RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
जय अब मस्ती से गुलनार की गांड पे लंड मसल रहा था। गुलनार उन तीनो को बिना रोके मस्ती करने दे रही थी उसके हाथ में राज का लंड था, उसे और प्यार से मसलते गुलनार बोली- “यह सब झूठ है माँ, मुझे बदनाम करने की साजिश है तेरी। और क्या बोली तू, अब्बू मेरे असली अब्बू नही है… मै एक ड्राइवर की बेटी हूँ… क्या मेरा बाप नामर्द था माँ… इसका मतलब तू पहले से यह सब ऐयाशी कर रही थी माँ…”
और ही बेशर्म होके गुलबदन ने गुलनार का एक निपल चूसते कहा- “नही गुलनार, तेरा बाप नामर्द नही है, उसका स्पर्म काउंट कम होने से वो मुझे प्रेग्नेंट नहीं कर सकता था। यह बात उसे पता नही थी और इसलिए तू मुझे शादी के 4 साल बाद हुई और वो भी रोहीत ने मेरा बलात्कार किया उसके वजह से समझी बेटी… कौन बदनाम कर रहा है तुझे… क्या मै तुझे बदनाम करुँगी गुलनार बेटी… गुलनार तू मेरा खून है और मै तुझ से झूठ नही बोलूँगी रोहीत तेरा असली बाप है। अब तू भी बोल तू रंगीला से चुदवाती है ना बेटी…”
राज आगे से गुलनार की चूत में उंगली कर रहा था और पीछे से जय उसकी गांड में लंड घुमा रहा था। दो हिंदू मर्दो का एक-एक हाथ गुलनार की एक-एक चूची मसल रहा था। गुलनार भी अब जोश में आके अपना बदन ढीला करती है 2-2 हिंदू मर्दो के हाथ से अपने जिस्म से खिलवाड़ करवाते बोली- “माँ तुम मुझे बदनाम कर रही है और मुझे बदनाम करके तुम इसकी आड़ में अपनी हवस मिटा रही हो…”
गुलनार का दूसरा निपल कीस करते गुलबदन बोली- “नही बेटी ऐसा कुछ नही है, अगर तुमको नही चाहीए तो मत चुदवा अपना बदन इस हरामी से…” यह कहते जय का लंड गुलनार की गांड से दूर करते गुलबदन आगे बोली - “लेकिन यह बता की मैंने कई बार रात में रंगीला को तुम्हारे कमरे से बाहर आते कैसे देखा… क्या वो इतने रात तुझे खाना पकाना सिखाने आता था क्या… क्या तुझे गोद में बिठाके, अपना लंड तेरी गांड में डालके और तुम्हारे सीने को मसलके, तेरे तरबूज दबाते रंगीला तुझे सब्जी बनाना सिखाने आता था क्या मेरी बेटी…”
अपने माँ से इतनी गंदी पर सच्ची बात सुनके गुलनार समझी की उसका राज खुल गया है और वोह बोली - “माँ तू सच कह रही है, मेरा और रंगीला का चक्कर चल रहा है और वो कई बार रात-रात भर हमारे कमरे में आया और मुझे पूरी रात चोदता है। तू और अब्बू जब अपने कमरे में जाते हो, तो पीछे के डोर से रंगीला को अंदर लेकर मै पूरी रात उससे चुदवाती हूँ और फिर सुबह 5:00 बजे रंगीला अपने घर से निकल जाता है…” यह कहते गुलनार, राज और जय से अपनी चूत और गांड उनके लंड से रगड़ने लगी और वो दोनो गुलनार की चूचियों से खेलने लगे।
गुलनार बड़ी मस्ती से अपना पूरा जिस्म उन दो मर्दो को देके डबल प्रेसिंग का मजा लेने लगी। गुलबदन अब क्यों पीछे रहती… गुलनार के मम्मे से जय का हाथ हटाते, गुलनार का निपल खूब चूसके और फिर निपल से खेलते गुलबदन बोली- “यह हुई ना बात। अरे बेटी मुझे खुशी है कि तुझे अपना यार इतने जल्दी मिल गया। गुलनार कई रात तुम्हारे कमरे से- "रोहीत आराम से चोदो मुझे दर्द होता है…" ऐसी आवाजे सुनके मैंने खुद अंदर आके रंगीला से चुदवाना चाहा लेकिन फिर सोचा की मै खुद अपनी बेटी के खेल को क्यों बिगाड़ूँ… मैंने 1-2 बार तुझे उससे चुदवाते देखा और रंगीला का लंड देखके ऐसा लगा की मै भी उसके नीचे जाके चुदवा लूँ पर इससे तू मुझसे नाराज होती इसलिए मै नही आई अंदर…”
गुलनार भी तो गुलबदन की ही बेटी थी। जब माँ इतनी रंडीगिरी कर सकती थी तो बेटी कैसे पीछे रहती… गुलनार भी नालायक होके गुलबदन के दोनो मम्मे सहलाके बोली- “ओह माँ, अगर तू आती हमारे कमरे में तब मुझे शर्म आई होती, लेकिन अब जाने के बाद हम दोनो रंगीला से चुदवा लेंगे एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पे ओके…”
गुलनार का हाथ अपने मम्मे पे दबाते गुलबदन ने उससे फ्रेंच कीस करते कहा- “अगर ऐसी बात है तो बहुत मजा आएगा गुलनार, अब हम दोनो मिलके इन दोनों हिंदुओं से चुदवा लेंगे और घर जाने के बाद तू रोहीत को बोल कि तेरी माँ भी उससे चुदवाना चाहती है। अगर मै भी उससे चुदवाने लगूंगी तो फिर तुझे कोई टेंशन नहीं होगा मेरी सेक्सी
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