RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
सुनीता, रजनी और शिशिर
शिशिर ने एक आलीशान होटल मैं रूम रिज़र्व कर दिया। सुनीता और रजनी आठ बजे रात को होटल पहुँची शिशिर को साढ़े आठ बजे आना था। कमरे को देखकर दोनों दंग रह गईं। शिशिर ने पांच-सितारा होटल का एक पूरा सूट बुक कर दिया था। खाने के लिये डाइनिंग टेबल, बैठने के लिये सोफा, चमचमाता बाथरूम, क्वीन साइज़ बेड और उसके सामने ढेर सारी खुली जगह। शिशिर साढ़े आठ बजे के पहले ही पहुँच गया। बेल दबाने पर दरवाजा खुला तो सुनीता और रजनी सामने खड़ी थीं, एकदम सजी धजी।
सुनीता ने दूध सी सफेद साड़ी पहन रखी थी। उसका गोरा रंग उससे मिल गया था। गले में मोतियों का हार, कानों में हीरे के बड़े-बड़े थाप, सुर्ख लिपिस्टिक, रचे होंठ और कमान सी आँखें।
रजनी ने धानी कुर्ता, सफेद चूड़ीदार, हाथों में ढेर सारी हरी-हरी चूड़ियां, मैचिंग कीमती हार, इयरिग और सुघड़ मेकप।
शिशिर उनको ताकता ही रह गया।
सुनीता शर्मा के बोली- “अब आओगो भी या ऐसे ही खड़े रहोगे?”
शिशिर जैसे सोते से जाग गया हो। उसने हाथ के बैग से एक सफेद मोगरे की माला निकाली और सुनीता से बोला- “भाभी ये आपके लिये…”
सुनीता उसकी ओर पीठ करके खड़ी हो गईं, उसने माला उसके जूड़े में बाँध दी। मोगरा महक उठा। पलट कर सुनीता ने उसके गले में बाहें डाल दी। शिशिर ने उन्हें खींचकर अपने से चिपका लिया। दोनों ऐसे ही जुड़े थोड़ी देर खड़े रहे। सुनीता ने एक चुंबन उसके होठों पर लेकर अपने को अलग किया।
फिर शिशिर रजनी की तरफ बढ़ा और बैग से सुर्ख गुलाब का बुके उनकी ओर करके बोला- “रजनी जी ये आपके लिये…”
रजनी बोली- “रजनी नहीं, भाभी…”
शिशिर ने अपने को सुधारते हुये कहा- “रजनी भाभी, यह आपके लिये…”
रजनी ने बढ़ के दोनों बाहें उसके गाले में डाल दी और अपने होंठ कसके उसके होंठों पर गड़ा दिये। शिशिर उनको चूमता रहा।
इस बीच सुनीता डाइनिंगा टेबल पर जार में रखी सुगंधित मोमबत्ती जला दी थी और उसकी भीनी-भीनी खुशबू कमरें में भरने लगी थी। साफ्ट म्यूजिक लगा दिया था। सुनीता ने लाइट बंद कर दी। शिशिर ने सुनीता की ओर देखा। मोमबत्ती की मंद-मंद रोशनी में वह परी सी लग रही थी। रजनी की कमर में हाथ डाले हुये शिशिर सुनीता की ओर बढ़ा और उसको अपने से चिपका लिया।
रजनी उसके बायें कंधे से चिपकी थी और सुनीता दांयें से। इसी हालत में वह लोग थिरकते रहे। शिशिर कभी सुनीता को चूमता था कभी रजनी को। शिशिर का लण्ड गरमाने लगा था। रजनी उस पर हाथ फेरने लगी थी। उसने झुक कर सुनीता के दांयें उभार को ब्लाउज़ के ऊपर से ही मुँह में ले लिया।
सुनीता सी सी कर उठी। सुनीता ने फुसफुसा के कहा- “देवरजी, पहले रजनी को शुख दीजिये, मैं तो आपके पास ही हूँ आज की रात उसकी है…”
शिशिर ने रजनी को प्यार से चूम लिया- “रजनी भाभी भी तो अपनी हैं…” फिर सुनीता को और भींचते हुये बोला- “भाभी शुरूआत तो मैं आप से ही करूंगा लेकिन तुम दोनों इतनी अच्छी लग रही हो कि मैं कुछ भी नहीं उतारना चाहता…”
लेकिन रजनी उसका पैंट उतार चुकी थी। अंडरवेर खींचकर रजनी ने उसके लण्ड को मुट्ठी में बांधा तो जैसे लोहे की गरम राड पर हाथ रख दिया हो। शिशिर का बड़ा मोटा और लंबा लण्ड सांप की तरह ऊपर मुँह बाये खड़ा था। पत्थर की तरह सख्त। उसको देखते ही रजनी के मुँह से निकल गया- “ओ माई गुडनेश… अब समझी कि सुनीता इतनी दिवानी क्यों हो रही थी…” फिर रजनी शिशिर की बांहों से खिसक कर नीचे घुटनों के बल बैठ गई। मुट्ठी में बाँधकर उसका लण्ड सीधा अपने सामने कर लिया और मुँह खोलकर अपने नरम होंठ उसके ऊपर रख दिये।
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***** To be contd... ...
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