RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर ने अपनी पॅंट उतार फंकी और अपना 8.5 इंचस लंबा और करीब 4 इंचस मोटा
लंड उसके मुँह में देने लगा. पर अंजलि तो किसी जल्दबाज़ी में थी.
बोली,"प्ल्स घुसा दो ना मेरी चूत में प्ल्स. शमशेर ने भी सोचा अब तो केयी
सालों का साथ है ओरल बाद में देख लेंगे.
उसने अंजलि की टाँगों को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड का सूपड़ा अंजलि
की चूत पर रखकर दबाव डाला. पर वो तो बिल्कुल टाइट थी. शमशेर ने उसकी योनि
रस के साथ ही अपना थूक लगाया और दोबारा ट्राइ किया. अंजलि चिहुनक उठी.
सूपड़ा योनि के अंदर थे और अंजलि की हालत आ बैल मुझे मार वाली हो रही थी.
उसने अपने को पीच्चे हटाने की कोशिश की लेकिन उसका सिर खिड़की से लगा था.
अंजलि बोली,"प्ल्स जान एक बार निकाल लो. फिर कभी करेंगे. पर शमशेर ने अभी
नही तो कभी नही वाले अंदाज में एक धक्का लगाया और आधा लंड उसकी चूत में
घुस गया. अंजलि की चीख को सुनके अपने होटो से दबा दिया. कुच्छ देर इसी
हालत में रहने के बाद जब अंजलि पर मस्ती सवार हुई तो पूच्छो मत. उसने
बेहयाई की सारी हदें पर कर दी. वा सिसकारी लेते हुए बड़बड़ा रही थी. "ही
रे, मेरी चूत...मज़ा दे दिया... कब से तेरे लंड... की .. प .. प्यासी थी.
चोद दे जान मुझे... आ. आ कभी मत निकलना इसको ... मेरी चू...त आ उधर शमशेर
का भी यही हाल था. उसकी तो जैसे भगवान ने सुन ली. जन्नत सी मिल गयी थी
उसको.. उच्छल उच्छल कर वो उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था की अचानक
अंजलि ने ज़ोर से अपनी टांगे भींच ली. उसका सारा बदन अकड़ सा गया था.
उसने उपर उठकर शमशेर को ज़ोर स पकड़ लिया. उसकी चूत पानी छ्चोड़ती ही जा
रही थी. उससे शमशेर का काम आसान हो गया. अब वो और तेज़ी से ढ़हाक्के लगा
रहा था. पर अब अंजलि गिरगिरने लगी. प्ल्स अब निकल लो. सहन नही होता.
थोड़ी देर के लिए शमशेर रुक गया और अंजलि की होटो और चूंचियों को चूसने
लगा. वो एक बार फिर अपने चूतड़ उच्छलने लगी. इश्स बार उसने अंजलि को
उल्टा लिटा लिया. अंजलि की गांद सीट के किनारे थी और उसकी मनमोहक चूत
बड़ी प्यारी लग रही थी. अंजलि के घुटने ज़मीन पर तहे और मुँह खिड़की की
और. इश्स पोज़ में जब शमशेर ने अपना लंड अंजलि की चूत में डाला तो एक अलग
ही आनंद प्राप्त हुआ. अब अंजलि को हिलने का अवसर नही मिल रहा था. पर मुँह
से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी. हर पल उसे जन्नत तक लेकर जा रहा था.
इश्स बार करीब 20 मिनिट बाद वो दोनों एक साथ झाडे और शमशेर उसके उपर ढेर
हो गया. कुच्छ देर बाद वो दोनों उठे लेकिन अंजलि उससे नज़रें नही मिला पा
रही थी. प्यार का खुमार जो उतार गया था. उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने
और एक सीट पर जाकर बाहर की और देखने लगी. शमशेर को पता था की क्या करना
है. वा उसके पास गया, और ुआके पास बैठकर बोला... आइ लव यू अंजलि. अंजलि
ने उसकी छति में मुँह च्चिपा दिया और सुबकने लगी. ये नही पता.. पासचताप
के आँसू थे या मंज़िल पाने की खुशी के....
एक दूसरे की बाहों में लेते लेते कब सुबह हो गयी पता ही नही चला. सुबह के
5 बाज चुके थे. अभी वो भिवानी से 20 मिनिट की दूरी पर थे. जबकि अंजलि को
आगे लोहरू तक भी जाना था. जाना तो शमशेर को भी वही था पर अंजलि को नही
पता था की उनकी मंज़िल एक ही है. वो तो ये सोचकर मायूस थी की उनका अब
कुच्छ पल का ही साथ बाकी है. रात को जिसने उसको पहली बार औरत होने का
अहसास कराया था और जिसकी च्चती पर उसने आँसू बहाए तहे उससे बात करते हुए
भी वो कतरा रही थी.
अंत में शमशेर ने ही चुप्पी तोड़ी,"चलें"
अंजलि: जी... आप कहाँ तक चलेंगे?
शमशेर: तुम्हारे साथ... और कहाँ?
अंजलि: नही!...म..मेरा मतलब है ये पासिबल नही है.
शमशेर: भला क्यूँ?
अंजलि: वो एक गाँव है और सबको पता है की मैं कुँवारी हूँ. वहाँ लोग इश्स
बात को हल्के से नही लेंगे की मेरे साथ कोई मर्द आया था. फिर वहाँ मेरी
इज़्ज़त है.
शमशेर ने चुटकी ली," हां, आपकी इज़्ज़त तो मैं रात अच्च्ची तरह देख चुका हूँ.
अंजलि बुरी तरह झेंप गयी. काटो तो खून नही. तभी बस आने पर वो उसमें बैठ
गये. अंजलि ने फिर उसको टोका,"बता दीजिए ना की आप क्या करते हैं, कहाँ
रहते हैं कोई कॉंटॅक्ट नंबर.
शमशेर ने फिर चुटकी ली,"अब तो आपके दिल मैं रहता हूँ आपसे प्यार करता
हूँ, और आपका कॉंटॅक्ट नंबर. ही मेरा कॉंटॅक्ट नंबर. है.
अंजलि: मतलब आप बताना नही चाहते. ये तो बता दीजिए की जा कहाँ रहे हैं?
तभी भिवानी बस स्टॉप पर पहु च कर बस रुक गयी. अंजलि और शमशेर बस से उतर
गये. अंजलि ने हसरत भारी निगाह से शमशेर को आखरी बार देखा और लोहरू की बस
में बैठ गयी. उसकी आँखो में तब भी आँसू थे.
कुच्छ देर बाद ही वा चाउंक गयी जब शमशेर आकर उसकी साथ वाली सीट पर बैठ गया.
अंजलि को भी अब अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था. ये आदमी जिसको उसने स्वयं
को सौप दिया, ना तो अपने बारे में कुच्छ बता रहा है ना ही उसका पीचछा
छ्चोड़ रहा है. उसकी साथ आने वाली हरकत तो उसको बचकनी लगी. कहीं ये उसको
ब्लॅकमेल करने की कोशिश तो नही करेगा. वा सिहर गयी. वा उठी और दूसरी सीट
पर जाकर बैठ गयी.
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