RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मैं अब बेसब्री से ससुरजी का लंड मेरी चूत में महसूस करना चाहती थी. पर ससुरजी के गंदे दिमाग़ में कुछ और था. मेरी चूत पे अपना लंड रगड़ते रगड़ते ससुरजी अपने दोनो हाथों से मेरी गोल गोल गोरी गान्ड को मसल रहें थे. गान्ड मसल्ते वक़्त उनको मेरी गान्ड का गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. ये नज़ारा उनको पागल बना रहा था. उनका लंड अब मेरी चूत के पानी से पूरा गीला हो गया था. उन्होने गीले लंड को अचानक मेरी गान्ड के छेद पे रख एक ज़ोरदार धक्का लगाया.
‘आआआआऐययईईईईईईईईईईई’ में ज़ोर्से चीख पड़ी. उनका लंड दो इंच तक मेरी गान्ड में घुस गया था.
‘आआअहह..... बहू राआनी आआआहह’ ससुरजी को मेरी छोटी सी गान्ड में अपने लंड के उपर का हिस्सा डाल के बहुत मज़ा आ गया था. इतनी टाइट गान्ड उन्होने ज़िंदगी में कभी नही चोदि थी. वो पूरा ज़ोर लगा कर अपना मोटा लंड धीरे धीरे मेरी गान्ड के अंदर डाल रहे थे.
में दर्द के मारे चिल्ला चिल्ला कर रो रही थी. ‘नहियिइ... मुझे जाने दो आाऐययईई’ ससुरजी का गरम लंड मेरी गान्ड के छोटे से छेद को फैला रहा था.
टेबल पे कुत्ति की तरह होने के कारण मुझे टेबल पे रखी मेरे पति की सारी चीज़े दिखाई दे रही थी. उनके टेबल पे उन्होने बड़े प्यार से अपने बेटे और हमारी शादी की तस्वीरे रखी थी. मेरी आँखों के सामने मेरे प्यारे पति की तस्वीर देख मेरे आँसू बहने लगे और में और ज़ोर लगा के ससुरजी के चंगुल से निकलने की कोशिश करने लगी. लेकिन ससुरजी अब हवस से बिल्कुल पागल हो चुके थे, उनको सिर्फ़ अपने लंड की प्यास भुजानी थी और उनके ज़ोर के सामने मेरी ताक़त कुछ भी नही थी.
धीरे धीरे ससुरजी ने अपना पूरा दस इंच का लंड मेरी गान्ड में घुसा डाला. मेरी गान्ड का दर्द इतना था कि मुझे लगा कि में बेहोश हो जाउन्गि. उन्होने अब अपना लंड दो या तीन इंच अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. अंदर बाहर करने से उनके लंबे बॉल्स मेरी चूत से टकराने लगे. इतने दर्द में होने के बावजूद मुझे इससे मज़ा आने लगा.
ससुरजी को इतनी टाइट गान्ड में अपना लंड डालके अब रहा नही जा रहा था और वो झरने के बहुत ही करीब आ गये थे. उन्होने मेरी गान्ड को अब तेज़ी से मारना शुरू कर दिया.
‘आआआहह... बहू रानी, तुम्हारी गान्ड तो बहुत छोटी हैं आआआअहह.....’ वो अब अपने पूरे लंड से मेरी गान्ड की बेरहमी से चुदाई कर रहें थे. मुझे पूरा दस इंच का लंड मुझे मेरी गान्ड में अंदर बाहर होते हुए महसूस हो रहा था. लंड बाहर जाते ही मेरी गान्ड का छेद सिकुड जाता और ससुरजी फिर से ज़ोर लगा कर लंड अंदर घुसेड देते. आख़िर ससुरजी के लंड से वीर्य छूटना शुरू हो गया. ‘आआहह...’ ससुरजी पागल की तरह चिल्ला रहे थे.
वो अपने दोनो हाथो से मेरे बाल खीच रहें थे और कुत्ते के जैसे तेज़ी से मेरी गान्ड मार रहें थे. उनके लंड से गरम गरम वीर्य निकलता हुए मुझे मेरी गान्ड में महसूस हो रहा था. हरेक धक्के पे ससुरजी के लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. उनका लंड झरते वक़्त झटके खा रहा था और इसी मेरा दर्द और बढ़ गया था. ससुरजी चार पाँच मिनिट तक ऐसे ही झरते रहें. आख़िर उनका झरना बंद हुआ.
झरना ख़तम होने के बाद ससुरजी ने अपना पूरा लंड मेरी गान्ड के अंदर ही रखा और वो झुक के मेरे उपर लेट गये. वो ज़ोर से साँसें ले रहें थे. उनका शरीर पसीने से पूरा गीला हो गया था और मुझे वो पसीने के गंदी बदबू आ रही थी.
‘प्लीज़ पिताजी, आप उठिए मेरे उपर से’
‘हहेहहे बहू. अब इतना सब होने के बाद मुझे दूर क्यूँ कर रही हो. आज पूरा दिन हैं हमारे पास. अभी तो मैं शुरू हुआ हूँ’ मैं ये बात सुनकर डर गयी. पता नहीं ससुरजी ने मेरे लिए क्या क्या प्लान बनाय होंगे. मेरा सारा बदन पसीने से लत्पथ हो गया था.
‘अरे बहू तुम्हारे बदन पे तो बहुत पसीना छा गया हैं, लाओ में सॉफ कर देता हूँ’ ऐसा कह के ससुरजी ने मेरी पीठ पे अपनी जीब निकाल के चाटना शुरू कर दिया. में रोती रही और उनको रोकने की नाकाम कोशिश करती रही.
तभी अचानक, घर का दरवाज़ा खुला. ससुरजी झट से मेरे उपर से उठके अपने कमरे में दौड़के घुस गये.
मेरे पति घर आ गये थे. ‘मानसी, मानसी, कहाँ हो तुम’
मेरी गान्ड का दर्द बहुत ज़्यादा था. फिर भी में कैसे भी करके अपने कपड़े पहेन ने लगी. ‘कहाँ हो डार्लिंग ?, ये नौकर सब कहाँ गये’ मेरे पति सारे कमरे में मुझे ढूँढ रहें थे और में फटाफट अपने कपड़े पहेन रही थी. मैने अपने कपड़े ठीक ही किए थे कि वो कंप्यूटर रूम में आ गये. ‘अरे यहाँ क्या कर रही हो तुम’
‘जी में थोड़ी सॉफ सफाई कर रही थी, पिताजी ने नौकरों को अपने जनमदिन पे छुट्टी दे दी हैं. आप इतनी जल्दी घर आ गये ?’
‘हान, आज हमे बहुत बड़ा कांट्रॅक्ट मिला हैं, इसलिए में खुश हूँ, चलो बाहर जा कर सेलेब्रेट करते हैं, मैं तैयार हो कर आता हूँ, तुम भी तैयार हो जाओ’ ये कह के मेरे पति बाहर चले गये. उनकी आँखों में मेरे लिए प्यार देख मुझे बहुत दुख हुआ और में फिर से रोने लगी. मैने सोचा कि अगर उनको पता चला कि उनके पुज्य पिताजी ने उनकी प्यारी पत्नी का गंदी तरह से बलात्कार किया हैं तो शायद वो अपनी जान ले लेंगे. मैने चुप रहने का फ़ैसला कर दिया.
मैं जानती थी कि ससुरजी ज़रूर फिर से नौकरों को बाहर भेज के मेरा बलात्कार करने की कोशिश करेंगे. इसीलिए मैने दूसरे ही दिन रामू से बात करली
‘अगर ससुरजी कहे फिर भी तुम मुझे पूछे बिना छुट्टी नही लोगे, ठीक हैं, घर का सारा काम और ससुरजी की देखभाल मुझ से अकेले नही होता’
‘जी ठीक हैं मालकिन’
मेरे हिसाब से अब ससुरजी के पास कोई तरकीब नहीं थी जिससे वो मेरे जिस्म को हाथ लगा सके. काफ़ी दिन ऐसे ही बीत गये. ससुरजी ने कई बार नौकरों को जाने को कहा पर वो हमेशा मुझ से पूछते और में उनको मना कर देती.
फिर एक दिन मैं हमारे बगीचे मे गार्डेनिंग कर रही थी. हमारा बहुत ही बड़ा बगीचा था और बगीचे के पीछे की ओर एक छोटा सा कमरा था. मैं गार्डेनिंग कर रही थी कि अचानक ससुरजी वहाँ आ गये और कहा
‘बहू जल्दी आओ, सुभाष कमरे में गिर गया हैं और उसे बहुत चोट आई हैं’. मैं अपने लाड़ले बेटे को देखने भाग के गार्डेन के पीछे वाले कमरे में घुस गयी. ससुरजी मेरे पीछे आ गये थे. मैने कमरे में झाँक के देखा तो वहाँ कोई नही था. तभी अचानक ससुरजी ने पीछे से आ कर मुझे जाकड़ लिया और मेरे मूह पे कपड़ा लगा दिया....
क्या बात है दोस्तो ये कहानी आप को पसंद नही आ रही क्या जो किसी का कोई भी कमेंट इस कहानी को नही मिला
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