योंकि धूप निकली हुई थी और आकाश में छोटे छोटे बादलों के टुकड़े हल्की हवा में टहल रहे थे।
मैं जब बालकनी में आया तो मैंने नेहा को अपनी बालकनी में बैठे देखा।
मुझे देखते ही उसके मुस्करा कर कहा- शुभ दिवस, रवि!
मैंने भी उत्तर में कहा- शुभ दिवस, नेहा! तुम कैसी हो?
उसने कहा- मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ तुम कैसे हो?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं भी ठीक हूँ! आज तुम कौन से बाथरूम को बंद कर रही हो?
नेहा ने मेरी बात सुन कर मुझे घूरते हुए कहा- क्या मतलब? क्या मैं रोज़ ही बाथरूम बंद करती रहती हूँ?
मैंने कह दिया- नहीं, मैंने तो वैसे ही पूछ लिया था! आज तो तुम अपने बाथरूम में बंद होने से पहले अपने कपड़े साथ ले लेना क्योंकि आज मदद के लिए मेरी सेवायें उपलब्ध नहीं होंगी।
वह गंभीर हो कर बोली- क्यों, क्या कहीं जा रहे हो?
मैंने तो सोचा था कि आज बालकनी में बैठ कर तुमसे पूरा दिन बातें करती रहूंगी।
मैंने उसकी गंभीरता पर हंसते हुए बोला- घर गृहस्थी का सामान लेने! आज सुबह काम पर जाने से पहले भाभी बाज़ार से सामान लाने की एक सूची बना कर दे गई है! मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह सामान कहाँ से मिलता है।
मेरी बात सुन कर नेहा ने पूछा- क्या क्या सामान लाना है?
तो मैंने कमरे में जाते हुए उसे कहा- इधर अंदर आकर देख लो।
मेरे कहने पर नेहा बालकनी लांघ कर मेरे कमरे में आ गई और बोली- सामान की सूचि दिखाओ।
मैंने भाभी की लिखी हुई सूचि उसके हाथ में दे दी और वह उसे पढ़ने में मग्न हो गई।
क्योंकि मुझे मूत्र आया था इसलिए मैं उसे कमरे में छोड़ कर बाथरूम में चला गया!
मूत्र विसर्जन से निपट कर मैं कमरे में आया तो नेहा से पूछा- क्या तुमने सामान की सूचि पढ़ ली है? यह सब सामान कहाँ मिलेगा?
मेरी बात सुन कर नेहा तुरंत बोली- हाँ पढ़ ली है! यह सभी सामान यहाँ से लगभग पांच किलो मीटर दूर एक मॉल और एक मेगा स्टोर है वहाँ से मिल जायेगा।
मैंने उससे कहा- क्या तुम मेरे साथ यह सामान खरीदने के लिए चल सकती हो? वापसी में हम दोपहर का खाना किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में ही खा लेंगे।
नेहा कुछ देर सोचती रही फिर बोली- कब चलना है और कब तक वापिस आ जायेंगे।
मैंने कहा- ग्यारह बजे चलते है! एक बजे तक तो खरीदारी हो जाएगी, फिर खाना खायेंगे और दो बजे तक घर वापिस आ जायेंगे।
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