RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
उसका कद लगभग पांच फुट सात इंच था, सिर के बाल घने काले थे, नयन-नक्श बहुत ही तीखे और चेहरा अंडाकार था।
उसके उभरे हुए गालों में से बाएँ गाल पर एक छोटा सा तिल था जो उसकी सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहा था।
उसने आसमानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी जिस में से उसके कसे हुए और सख्त दिखाई देने वाले स्तन दो मीनारों के गुम्बद की तरह उठे हुए थे।
उसे देख कर मैं थोड़ा ठिठक गया और अपनी बालकनी के बीच में ही रुक कर उसे देखता रहा!
उसने नाइटी के नीचे क्या क्या पहना था मैं इसका अनुमान तब तक नहीं लगा पाया जब तक उसने मुड़ कर मेरी और पीठ नहीं करी।
जैसे ही उसने पीठ करी तभी मुझे उसकी नाइटी से चिपकी उसकी ब्रा और जांघिया की रूपरेखा दिखाई दी और मेरी पुष्टि हो गई कि उसने पैंटी और ब्रा पहने हुई थी।
वह तार पर से कपड़े उतार कर जब फर्श पर गिरी ब्रा और पैंटी उठाने के लिए झुकी तब उसकी नाइटी के खुले गले में से उसकी ब्रा में बंधी हुई चूचियों के दर्शन ज़रूर हो गए।
जब वह फर्श से कपड़े उठा कर खड़ी हुई तब मुझे देख कर मुस्कराई और फिर अन्दर अपने घर में चली गई।
उसके जाने के बाद मैं फिर से अपनी चहल-कदमी करने लगा!
अगले दो दिन भी बादल छाए रहे और बीच बीच में वर्षा की कुछ बूंदें पड़ जाती थी इसलिए अधिकतर बालकनी में ही बैठा रहा लेकिन मुझे उस यौवना के दर्शन नहीं हुए!
उसके अगले दिन मुझे बैंगलोर में आए छटा दिन था और धूप निकली हुई थी।
भईया और भाभी के काम पर जाने के बाद मैं बाहर घूमने जाने की कोई योजना पर विचार कर रहा था, तभी मुझे किसी की सहायता के लिए चिल्लाने की आवाज़ आई!
मैं बालकनी में आकर उस आवाज़ की दिशा जानने की कोशिश ही कर रहा था तभी मुझे साथ वाले घर की ओर से एक स्त्री की पुकार सुनाई दी- हेल्प, हेल्प, प्लीज हेल्प! कोई तो मेरी सहायता करो।
मैंने उधर जा कर हल्की आवाज़ लगा कर पूछा- मैडम, आप को क्या सहायता चाहिए?
उधर से मेरे प्रश्न का उत्तर आया- मेरे बाथरूम के दरवाज़े का लैच खराब हो गया है और वह खुल नहीं रहा है! मैं बाथरूम में बंद हो गई हूँ और बाहर निकल नहीं पा रही हूँ! कृपया आप उसे खोल कर मुझे बाहर निकलने में सहायता कर दीजिये।
मैंने फिर पूछा- आपका वह बाथरूम कहाँ है जिसमें आप बंद हैं और उस तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
उस स्त्री ने कहा- मैं फ्लैट नंबर 701 में रहती हूँ और मेरा बाथरूम फ्लैट नंबर 702 की दीवार के साथ ही है!
तब मैंने कहा- मैं फ्लैट नंबर 702 में रहता हूँ और उसी की बालकनी में खड़ा हूँ! आप बताएँ कि मैं आपके पास सहायता के लिए कैसे पहुँचूं?
तब स्त्री ने कहा- फ्लैट के बाहर का दरवाज़ा तो अन्दर से बंद है और मैं उसे खोलने में असमर्थ हूँ इसलिए आपको सहायता के लिए बालकनी से ही कोई प्रयोजन करना होगा।
मैंने उस स्त्री को कहा- ठीक है, मैं अपनी बालकनी से आपकी बालकनी में आकर देखता हूँ कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ।
उसके बाद मैं अपनी बालकनी से साथ वाले घर की बालकनी में लांघ कर गया और उस स्त्री को आवाज़ लगाते हुए एवं उससे बातें करते हुए उसके बाथरूम के बाहर पहुँच गया।
वहाँ जब मैंने सर्वेक्षण किया तो पाया कि बालकनी में खुलने वाले सभी दरवाज़े घर के अन्दर से बंद थे, बाथरूम की एकमात्र खिड़की बालकनी की ओर थी और उसमें शीशे लगे हुए थे।
खिड़की के नीचे के आधे भाग में जो शीशा लगा था वह बिल्कुल सील था और उसे खोला नहीं जा सकता था लेकिन उसके ऊपर के आधे भाग में तिरछे शीशे लगे थे जिन्हें सिर्फ अन्दर से ही निकाला जा सकता था।
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