RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
हम वापस घर आये और वो फिल्म देखी तो वाक़य उसमें मैं अम्बरीन खाला की कमीज़ उतार कर उनके मम्मे मसल रहा था और खाला भी नशे में मेरी हरकत पे हंस रही थीं और लुत्फ़ उठा रही थीं। अम्मी ने कहा कि – “ये तो बहुत गड़्बड़ है... अगर नज़ीर ने ये फिल्म किसी को भेज दी तो क्या होगा!” अम्बरीन खाला बोलीं कि – “इसका मतलब है नज़ीर ने जो मेरे साथ किया उसकी भी फिल्म बनी होगी।“ मैंने कहा कि “ऐसी फिल्म तो उसे भी फंसा देगी... वो ये नहीं कर सकता।“ अम्मी ने मुझसे इत्तेफक़ किया। फिर खाला ने नज़ीर के दिये हुए नम्बर पर फोन किया और पूछा कि वो क्या चाहता है। उसने हंस कर कहा कि वो अम्बरीन खाला और मेरी अम्मी को चोदना चाहता है और उसे पचास हज़ार रुपये भी चाहियें। खाला ने उससे कहा कि वो चाहे तो उन्हें चोद ले लेकिन मेरी अम्मी की बात छोड़ दे और रुपयों का इंतज़ाम भी हो जायेगा। पचास हज़ार रुपये तो खैर मामूली बात थी अगर वो बेवकूफ पाँच लाख भी माँगता तो अम्बरीन खाला आसानी से दे देतीं। मुझे हैरानी इस बात की थी कि अम्बरीन खाला नज़ीर से खुद चुदने के लिये फौरन रज़ामंद हो गयी थीं। नज़ीर ने कहा कि वो अम्बरीन खाला के साथ-साथ मेरी अम्मी को भी चोदे बगैर नहीं मानेगा।
फोन काटने के बाद अम्बरीन खाला ने हमें ये बात बतायी और बोलीं – “वो यासमीन को भी चोदना चाहता है... क्या करें!”
अम्मी बोली – “करना क्या है अम्बरीन! हम कोई खतरा मोल नहीं ले सकते... हमें हर सूरत में वो फिल्म हासिल करनी है चाहे इसके लिये हमें अपनी चूत उसे दे कर अपनी इज़्ज़तों का सौदा ही क्यों ना करना पड़े...!”
मुझे फिर हैरानी हुई कि अम्मी भी एक अजनबी गैर-मर्द से चुदवाने के लिये बगैर हिचकिचाहट के फौरन रज़ामंद हो गयी थीं और साथ ही मुझे ये एहसास भी हुआ कि हालात कुछ ऐसे हो गये थे कि मेरी अम्मी और खाला मेरे सामने अपनी चूतों और चुदाई का ज़िक्र कर रही थीं और ना उन्हें कोई शरम महसूस हो रही थी और ना मुझे। वक़्त भी कैसे-कैसे रंग बदलता है।
फिर अम्मी बोलीं – “लेकिन मसला ये है कि उस कुत्ते को कहाँ मिला जये?” अम्बरीन खाला बोलीं – “यासमीन! नज़ीर चालाक आदमी है... हमें उसे अपने घर ही बुलाना चाहिये क्योंकि हमारे लिये बाहर कहीं जाना ज़्यादा खतरनाक हो सकता है।“ मैंने और अम्मी ने इस बात से इत्तेफ़ाक किया।
खाला ने नज़ीर को फोन करके हमारे घर का पता बताया और कहा कि वो कल सुबह ग्यारह बजे आ जाये! उसने कहा कि – “ठीक है... और मैंने फिल्म अपने एक दोस्त को दी है जब मैं फ़ारिग हो कर तुम्हारे घर से निकलुँगा तो तुम मेरे साथ चलना और फिल्म ले लेना!” हमारे पास उसकी बात मान लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। इसके बाद अम्बरीन खाला अपने घर चली गयीं।
अगले दिन अम्मी ने बच्चों को सुबह ही नाना के घर भेज दिया था। अम्बरीन खाला सुबह दस बजे ही आ गयीं। वो तैयार होकर आयी थीं और अम्मी भी वैसे ही काफी सज-धज कर तैयार हुई थीं। दोनों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी पार्टी के लिये तैयार हुई हों। नज़ीर के आने में एक घंटा बाकी था तो मैं भी नहाने चला गया। नहा कर कपड़े पहन कर आया तो अम्मी और खाला ड्राइंग रूम में बैठी शराब पी रही थीं और हंसते हुए कुछ बात कर रही थीं। मुझे हैरानी हुई कि एक तो ये कोई वक्त शराब पीने का नहीं था और दूसरे उन्हें देख कर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि नज़ीर से अपनी इज़्ज़त लुटवाने में उन्हें कोई मलाल या शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। बल्कि ऐसा महसूस हो रहा था कि वो खुद नज़ीर से चुदवाने के लिये बेकरार हो रही थीं। खाला ने पचास हज़र रुपये का लिफाफा मुझे देते हुए कहा कि जब वो दोनों नज़ीर के साथ होंगी तो मैं दूसरे कमरे में वो रुपये अपने पास संभाल कर रखूँ। ठीक ग्यारह बजे दरवाज़े की घंटी बाजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने नज़ीर और करामत खड़े थे। मैं उन्हें ले कर ड्राइंग रूम में आ गया। अम्मी और अम्बरीन खाला सोफ़े पर बैठी थीं और शराब की चुस्कियाँ ले रही थीं। अम्मी नशीली आँखों से नज़ीर को गौर से देख रही थीं। नज़ीर ने भी दोनों बहनों को देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गयी।
अम्मी को घूरते हुए नज़ीर बोला – “अच्छा तो तुम इसकी बहन हो। तुम भी इसी कि तरह मज़ेदार हो! इस की फुद्दी मैंने पिंडी में मारी थी और आज तक उसकी लज़्ज़त नहीं भूला। रोज़ इसकी चिकनी फुद्दी को याद कर के दूसरी औरतों को चोदता था और मुठ मारता था।“ अम्मी कुछ बोली नहीं सिर्फ़ अदा से मुस्कुरा दीं।
अम्बरीन खाला ने उन दोनों को बैठने को कहा और उन्हें भी शराब पेश की लेकिन नज़ीर इंकार करते हुए बोला – “मैं तो अब तुम दोनों को चोद कर तुम्हारे हुस्न की शराब पियुँगा। इस काम में मेरा ये दोस्त करामत मेरी मदद करेगा!” खाला और अम्मी के चेहरों पर खिफ़्फ़त के ज़रा से भी आसार नज़र नहीं आ रेहे थे बल्कि ये सुन कर उनके चेहरे और खिल गये। खाला इतराते हुए बोलीं – “तो कर लो अपना मुतालबा पूरा और निकलो यहाँ से!” नज़ीर ने कहा कि – “क्यों इतनी बे-रुखी बातें कर रही हो... जब चोदुँगा तो मज़ा तो तुम्हें भी आयेगा... याद है पिंडी में कैसे मज़े से चींख-चींख कर चुदी थी... बताया नहीं अपनी बहन को।“ ये सुनकर अम्बरीन खाला के गाल लाल हो गये। नज़ीर फिर बोला – “यहाँ मज़ा नहीं आयेगा... ऐसे कमरे में चलो जहाँ बेड हो!” अम्मी और खाला ने अपने गिलास खतम किये और उठकर उन दोनों को लेकर अम्मी के बेडरूम की तरफ़ जाने लगीं। मैं वहीं बैठा रहा तो नज़ीर बोला कि – “तुम हमें अपनी खाला और अम्मी को चोदते हुए देखोगे क्योंकि मुझे इन को तुम्हारे सामने चोदने में ज़्यादा मज़ा आयेगा।“
बेडरूम में जाते हुए अम्मी और खाला ऊँची हील के सैंडलों में बड़ी अदा से चूतड़ हिलाते हुए आगे-आगे चल रही थीं। बेडरूम में आते ही नज़ीर ने फौरन कपड़े उतार दिये और उसका अजीब-ओ-गरीब मोटा लंड सब के सामने नंगा हो गया। उसके मोटे-मोटे टट्टे दूर ही से नज़र आ रहे थे। करामत खामोश एक तरफ़ खड़ा रहा। अम्बरीन खाला तो नज़ीर का लंड अपनी चूत में ले ही चुकी थीं मगर अम्मी उसे देख कर वाज़ेह तौर पर हैरान हुई थीं। अम्मी ने मुस्कुराते हुए अम्बरीन खाला की तरफ़ माइनी-खेज़ नज़रों से देखा। शायद वो सोच रही थीं कि अम्बरीन खाला ने इतना मोटा और बड़ा लंड कैसे अपनी चूत में लिया होगा। अम्बरीन खाला ने भी मुस्कुराते हुए अम्मी को आँख मार दी। अब मुझे यकीन हो गया कि दोनों बहनें खुद ही चुदने के लिये तड़प रही थीं और उन्होंने एक दफ़ा भी करामत की मौजूदगी पर एतराज़ ज़ाहिर नहीं किया था।
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