RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
अपनी बेटी की हो रही डबल चुदाई देखके गुलबदन को अच्छा लग रहा था। उससे पता था कि गुलनार कि चुदाई के बाद यह दोनो हरामी, मादरचोद हिंदू लंड उसके ऊपर एक साथ चढ़ने वाले थे और उसे भी बेरहमी से चोदने वाले थे। गुलनार को अपने मम्मे सहलाने दे के, गुलबदन ने उसके निपल से खेलते कहा- “हाँ गुलनार बड़ा मजा आ रहा है ना तुझे एक साथ दो दो हिंदू लंड अपने बदन मे डलवाने मे… अरे उसके बाद तू देख कैसे यह हरामी मुझे एक साथ चोद डालेगे मेरी बेटी…”
गुलनार ने एक हाथ नीचे डालके, जय का लंड फील करते कहा- “माँ आह आह हाँ बहुत मजा आ रहा है, ऐसी चुदाई मैने कभी सोची भी नही थी…”
गुलनार का निपल जरा जोर से मसलते गुलबदन बोली- “उफफफ़, गुलनार तेरी चूची भी मस्त है बेटी। इसलिए जय तेरी जवानी पे फिदा हुआ। राज और जय, हमारी बेटी के आशिको, और चोदो मेरी बेटी को, जैसा चाहे वैसा चोदो इस रंडी को…”
गुलबदन कि बात सुनके राज और जय खुश हो गये और गुलनार को मस्तीसे चोदने लगे। गुलनार “माँ आह एककक आह हन…” ऐसी बोलते जा रही थी।
जय नीचे था और गुलनार उसके ऊपर आके मुस्लिम चूत मे लंड ले रही थी और राज पीछे से गुलनार कि गांड फैला के उसका लंड गुलनार कि गांड मे डालके दोनो गुलनार को चोद रहे थे।
राज गुलनार कि गांड जोर से चोदते बोला- “बोलो बेटी,अपने राज चाचा का लंड पसंद आया तुमको…”
गुलनार एकदम रंडी स्टाईल मे अपना सिर घुमाके राज के गाल का चुम्मा लेकर बोलि- “राज चाचा, जब मैने आपको खिड़कि से मेरी माँ से खेलते देखा तो सोच रही थी कि अगर यह राज चाचा का लौड़ा मुझे मिल जाई तो कितना मजा आएगा, और अब जब असल मे यह लंड मेरी गांड मे है तो मै बहुत खुश हूँ…”
इन दो मजदुरो से अपनी कमसिन बेटी कि हो रही चुदाई देखके गुलबदन से रहा नही गया और गुलबदन ने गुलनार के सामने खड़ी होके, गुलनार का सिर अपनी चूत पे दबाया। अपनी माँ से ऐसी हरकत कि उम्मीद नही थी और इसलिए ऐसा करने से गुलनार पहले तो घबराई, लेकिन फिर वो समझी कि उसकी रंडी माँ भी गर्म हुई थी अपनी बेटी को 2-2 मर्दो से चुदवाते देखके। और उसके पहले तो उसकि माँ की चुदाई आधे मे छोड़के राज उसे चोदने आया था।
अपनी माँ कि बात समझते गुलनार अब अपनी माँ की चूत चाटने लगी जिसे रोहीत ने चोदके उसको गुलबदन के पेट मे डाला था और जिसके 9 महीने बाद गुलनार पैदा हुई थी। इन माँ-बेटी की रंडीगिरी देखके राज, गुलनार कि गांड मारते मारते गुलबदन के मम्मे दबाने लगा और जय गुलनार की चूत चोदते उसकी रंडी माँ की गांड मे उंगली करने लगा।
गुलनार लगातार अपनी माँ की चूत मे जीभ डालके, उसकी चूत के दाने को हलके से चबाते चूस रही थी। गुलबदन भी अपनी बेटी का मुँह अपनी चूत पे दबाके मजा ले रही थी और अपनी गांड मे जय से उंगली डलवा के ले रही थी।
वाह, क्या नजारा था वो… एक बेटी, कुली और तांगेवाले से अपनी चूत और गांड मरवा रही थी, उसकी माँ अपनी बेटी से अपनी चूत चाटवा रही थी और एक मर्द माँ कि चुचीयो के साथ खेलते बेटी कि गांड मार रहा था और दूसरा मर्द बेटी की चूत चोदते माँ की गांड मे उंगली कर रहा था।
वो चारो चुदाई का पूरा-पूरा मजा ले रहे थे। 10-15 मिनट यह खेल चल रहा था। अपनी गुलनार रांड़ को खूब चोदने के बाद अब जय को लगा कि वो झड़ने वाला है तो उसने गुलनार को दबोच लिया। गुलनार भी समझ गयी कि जय अब झड़ने वाला था तो उसने भी अपनी चूत जय के लंड पे जोरो से रगड़ना शुरू किया। राज समझा कि जय झड़ने वाला था तो राज ने उसका लंड गुलनार कि गांड से निकालके, खड़े होके, अपनी गुलबदन छिनाल के बाल पकड़ के, उसे झुकाते, गुलबदन के खुले मुँह मे अपना लंड घुसा डाला।
जो लौड़ा पहले गुलबदन कि गांड और बाद मे उसकि बेटी की गांड चोदके निकला था वो अब गुलबदन के मुँह मे था। राज ने गुलबदन को ऐसा पकड़ा था कि गुलबदन राज का लंड चूसने के सिवा कुछ कर ही नहीं सकती थी।
इतने मे जय ने गुलनार को घुमाके उसके नीचे लिया और अपना लंड जोर से गुलनार की चूत मे दबाके झड़ने लगा। जय गुलनार के मम्मे जोर से दबा दबाके उसके हिंदू लंड का पानी गुलबदन की कमसिन बेटी गुलनार की मुस्लिम चूत मे डालने लगा और तभी राज गुलबदन का मुँह चोदके गुलबदन के मुँह मे झड़ गया।
हवस की आग शांत हुई थी। वो चारो झड़ने के बाद एक दूसरे की बाहो मे नंगे पड़े रहे। वो रंडी माँ-बेटी उन दो हिंदुओं के सामने उनसे चुदवाकर बेशरम होके वैसे ही नंगी अपने-अपने यार की बाहो मे पड़ी थी। अभी तो पूरी रात बाकि थी।
!! समाप्त !!
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