RE: Sex Porn Story पंजाबी मालकिन और नौकर
बीजी: आअहह....होली पर तूने मेरे चूतडो पे रंग लगाया सी.....ते बहुत दबाया सी मेरे
चूतडा नू....ते जिस वक्त तू रसोई विच मेरे अन्डर आर्म्स दी पप्पी ले रेया सी उस वक्त वी तू
इनको दबा रेया सी...आअहह
मैंने बीजी का उभार दातों मे दबाया
बीजी: आह....पप्पी लेन्दा पेया ए....कि काटदा पेया ए...?..बेरहम...
मैं: बीजी....सच दस्सा ते होली ते मैं त्वाड्डे चूतडो दे नाल इक कोशिश किति सी...
बीजी: मैंनु पता है बेशरम....आहह.....तू अपनी उंगली मेरे चूतडो दे विच घुसानी चाही सी....हैना ..?
मैं: हां बीजी......त्वाड्डी कमीनी सलवार टाईट सी...
बीजी: आआहह.........अच्छा हुआ सलवार टाईट सी...आहह...वरना तू ते पता नही की करदा..
अब मैं अपनी उंगली बीजी के चूतडो के बीच ऊपर नीचे करने लगा...
बीजी ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा..
बीजी: आआहह......सौ शैतान मरे सी जद्दो (जब) तू पैदा हुआ सी.....आआआहह....बेशरम..
अब मैंने अपनी उंगली उनके चूतडो के बीच घुसानी शुरू की...
बीजी: अहह...........पुत्तर............तेरी होली हुने (अभी) ख़तम नही होई की..?.....
मैं: नही बीजी....
बीजी: बस.....बस कर........मैंनु पिशाब आया ए.....छोड़ मैंनु..
मैं: नही बीजी..........हुन ते मैं त्वाड्डी चूतडो दी वी पप्पी लेवान्गा..दोगे ना..?
बीजी: की..!.......चूतडो दी वी भला कोई पप्पी लेन्दा ए..?...
मैं: हां बीजी....त्वाड्डे जैसे चूतड हो...तो पप्पी ते लेनी ही पड्ती है.....
बीजी: आहहह...........आई....नही....छोड़
मैंनु.........मैंनु पिशाब आया ए...ते तू वी अपना काम कर...
मैं: नही बीजी....पहले....चूतड दी पप्पी..
बीजी: ओफफ्फ़...ओ...आअहह...........हुने नही....बाद विच देखांगे...हुन छोड़ मैंनु
मैंने बीजी को छोड़ दिया...बीजी सीधे बाथरूम मे गयी....
मैं भी उठा और घर के काम मे लग गया..
कुछ देर बाद बीजी की मम्मी आ गयी.... बीजी काफ़ी देर तक उनके पास बैठी रही.....
मैं रसोई मैं खाना बना रहा था..........बीजी रसोई मैं आई....
बीजी ने आज नॉर्मल सूट (विड स्लीवस) पहन रखा था..
बीजी: धरम पुतर....खाने विच की बनाया ए..?..
मैं: मैं त्वाड्डी मम्मी नू ही पूछा ए......उन्होने कया कि गोभी बना ले.......
बीजी: अच्छा...ठीक ए....मैं कोई हेल्प करां.?
मैं बीजी को हाथ से पकड़ के रसोई की साईड मे ले गया..
मैं: हाँ.........इक पप्पी लेन दो..
बीजी: पागल है........मेरी मम्मी बाहर बैठी है...और तू मुझसे पप्पी मान्गदा ए..?...
मैं: प्लीज़ बीजी......लेन दो ना....बस इक...
ये कह के मैं बीजी की गर्दन को चूमने लगा...
बीजी ने मुझे नही रोका और दीवार से लग गयी....
बीजी: ऊओह...तू ते पागल हो गया ए....
मैं उनकी गर्दन चूम रहा था....मैंने दोनो हाथ उनके चूतड पे रखे और दबाने लगा...
बीजी: आहह...स.....जल्दी कर पुत्तर.....मम्मी बाहर बैठी है........कित्थे मम्मी नू पता
चल गया कि मैं तेनू पप्पीया देन्दी हां........ते ग़ज़ब हो जाएगा...
मैं: सस्स....तुसी आज स्लीवलेस सूट क्यो नही पहना...?..
बीजी: पागल है.....सस्स...आह....मम्मी दे सामने..मैं ओ सूट नही पा सकदि....मम्मी
समझेंगी...कि अपने नौकर ते डोरे डाल रही हां..
मैं: बीजी...अपनी बावां उँची करो...
बीजी ने अपनी बाहे ऊँची करी तो मैं उनके अन्डर आर्म्स को चूमने लगा......उनके चूतड दबा रहा था..
बीजी: ऊओह......बस कर पुत्तर.....कही मम्मी रसोई विच ना आ जाए..
मैं: नही.....हुन तुसी मैंनु अपने चूतडा दी पप्पी लेन दो..
बीजी: नही नही....हुने नही.....तू ए दस....गोभी ते अच्छी ली ए...
मैं: आ हो...ए गोभी त्वाड्डे चूतडा जैसी है...
बीजी: आआहहह...ओ कैसे.?..
मैं: काफ़ी बड़ी बड़ी और सफेद ....बिल्कुल त्वाड्डे चूतड जैसी.......अपनी गोभियाँ दी पप्पी लेन दो ना...
बीजी: आह...हुने नही....बाद विच लियो...मेरी गोभियाँ दी पप्पी...........................हुन मैंनु छोड़...
ये कह कर बीजी मुझसे अलग हुई...अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गयी...
उनकी मम्मी रात का खाना खा के गयी....
अगली सुबह मैं चाय लेकर बीजी के कमरे मे गया..
बीजी पेट के बल सो रही थी.........पहले जैसे उनकी कमीज़ उनकी कमर तक चढी हुई
थी....और..और...और..उनकी सलवार उनके चूतडो मे फसि हुई थी......
मैंने चाय रखी..
मैं: बीजी....चा रखी ए..
बीजी: अच्छा...रख दे..
मैं बीजी के पास गया और उनके चूतडो पे हाथ फेरने लगा...
बीजी: की कर रहा है पुत्तर...?.. (बीजी ने पेट के बल लेटे लेटे ही बोला)
मैं: बीजी.....अपना प्रोमिस पूरा करो..
बीजी: पप्पी दा प्रोमिस......ले ले पप्पी..
बीजी के ये कहते ही मैं बीजी के चूतडो को चूमने लगा...
बीजी ने कच्छी नही पहनी थी....उनकी सलवार का कपडा भी बहुत पतला था...इसलिए हल्के हल्के उनके चूतड दिख रहे थे....
मैं एक चूतड को चूम रहा था और दूसरे चूतड को हाथ से दबा रहा था..
मैं: ओह..बीजी.....त्वाड्डी गोबी खाने वास्ते मैं तरस गया सी..
बीजी: पुत्तर....मेरी सलवार मेरी इन गोबियाँ दे विच फसि हुई ए..........तू निकालेगा..के मैं निकालूं..?..
मैं: बीजी.....निकालने दा कोई फ़ायदा
नही....मैं फिर घुसा देवांगा...
बीजी: कैसे..?..
मैं अपनी उंगली बीजी के चूतडो के बीच मे घुसाने लगा....साथ साथ चूम भी रहा था...
बीजी: ऊहह.....पुत्तर....गोबियाँ विच....अपनी उंगली मत डाल......
मैं: ठीक है बीजी...उंगली नही डाल दा..
ये कह कर मैंने उनके चूतडो के बीच अपना
मूह डाल दिया.....और वहाँ चूमने लगा...
|