RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
इधर मेरा लंड भी अब मुँह की बजाय चूत की गिरफ्त का तलबगार था। मैं अम्मी की टाँगों के बीच आ गया। उनकी चूत अच्छी तरह भीग चुकी थीं। मैंने उनकी चूत पर लंड रख कर अपने चूतड़ों को आगे धकेला। मेरा लंड आसानी से रास्ता बनाता हुआ उनकी चूत के अंदर घुस गया। मैंने उन्हें हलके धक्कों से चोदना शुरू कर दिया। क्या दिलकश नज़ारा था! दोनों बहने सिर्फ ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी पास-पास लेटी थीं और उनके बेटे उनको खुल कर चोद रहे थे। हमारे लंड एक लय में उनकी फुद्दियों में अंदर-बाहर हो रहे थे। वो दोनों भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर हमारा साथ दे रही थीं। हमारे झटकों से दोनों के मम्मे हिल रहे थे। अम्मी और अम्बरीन खाला वक़फे-वक़फे से एक दूसरे की तरफ भी देख लेतीं थीं। वो अब इस खेल का पूरा मज़ा ले रही थीं और दोनों के चेहरों पर इत्मीनान और सकून नज़र आ रहा था।
मैं चुदाई में ज्यादा तजुर्बेकार नहीं था लेकिन फिर भी मुझे एहसास हो गया के अम्मी की चूत पानी छोड़ने वाली है। उनके मुँह से बे-हंगम आवाज़ें निकल रही थी और उनकी कमर तेजी से झटके खा रही थी। उनको मंजिल तक पहुँचाने के लिये मैंने अपने धक्कों की ताकत बढ़ा दी। अचानक उनका जिस्म अकड़ा और उनकी साँसें थम सी गयीं। मैं समझ गया कि उनका काम हो गया था। मेरा लंड अब भी उनकी चूत के अंदर था। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला। जब अम्मी थोड़ी नॉर्मल हुईं तो मैंने फिर घस्से मारने शुरू किये लेकिन अब मुझे अपना लंड उनकी चूत के ज्यादा अंदर पहुँचाने में मुश्किल हो रही थी। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सीधा लेट कर उन्हें अपने लंड पर चढा लिया। मेरा लंड फिर अम्मी की चूत के अंदर था और वो उस पर आहिस्ता-आहिस्ता धक्के लगाने लगीं। मैंने अम्बरीन खाला की तरफ नज़र घुमाई।
राशिद अब उन्हें पीछे से चोद रहा था। राशिद की पतली रानें खाला के मांसल चूतड़ों से टकरा कर नशीली आवाज़ें पैदा कर रही थीं। उसने खाला के चूतड़ों को कस कर पकड़ा और अपने घस्सों में थोड़ी तेज़ी ले आया। जब लंड चूत में जाता तो खाला मुँह से ‘उफफफफ्फ़’ की आवाज़ निकल जाती। कुछ देर इस तरह खाला को चोदने के बाद वो भी मेरे पास लेट गया और अपनी अम्मी को अपने ऊपर चढ़ने के लिए कहा। खाला ने अपने हाथ से राशिद का लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा और एक शानदार धक्का लगाया। एक ही धक्के में उन्होंने पूरा लंड अपनी फुद्दी में ले लिया। अब अम्मी की तरह अम्बरीन खाला भी अपने बेटे के लंड पर फुदकने लगीं।
अभी तक मैंने अपने ऊपर काफ़ी क़ाबू रखा था और खल्लास नहीं हुआ था लेकिन जब अम्मी ने भरे हुए चूतड़ों ने बार-बार मेरे लंड पर वज़न डाला तो मुझे लगा के में खल्लास हो जाऊँगा। अम्मी मेरे चेहरे के तासुरात से समझ गयीं कि मैं खल्लास होने वाला हूँ। मेरी मदद करने के लिये उन्होंने अपने चूतड़ों की हरकत धीमी कर दी।
खाला अब मजीद रफ़्तार से फुदक रही थी और झड़ने के कगार पर थीं। उन्हें देख कर अम्मी ने भी अपने घस्सों को तेज़ी दी और फिर दोनों बहने एक साथ चीखते हुए झड़ने लगीं। राशिद का जिस्म भी अकड़ गया। शायद वो भी अपनी अम्मी की चूत में झड़ रहा था। सब को झड़ते देख कर मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ छोडनी शुरू कर दीं। अम्मी मेरे पर गिरीं और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भींच लिया। खाला ने राशिद को अपने से चिपका रखा था। कुछ मिनट बाद मेरी हालत ज़रा बेहतर हुई तो में अम्बरीन खाला की तरफ मुखातिब हुआ। वो राशिद के लंड से उतर कर मेरे से लिपट गयीं। अम्मी ने मुस्कुराते हुए हमें देखा। राशिद उठ कर गर्मजोशी से उन से लिपट गया। हमने पूरी रात चुदाई की। मैंने राशिद ने मिलकर अम्बरीन खाला और अम्मी की चूट और गाँड में भी एक साथ चुदाई की।
इस वाक़िये को चार साल बीत चुके हैं। तब से आज तक मैंने अपनी अम्मी और खाला के अलावा किसी को नहीं चोदा है। राशिद भी इन्ही को चोद रहा है। अम्मी और अम्बरीन खाला ज़रूर हमारे आलावा भी अक्सर दूसरे मर्दों से चुदवाती हैं लेकिन हमें इसमें कोई एतराज़ नहीं है क्योंकि वो हमारा मुकम्मल साथ देती हैं। जब भी मुझे चूत की तलब लगती है, मेरे एक इशारे पर अम्मी अपनी चूत मुझे दे देती हैं। अम्बरीन खाला भी राशिद के लंड को प्यासा नहीं रहने देती हैं। और जब मौका मिलता है, हम चारों इकट्ठे हो जाते हैं। मैं खाला को चोद लेता हूँ और राशिद मेरी अम्मी को।
मेरे सर से अपनी अम्मी और खाला को चोदने का भूत आज तक नही उतार सका. लेकिन में अम्मी को उसी वक़्त चोदता हूँ जब मुझे उनकी तरफ से इस बात का कोई इशारा मिलता है के वो चुदवाना चाहती हैं. मुझे खुद इस सिलसिले में उन से बात करने की हिम्मत नही होती. मै उनकी चूत ज़रूर मारता हूँ मगर इस का मतलब ये नही है के वो मेरी माँ नही रहीं. हम अब भी पहले ही की तरह माँ और बेटे ही हैं.
जिन लोगों का ख़याल है के इन्सेस्ट से रिश्तों की नोआयत पूरी तरह बदल जाती है वो गलती पर हैं. ऐसा बिल्कुल नही होता. फ़र्क़ ज़रूर पड़ता है लेकिन अगर बेटा अपनी माँ को चोद ले तो फिर भी माँ माँ ही रहती है बीवी नही बन जाती. मेरे लिये ये आज भी मुमकिन नही है के खाविंद की तरह उन्हे इशारा करूँ और वो अपनी शलवार उतार दें. अगरचे में जानता हूँ के वो मुझे चूत देने से इनकार नही कर सकतीं मगर मुझे ये भी ईलम है के वो ऐसा अपनी रज़ामंदी से ही करती हैं ज़ोर ज़बरदस्ती से नही. अब भी में उनकी कोई बात नही टाल सकता और ना अपनी कोई बात उन से ज़बरदस्ती मनवा सकता हूँ. मै नही जानता के मुस्तक़बिल में किया हो गा मगर मेरी और राशिद की शादियों तक तो शायद सब कुछ ऐसा ही रहे. बाक़ी जो क़िस्मत में लिखा हो वो हो कर रहता है.
THE END
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