RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--96
गतान्क से आगे......
"रीता,अपने बेटे को इस्तेमाल किया तुमने मुझे रास्ते से हटाने के लिए.क्यू?" "केवल तुम्हे नही इसे भी.",रीता ने समीर की ओर इशारा किया. "क्या?!",ये सवाल लगभग कमरे मे मौजूद हर शख्स की ज़ुबान से निकला. "हाँ!तुम्हारी अयस्शिओ का नतीजा था ये जिसे तुमने मेरी गोद मे पटक दिया पालने के लिए.इसके चलते मेरी अपनी बेटी कंपनी से महरूम रही और चलो,उसे कोई शौक नही था कोम्पनी मे जाने का.उसके पति का तो हक़ बनता था उसकी जगह!",रीता चीखी.समीर के उपर जैसे पहाड़ गिर गया था.उसे कानो पे यकीन नही हो रहा था..इतनी नफ़रत करती थी मोम उस से! "हां,ये मेरे और इसकी मा के रिश्ते का नतीजा था.वो अचानक चल बसी & इस मासूम को अनाथालय मे छ्चोड़ने को मेरा दिल नही माना.पर रीता,इतने सालो तक तुम इस नफ़रत को अपने दिल मे पालती रही?" "नही.मैने अपना लिया था समीर को पर जब ये मेरी बेटी और उसके शौहर का हक़ मारने लगा तो इसे कैसे छ्चोड़ देती मैं.पहले मैने इसके ज़रिए तुम्हे हटवाया & फिर दयाल के ज़रिए मैं इसे हटाना चाहती थी पर दयाल इस चुड़ैल..",उसका इशारा रंभा की ओर था,"..के चक्कर मे पड़ गया & हमे ही धोखा देने लगा.",रीता के दिल मे इतना ज़हर था,ये किसी ने सोचा भी नही था & सभी बिल्कुल खामोश थे. "मुझे फोने कर कौन झरने पे बुलाता था?",विजयंत ने चुप्पी तोड़ी. ".ब्रिज को भी मैं ही फोन करता था.कामया ने मुझे आपके & सोनिया के रिश्ते के बारे मे बता दिया था.ब्रिज & आपकी तनातनी के बारे मे सभी को पता था तो मैने उसी को इस्तेमाल कर सारा शक़ उसकी तरफ करवा दिया.",समीर बोला,"..उस रोज़ हरपाल वाहा से भागा पर कामया वही थी.आप लोगो को धक्का देने के बाद उसी ने मेरी आँखो पे पट्टी लगाई & हाथ बाँधे.सारा खेल बिगड़ जाता उस रोज़ क्यूकी पोलीस भी जल्द ही आ गयी थी पर इसकी किस्मत अच्छी थी जो ये च्छूप के बच निकली." "आप दयाल को कैसे जानती हैं?",शर्मा ने सवाल किया. "मैं कोलकाता से हू.वही मेरी मुलाकात इस से हुई थी.ये मेरा पहला प्यार था & मैने इस से शादी करने की सोची थी पर ये बिना कुच्छ बताए ना जाने कहा गायब हो गया.",पहली बार रीता की आँखो मे नमी दिखी,"..फिर विजयंत मेरी ज़िंदगी मे आया & हमारी शादी हो गयी.ये शादी मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी.मैं तो दयाल को भूल विजयंत को अपना चुकी थी पर इसका मन 1 लड़की से कहा भरने वाला था.मेरी शादीशुदा ज़िंदगी के हर पल इस आदमी ने मुझसे बेवफ़ाई की है.",रीता सूबक रही थी.रंभा ने सर झुका लिया.वो रीता के दर्द को समझ रही थी. "..& फिर कुच्छ महीनो पहले अचानक 1 दिन ये मेरे सामने आ खड़ा हुआ..",रीता का इशारा दयाल की ओर था,"..मैने इसे दुतकारा,लताड़ा यहा तक की 2-3 चांट भी रसीद कर दिए पर ये बस सर झुकाए सब सहता रहा.कुच्छ भी हो ये मेरा पहला प्यार था & मेरे सामने अपना गुनाह कबूल कर रहा था..मैं भी कितनी देर इस से खफा रहती..मैं इसकी बाहो मे चली गयी & फिर हम मिलने लगे.मैं इस से अपने सारे दर्द,सारी खुशिया बाँटती..वो सब एहसास जिन्हे मेरे साथ बाँटने को मेरे पति के पास वक़्त नही था.",विजयंत अपनी बीवी से निगाहे नही मिला पा रहा था. "..ऑफीसर,ये शक्ष जिसका असली नाम पता नही दयाल है भी या नही,1 साँप है..1 ऐसा साँप जो डंस्ता है तो पता भी नही चलता पर उसका ज़हर आपके दिलोदिमाग पे चढ़ने लगता है..मैने जो भी किया उसका मुझसे ज़्यादा नही तो मेरे बराबर का ज़िम्मेदार ये भी है!",देवेन जानता था कि रीता सही कह रही है.दयाल की बातो की वजह से ही उसकी ज़िंदगी बर्बाद हुई थी. कमरे मे काफ़ी देर तक खामोशी फैली रही फिर बाहर से चिड़ियो के चाचहने की आवाज़ आई तो सबको पता चला की सवेरा हो गया है.पोलिसेवाले अपनी करवाई मे जुट गये.रीता,प्रणव,समीर,कामया & दयाल गिरफ्तार किए जा रहे थे. देवेन रंभा के साथ खड़ा था & विजयंत अपनी बेटी के साथ.इस सबमे शिप्रा ही थी जोकि मासूम थी & उसे बिना किसी ग़लती के सज़ा मिल रही थी. बपत & शर्मा खुश थे.उन्होने 1 ऐसे शख्स को पकड़ा था जिसने इंटररपोल तक को चकमा दे दिया था.उनकी तरक्की तो अब पक्की थी. 2 घंटे बाद मुजरिम पोलीस हिरासत मे थे & बाकी लोग अपने-2 घर जाने की तैय्यारि कर रहे थे. -------------------------------------------------------------------------------
"रंभा..देवेन..तुम दोनो ने जो किया उसके लिए शुक्रिया अदा कर मैं तुम्हे शर्मिंदा तो नही करूँगा..",एरपोर्ट पे गोआ की फिलगत छूटने से पहले विजयंत देवेन & रंभा के साथ खड़ा था,"..बस इतना कहूँगा कि मैं तुम दोनो को अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता हू.वादा करो कि जब भी ज़रूरत पड़े तुम लोग मुझे ही याद करोगे.",पास ही सोनम भी खड़ी थी जो अपनी सहेली को विदा करने आई थी. "वादा.",दोनो हंस दिए. तुम्हारे साथ जो भी वक़्त बिताया वो बहुत खुशनुमा था,देवेन.",विजयंत ने उसे गले लगाया,"..रंभा के साथ नयी ज़िंदगी मुबारक हो!" "शुक्रिया,दोस्त!" "डॅड..",रांभाने समीर से तलाक़ की अर्ज़ी अदालत मे दाखिल कर दी थी पर विजयंत के लिए & कोई नाम उसकी ज़ुबान से निकलता नही था,"..शिप्रा का ख़याल रखिएगा.उस बेचारी को बेवजह ये सब झेलना पड़ा है." "रंभा,उसे सब मेरी वजह से झेलना पड़ रहा है.क़ानून की नज़र मे जो मुजरिम थे वो गिरफ्तार हो गये पर सबसे बड़ा मुजरिम तो मैं हू.जो भी हुआ मेरी आदत & फ़ितरत की वजह से हुआ & देखो,आज मैं दुनिया का सबसे ग़रीब इंसान हू.मेरी कंपनी मेरे हाथ मे है पर ना बीवी है ना बेटा & बेटी की ज़िंदगी तो.." सोनम ने विजयंत का हाथ थाम लिया तो विजयंत ने उसकी तरफ देखा.रंभा & देवेन दोनो को देख मुस्कुराए,"..पर हर रात के बाद सुबह आती है.मैं शिप्रा के ज़ख़्मो पे मरहम लगाउंगा,1 बार फिर से उसकी ज़िंदगी मे बहार लाऊंगा.",विजयंत की बातो मे उसका जाना-पहचाना विश्वास झलक रहा था.तभी गोआ की फ्लाइट की अनाउन्स्मनिट हुई & विजयंत ने उनसे विदा ली.रंभा अपनी सहेली से गले मिली.दोनो लड़कियो की जुदा होते वक़्त आँखे भर आई थी.विजयंत ने अपना रुमाल सोनम को दिया & जब उसने शुक्रिया अदा कर अपनी आँखे पोन्छि तो उसके कंधे पे हाथ रख वो देवेन & रंभा से 1 आख़िर बार विदा ले एरपोर्ट की एग्ज़िट की तरफ बढ़ गया देवेन & रंभा कुच्छ देर सोनम के कंधे पे हाथ रखे उसे अपने साथ ले जाते विजयंत को देखते रहे & फिर 1 दूसरे को देख मुस्कुराए & 1 दूसरे की कमर मे बाहे डाल घूम के चल दिए अपनी नयी ज़िंदगी की तरफ. तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त दा एंड
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