RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मुझे खिड़की से अंदर झांकता देख कर उसने तुरंत तौलिये को अपने जघन-स्थल पर रख लिया और दूसरी बाजू से अपने स्तनों को ढांप लिया!
जब मैंने देखा कि वह बाथरूम के एक कोने में जाकर खड़ी हो गई तब मैंने उससे पूछा- क्या मैं आपकी मदद के लिए इस झरोखे से अन्दर आ सकता हूँ?
उसने मेरी ओर मुस्करा कर देखा और कहा- आ जाइये अब कोई और रास्ता भी तो नहीं है अंदर आने के लिए।
मैंने उसे कहा- क्या आप थोड़ा कष्ट करके बाल्टी को इस खिड़की के नीचे सरका देंगी ताकि मैं उस पर अपने पांव टिका कर नीचे उतर सकूँ।
उसने मेरे कहे अनुसार बाल्टी को सरका कर खिड़की के नीचे कर दिया तब मैंने अपना एक पाँव और सिर को खिड़की के अन्दर करके अपने शरीर को मोड़ा तथा बाथरूम के अन्दर कर दिया।
फिर मैंने अन्दर गए पाँव को थोड़ा नीचे कर के बाल्टी पर टिकाया और अपने बाकी के शरीर और दूसरी टांग को भी बाथरूम के अंदर कर दिया।
बाथरूम के अन्दर पहुँच कर मैं उस स्त्री की परेशानी और शर्मिंदगी को देख कर विचलित हो गया।
बाथरूम में इधर उधर देखने पर जब मुझे उस स्त्री का तन ढकने के लिए कोई भी वस्त्र या वस्तु नहीं मिली तब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर उसे दे दी और कहा– आप फिलहाल इसे पहन कर अपने तन को ढांप लीजिये।
उसने मुझसे वह टी-शर्ट नहीं ली क्योंकि अगर वह अपना हाथ बढ़ाती है तो वह नीचे से या फिर ऊपर से नग्न हो जाती है!
मैंने जब उसे एक बार फिर टी-शर्ट पहनने को कहा तो उसने कहा- आप मेरी हालत तो देख रहे है इसलिए आप ही इसे मुझे पहना दीजिये।
उसकी बात को समझते हुए मैंने उस टी-शर्ट को उसके गले में डाल दी और उसे अपनी बाजू टी-शर्ट में डालने के लिए कहा!
वो जैसे ही अपनी बाजू हिला कर टी-शर्ट में डालने लगी उसके दोनों स्तन नग्न हो गये और उनमें से एक मेरे हाथ को भी छू गया!
इसके बाद उसने अपना नीचे जघन-स्थल पर रखा हुआ हाथ भी हिलाया और टी-शर्ट में डाला तब मुझे नज़दीक से वहाँ के भी पूर्ण दर्शन हो गए!
जब तक उसने टी-शर्ट को नीचे खींच कर अपने स्तनों को ढका और तौलिये को फिर अपनी योनि पर रखा तब तक उस स्त्री के शरीर के सबसे आकर्षक एवं मूल्यवान अंग मेरे दर्शन के लिए खुले रहे!
उस नज़ारे को देख कर मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग तन कर खड़ा हो गया और उसने मेरे लोअर को तम्बू की तरह ऊँचा कर दिया।
मैंने जल्दी से दूसरी ओर मुड़ कर एक हाथ से अपने लिंग को नीचे की ओर दबा कर लोअर को ठीक किया और फिर मुड़ कर उसको देखा!
शायद उसने मेरे लिंग को मेरा लोअर उठाये हुए देख लिया था इसलिए मुझे देख कर वह मुस्कुरा रही थी।
जब वह और मैं कुछ सुविधापूर्ण स्तिथि में हो गए तब मैंने दरवाज़े की ओर देखा और उसे खोलने की कोशिश करने लगा।
दरवाज़े में लगे लैच के पेचों को खोल कर उसके अनेक हिस्सों को एक एक कर के अलग किया और फिर चौखट में फसी कड़ी को खींच कर निकाला!
आधे घंटे के परिश्रम के बाद ही मैं उस दरवाज़े को खोल कर उस सुन्दरी को बाथरूम से बाहर निकाल पाया!
दरवाज़े के खुलते ही वह सुन्दरी एक पिंजरे से छूटे पंछी की तरह उड़ कर अपने कमरे में पहुँची!
उसने सब से पहले मेरी टी-शर्ट के ऊपर ही अपना गाउन पहन लिया और फिर मेरी ओर पीठ कर के नीच के शरीर पर पैंटी पहनी!
मैं बाथरूम के दरवाजे के पास बैठा उसका लैच ठीक करते हुए वह नज़ारा देख रहा था और मन ही मन मुस्करा रहा था!
मैंने लैच को ठीक कर के दरवाजे में लगाने के बाद जब उसे परीक्षण करने के लिए कहा तो वह बोली- आप ही परीक्षण कर लो मैं दुबारा से वह जोखिम नहीं ले सकती।
तब मैं बाथरूम के अन्दर जा कर दरवाज़े को तीन चार बार बंद किया और फिर खोल कर बाहर आया तब जाकर उसे दरवाज़ा ठीक होने का विश्वास हुआ!
मेरे द्वारा दोबारा कहने के बावजूद भी उसने परीक्षण करने से मना कर दिया।
वह हंस कर कहने लगी- आगे से मैं जब भी इस बाथरूम में जाऊँगी तब मैं इस दरवाज़े को तो कभी भी बंद नहीं करुँगी! क्या पता यह आज की तरह फिर बिगड़ जाए और मुझे सहायता के लिए पुकारना पड़े।
मैंने भी हँसते हुए कहा- सहायता के लिए मैं हमेशा उपलब्ध रहूँगा लेकिन आप के घर में तो सिर्फ आप और आप के पति ही रहते है इसलिए आप को तो दरवाज़ा बंद करने की आवश्यकता ही नहीं होनी चाहिए।
मेरी बात सुन कर वह भी हंस पड़ी और कहा- हाँ, आप ठीक ही कह रहे हैं!
अच्छा अब आप अन्दर बैठक में आ कर बैठ जाइए तब तक मैं आप के लिए गर्म गर्म चाय बना कर लाती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, आप जा कर चाय बनाइये और मैं तब तक बाथरूम के वे तिरछे शीशे लगा कर बैठक में आता हूँ! हाँ, मेरे लिए चाय बिना दूध और चीनी की ही बना कर लाना क्योंकि मैं सिर्फ काली चाय ही पीता हूँ।
मेरी बात सुन कर वह बोली- आप काली चाय पीते हैं? तभी तो आप के शरीर पर चर्बी का नाम ही नहीं है! यह तिरछे शीशे लगाने का काम आप चाय पीने के बाद ही करना क्योंकि आपको शीशे पकड़ाने के लिए मेरी सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कह दिया- नहीं, अभी तो मुझे इस काम के लिए तो आपकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी लेकिन भविष्य में अगर किसी काम के लिए आपकी ज़रुरत पड़ी तो आपको सहायता के लिए अवश्य पुकारूँगा।
मेरी बात सुन कर वह चुप हो गई और चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई!
जब तक वह चाय बना कर लाती तब तक मैंने बाथरूम के तिरछे शीशे लगा दिए और अपना सभी सामान समेट कर उपकरणों के डिब्बे में डाल कर बैठक में आ कर बैठ गया।
फिर मैंने और उसने चाय पीते हुए एक दूसरे से अपना परिचय कराया!
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