RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
जैसे ही शमशेर आगे बढ़कर उसकी चूत पर हाथ ले जाने ही वाला था
की अचानक अंजलि उठी और बोली,"झुटे, तुमने झूठ क्यूँ बोला" उसकी आवाज़ में
मानो नाराज़गी नही, एक बुलावा था; सेक्स के लिए.
शमशेर आँखें बंद किए हुए ही बोला,"क्या झूठ बोला मैने आपसे"
अंजलि: यही की एररेक्ट नही होता.
शमशेर: तो मैने झूठ कहाँ बोला? हां नही होता
अंजलि: मैने चेक किया है. वो धीरे धीरे बोल रही थी.
शमशेर: क्या चेक काइया है आपने.
अंजलि उसके बाद कुच्छ बोलने ही वाली थी की अचानक बस बंद हो गयी. कंडक्टर
ने बताया की बस खराब हो गयी है. आगे दूसरी सवारी मैं जाना पड़ेगा.
आमतौर पर इश्स सिचुयेशन में ख़ासकर अकेली लॅडीस की हालत खराब हो जाती है.
पर अंजलि ने चहकते हुए कहा.,"अब मैं कैसे जौंगी".
शमशेर," मैं हूं ना""चलो समान उतरो"
बस से उतारकर दोनों सड़क के किनारे खड़े हो गये. अंजलि से कॉंट्रोल नही
हो रहा था. वो सोच रही थी इतना कुच्छ होने के बाद भी ये पता नही किस बात
का इंतज़ार कर रहा है. एक एक करके सभी लोग चले गये. लेकिन ना तो शमशेर और
ना ही अंजलि को जाने की जल्दी थी. दोनों चाह कर भी शुरुआत नही कर पा रहे
थे. फिर ड्राइवर और कंडक्टर भी चले गये तो वहाँ सब सुनसान नज़र आने लगा.
अचानक अंजलि ने चुप्पी तोड़ी,"अब क्या करेंगे?"
शमशेर: बोलो क्या करें?
अंजलि: अरे तुम्ही तो कह रहे तहे,"मैं हूँ ना" अब क्या हुआ?
शमशेर चलना तो नही चाहता था पर बोला"ठीक है, अब की बार कोई भी वेहिकल
आएगा तो लिफ्ट ले लेंगे.
अंजलि: मैं तो बहुत तक गयी हूँ. क्या कुच्छ देर बस में चलकर बैठें? मुझे
प्यास भी लगी है.
वो दोनों जाकर बस में बैठ गये. फिर अचानक शमशेर को कोल्ड्रींक याद आई जो
उसने बॅग में रखी थी. वो अपना रंग दिखा सकती थी. शमशेर ने कहा,"प्यसस का
तो मेरे पास एक ही इलाज है.
अंजलि:क्या?
शमशेर: वो कोल्ड्रींक!
अंजलि: अरे हां...थॅंक्स... उससे प्यास मिट जाएगी.. लाओ प्ल्स!
शमशेर ने बाग से निकल कर वो बोतल अंजलि को दे दी. अंजलि ने सारी बोतल खाली कर दी.
10 -15 मीं. में ही गोली अपना रंग दिखाने लगी थी. अंजलि ने शमशेर से
कहा," क्या हम यही सो जायें. सुबह चलेंगे.
अंजलि पर नशे का सुरूर सॉफ दिखाई दे रहा था. अब शमशेर को लगा बात बढ़ानी
चाहिए. वो बोला," आप बस में क्या कह रही थी"
अंजलि,"मुझे आप क्यू कहते हो तुम? मुझे अंजलि कहो ना.
शमशेर: वो तो ठीक है पर आप प्रिन्सिपल हो.
अंजलि: फिर आप, मैं कोई तुम्हारी प्रिन्सिपल थोड़े ही हूँ. मुझे अंजलि
कहो ना प्ल्स.. नही अंजू कहो. और हन तुमने झूठ क्यूँ बोला की एररेक्टिओं
की प्राब्लम है.
शमशेर: तुम्हे कैसे पता की मैने झूठ बोला.
अंजलि: मैने चेक किया था ये.
शमशेर: ये क्या!
अंजलि खूब उत्तेजित हो चुकी थी. उसने कुच्छ सोचा और शमशेर की पॅंट को आगे
हाथ लगाकर बोली,"ये"... "अरे तुम्हारी तो जीप खुली है. हा हा हा.
शमशेर को पता था वो नशे में है. वो बोला," क्या तुम्हे नींद नही आ रही?
आओ मेरी गोद में सुर रख लो!
अंजलि: नही मुझे देखना है ये कैसे खड़ा नही होता. अगर मैं इसको खड़ा कर
दूं तो तुम मुझे क्या दोगे.
शमशेर कुच्छ नही बोला
अंजलि: बोलो ना...
शमशेर: जो तुम चाहोगी!
अंजलि: ओक निकालो बाहर!
शमशेर: क्या निकालून?
अंजलि: च्चि च्चि नाम नही लेते. ठीक है मैं खुद निकल लेती हूँ. कहते हुए
वो भूखी शेरनी की तरह शमशेर पर टूट पड़ी.
शमशेर तो जैसे इसी मौके के इंतज़ार मैं था. उसने अंजलि को जैसे लपक लिया.
नीचे सीट पर गिरा लिया और उसे कपड़ों के उपर से ही चूमने लगा. अंजलि
बदहवास हो चुकी थी. उसने शमशेर का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके
होंठों को अपने होठों में दबा लिया. शमशेर के हाथ उसकी चूंचियों पर कहर
ढा रहे तहे. एक एक करके वा दोनो चूंचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. अंजलि
अब उसकी छति सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी थी..ओह लोवे मे प्ल्स लव मे... आइ
कांट वेट. आइ कांट लिव विदाउट यू जान.
सुनसान सड़क पर खड़ी बस में तूफान आया हुआ था. एक एक करके जब शमशेर ने
अंजलि का हर कपड़ा उसके शरीर से अलग कर दिया तो वो देखता ही रह गया.
स्वर्ग से उतरी मेनका जैसा जिस्म... सुडौल चुचियाँ... एक दम तनी हुई.
सुरहिदार चिकना पेट और मांसल जांघें... चूत पर एक भी बॉल नही था. उसकी.
चूत एक छ्होटी सी मच्चली जैसी सुंदर लग रही थी. उसने दोनों चूंचियों को
दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूत पर मुँह लगा दिया. अंजलि उबाल पड़ी.
साँसे इतनी तेज़ चल रही थी जैसे अभी उखाड़ जाएँगी. पहले पहल तो उसे अजीब
से लगा अपनी चूत चत्वाते हुए पर बाद में वा खुद अपनी गांद उच्छल उच्छल कर
उसकी जीभ को अपने योनि रश का स्वाद देने लगी.
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