RE: Sex Porn Story पंजाबी मालकिन और नौकर
मैं: बीजी.......आज अन्डर आर्म्स दा दिल नही कर रहा..
बीजी: ते फिर..?
मैं: पहाडा दी पप्पी ही लेन दो..
बीजी: उम्म्म......चल..ले..ले
मैंने पहले उनके स्तन दबाए....काफ़ी बड़े बड़े और मुलायम थे..
मैं: बीजी.....आज ते बादल कुछ कम लग रहे हैं..
बीजी: ओ.....सच्ची.....मैं ओ पहनना भूल गयी रात नू...
मैं:की....की पहनना भूल गये ?
बीजी: ओ ही...जो औरते कमीज़ दे अंदर पान्दी है..
मैं: ते ए कहो ना तुस्सी ब्रा पहनना भूल गये..
बीजी: हां...ओ ही....मैं ब्रा पहनना भूल गयी
मैं: अच्छा है...जो होन्दा ए अच्छे के लिए होन्दा ए..
ये कह कर मैंने उनके लेफ्ट पहाड को अपने मूह मे ले लिया और राईट पहाड अपने हाथ से दबाने
लगा..
बीजी:अह्ह्ह्ह....ओई....पुत्तर.......ए..पप्पीया....तेरी पप्पीया.....मुझसे ग़लत काम करवा देंगी...
मैं बीजी के निप्पल को कमीज़ के ऊपर से ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा....बीजी के निप्पल काफ़ी
पोइन्टेड थे..
मैं: बीजी....त्वाड्डे ए पोइन्टेड लग्दे हैं..आइसक्रीम दी कोण वाले..
बीजी: आआईए.....य्यी.....
मेरे मूह मे लेने से उनके निप्पल से उनकी कमीज़ गीली हो गयी थी.........
उनकी कमीज़ उनके निप्पल से चिपक गयी थी और उनका निप्पल कमीज़ मे से सॉफ दिख रहा था...
मैं दूसरे निप्पल पे आया और पहले वाला उभार हाथ से दबाने लगा..
मैं: बीजी.....त्वाड्डे उभार किन्ने बड्डे हैं..
बीजी: आहाहह......पुत्तर.....तेरी पप्पी पप्पी मे मैं बदनाम ना हो जावां....
मैं: बीजी........मैं इक नये स्टाईल इच पप्पी लेना चाहन्दा..
बीजी: कैसे ?...
मैं: तुस्सी मेरे ऊपर आ जाओ.....अपने पहाड़ मेरे मूह ते रख दो....ते मैं उनकी पप्पी लूँगा
बीजी ने ऐसा ही किया....मैं लेट गया...वो मेरे ऊपर आ गयी......अपने उभार मेरे मूह पे रख दिए....
मैं निप्पल चूसने लगा......साथ ही साथ मैंने अपने हाथ उनके चूतडो पे रख दिए और उनके चूतड दबाने लगा..
मैं: त्वाड्डे उभार दा काफ़ी भार है...
बीजी: आहह...अच्छा
मैं: मैंनु लगदा ए त्वाड्डे उभार पूरे भरे हुए है.. मेरे हाथ उनके चूतडो को दबा रहे थे.....
बीजी अपनी पतली सलवार कमीज़ मैं मेरे ऊपर लेट गयी थी...उनके बड़ी चूची मेरे मूह पर थी..
उनका निप्पल मेरे मूह मे था..
बीजी: आहह..ओह्ह.........पुत्तर........इक चीज़ ते बता...सच्ची सच्ची..
मैं: पूछो..बीजी... (मैं निप्पल चूसने लगा)
बीजी: आह....कुछ दिन पहले....जब तू मेरी चाय लाया सी....ते मैं पेट ते बल सो रही सी....मेरी कमीज़ थोड़ी उत-ते (ऊपर) चढी हुई सी............ते तू घूर घूर के की देख रेया सी....सच्ची दस..
मैं: बीजी...तुस्सी बुरा ते नही मानोगे..?
बीजी: ऊई...नही..बोल..
मैं: बीजी.....त्वाड्डी कमीज़ थोड़ी उत-ते चढी हुई सी.......ते त्वाड्डी सलवार..त्वाड्डे
चूतडो दे बीच मे घुसी हुई सी
बीजी: आअहह....ते इस्स इच...आहहय्ी.....घूरने वाली कौन सी गल ए..?
मैं: बीजी...मुझे त्वाड्डे चूतडो दे बीच मे घुसी हुई सलवार बहुत अच्छी लगी सी...
बीजी: हा..एयेए.....मतलब..?
मैं: मैंनु बहुत आकर्षक लगी...........मेरे दिमाग़ इच ख़याल आया...कि त्वाड्डे चूतड कैसे
होंगे..और त्वाड्डे चूतड दे बीच दी जगह कैसी होगी....
बीजी: अपनी मालकिन वास्ते इतने गंदे ख़याल रखदा ए..?
मैं: बीजी इस बिच मेरा की कसूर ए......
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