RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
मिसेज़ संगीता अग्रवाल राकेश और रूपेश
जब सुनीता और रजनी शिशिर से मुलाकात का बेसबरी से इंतेजार कर रही थीं, ठीक उसी समय राकेश और रूपेश मिसेज़ अग्रवाल के घर पर दस्तक दे रहे थे। मिसेज़ अग्रवाल ने दरवाजा खोला। एकदम सजी-धजी, पूरा श्रिंगार किये। कमनीय तो थीं ही और मादक हो उठी थीं। पूरे उठे हुये जोबन, उभरे गोल-गोल चूतड़, दमकता रंग, आँखों में शुरूर, मोटी नहीं थी पर शरीर अच्छा भरा हुआ।
उन्होंने राकेश का हाथ पकड़ते हुये कहा- “आइये देवर जी…”
फिर रूपेश की ओर देखते हुये- “आइये रूपेश जी…”
कोई हिचकिचाहट नहीं थी, न शर्मा रही थीं। अंदर आकर राकेश ने कीमती परफ्यूम भेंट की तो वह उससे सटकर खड़ी हो गईं, बोली- “लीजिये लगा दीजिये…”
राकेश उनके उभार की नजदीकी महसूस करने लगा था। उसके शरीर में झनझनाहट सी लगने लगी थी।
वह बोलीं “बैठिये…”
लिविंग रूम में शानदार सोफे पड़े हुये थे। खुशहाली और शुरूचि चारों ओर नजर आ रही थी। राकेश और रूपेश बड़े से सोफे पर बैठ गये।
मिसेज़ अग्रवाल ने पूछा- “आप लोग कुछ हार्ड ड्रिंक लेना चाहेंगे? मैं तो लेती नहीं…”
राकेश- “अगर आप साकी बनेंगी तो जरूर लेंगे…”
मिसेज़ अग्रवाल- “आप बनाइये तो सही मैं सब कुछ बनूंगी। आज की रात आपके नाम है, अगर कुछ कमी रह गई तो सुनीता और रजनी शिकायत करेंगी…”
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