RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
अचानक अम्मी सिसकते हुए बोलीं – “इतने बेकरार मत हो... तुम जल्दबाज़ी करोगे तो पूरा मज़ा नहीं ले सकोगे! जैसा मैं कहती हूँ वैसा करो।“ मैंने बामुश्किल अपने धक्कों को रोका। अम्मी ने मेरे चेहरे को अपनी जानिब खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिये। उनके बोसे का मज़ा लेने के साथ-साथ मैंने अपने लंड के र्गिर्द अम्मी की चूत की गिरफ्त को महसूस किया। कुछ देर बाद अम्मी अपने चूतड़ हौले-हौले उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं। उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं भी धक्के मारूँ। मैंने उनकी ताल से ताल मिला कर हलके-हलके धक्के लगाने लगा। अम्मी ने एक हाथ लंबा करके चूतड़ पर रखा हुआ था और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं। कुछ घस्सों के बाद मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा तो अम्मी ने अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी। अब हम दोनों एक दूसरे के घस्सों का जवाब पुरजोर घस्सों से दे रहे थे। मुझे अम्बरीन खाला याद आयी। वो भी इसी तरह अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर नज़ीर से चुदी थीं। अम्मी कुछ देर तो दबी आवाज़ में सिसकते हुए चुदती रहीं लेकिन जब मेरे लंड के झटके तेज़ हो गये तो उन्होंने खुल कर ज़ोर-ज़ोर से “ऊँह... आआहहह... ओहहह” करना शुरू कर दिया।
अम्मी को चोदते हुए मैं मज़े के एक गहरे समंदर में गोते खा रहा था। उनके मुँह से निकलने वाली बेधड़क सिस्कारियाँ मुझे और भी पागल करने लगीं। इन आवाज़ों ने मेरे ज़हन को बड़ा सकून बख्शा और मेरे एहतमाद में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं अम्मी को चुदाई का मज़ा देने की सलाहियत रखता हूँ। कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गयीं। उन्होंने नीचे लेटे-लेटे अपनी गाँड को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया और मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं। उनकी चूत में बला की कसावट आ गयी थी।
मेरे नीचे उनके चूतड़ों की हरकत और तेज़ हो गयी। मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो। अब मैं समझ गया कि अम्मी खल्लास होने वाली थीं। मुझे ये जान कर बहुत खुशी हुई और मैं उनकी चूत में ज्यादा रफ़्तार से घस्से मारने लगा। मैं इस काबिल तो हो ही गया था कि अपनी अम्मी को चोद कर खल्लास कर सकूँ। अम्मी की चूत अब लगातार पानी छोड़ रही थी और उनके जिस्म में बुरी तरह झटके लग रहे थे। इन हालात में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था। मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भरी हुई चूत से बाहर निकाल लिया और उनकी बगल में लेट गया।
अम्मी का जिस्म चंद लम्हे ऐसे ही लरजता रहा। फिर उन्होंने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा कि क्या हुआ। मैंने कहा – “मुझे फारिग होने का डर था। इसलिये घस्से मारने बंद कर दिये क्योंकि मैं और मज़े लेना चाहता था।“
वो एक बार फिर हंस कर बोलीं – “शाकिर, तुम एक घंटे पहले ही खल्लास हुए हो। मर्द एक दफ़ा झड़ने के बाद दूसरी बार उतनी जल्दी नहीं छूटते? परेशान मत हो... रफ़्ता-रफ़्ता सब समझ जाओगे बस थोड़े तजुर्बे की जरूरत है... चलो आओ और खुद को डिसचार्ज करो ताकि इस काम का मज़ा तो ले सको!”
मैंने उनसे पूछा कि उन्हें मज़ा आया क्या तो उन्होंने कहा कि अगर मज़ा नहीं आता तो वो दो दफ़ा खल्लास कैसे होतीं। फिर वो उठीं और घूम कर अपनी दोनों कुहनियों और घुटनों के सहारे बेड पर घोड़ी बन गयीं और अपने मस्त मोटे-मोटे चूतड़ों को ऊपर उठा दिया और बोलीं कि अब मैं उन्हें पीछे से चोदूँ। इस तरह अम्मी ने अपनी हसीन गाँड का रुख मेरी तरफ कर दिया और अपनी टाँगें भी फैला लीं।
मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गाँड के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा। अम्मी की चूत अब उनके उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गाँड के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उसे अपने टोपे के ज़रिये महसूस किया। अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से उनकी चूत में घुसेड़ दिया। अम्मी की चूत अभी भी गीली थी इसलिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आयी। मैंने अम्मी के हसीन गदराये चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा।
मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गहरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर-बाहर होता नज़र आ रहा था। वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं। मेरा लंड अम्मी के गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्से लगाने लगा। मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतड़ों में एक इर्तिआश की सी कैफ़ियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे। फिर मुझे अपने लंड पर अजीब किस्म का लज़्ज़त-अमेज़ दबाव महसूस होने लगा। मैंने गैर-इरादी तौर पे अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अम्मी को शायद इल्म हो गया कि मैं अब फारिग होने वाला हूँ और उन्होंने भी अपने चूतड़ों को बड़े नपे-तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी चूत को मेरे लंड पर भींचना शुरू कर दिया। ताबडतोड धक्कों के बीच उनकी चूत में मेरे लंड से पानी की बौछार शुरू हो गयी। मेरे रग-रग में एक मदहोश कर देने वाली अजीब-ओ-ग़रीब लज्ज़त का तूफान उठ रहा था। ठीक उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजे में कसा और अम्मी भी मेरे साथ फिर खल्लास हो गयीं। मैं अम्मी को बांहों में भींच कर उनके ऊपर पसर गया। तूफ़ान के गुजरने के बाद अम्मी ने उठ कर मेरा गाल चूमा और कपड़े उठा कर बिल्कुल नंगी ही ऊँची हील की सैंडलों में गाँड मटकाती अपने कमरे में चली गयीं।
मुझे अपनी पहली चुदाई में इतना मज़ा आया कि मेरा मन उन्हें फिर से चोदने के लिए मचल रहा था। अब्बू के वापस लौटने में कुछ दिन बाकी थे। अगली रात मैं बेकरारी में करवटें बदलते-बदलते सो गया। सपने में मैं अपने लंड को सहला रहा था और दुआ कर रहा था कि खुदा मुझ पर मेहरबान हो जाये और अम्मी को मेरे पास भेज दे। मैंने अपने लंड को मुट्ठी में ले कर दबाया तभी मेरी नींद टूट गयी। ये क्या? अम्मी मेरे पास लेटी थीं और मेरा लंड उनकी मुट्ठी में था। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा – “तुम कोई ख्वाब देख रहे थे?”
मैंने शरमा कर कहा – “मैं तो ख्वाब में आपके आने का इंतज़ार कर रहा था। मुझे गुमान ही नहीं था कि आप हकीकत में आ जायेंगी।“
अम्मी ने प्यार से कहा – “अब आ गयी हूँ तो जो तुम ख्वाब में करना चाहते थे वो हकीकत में कर लो।“ यह सुन कर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा। मैंने अम्मी को अपनी बांहों में भींच लिया। फिर तो पिछली रात वाला सिलसिला फिर से शुरू हो गया और मैंने जी भर कर अम्मी को चोदा। अगली रात को भी यही हुआ। दिन भर मैं आने वाले इम्तिहानात के लिये दिल लगा कर पढ़ायी करता था और तीन घंटे के लिये ट्यूशन भी जाता था और रात को अम्मी और मैं चुदाई करते थे। अब्बू के वापस लौटने में कुछ दिन बाकी थे। तीसरी रात को चुदाई के एक दौर के बाद अम्मी ने मेरा गाल चूमते हुए कहा कि – “तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ!” फिर वो बोलीं कि – “राशिद दो दिनों में कईं दफ़ा उन्हें फोन करके चुदाई के लिये इल्तज़ा कर चुका है और राशिद को इस तरह तड़पाना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा।“ मैंने थोड़ा नाराज़ होते हुए उनसे पूछा कि क्या मैं उन्हें चुदाई में मुत्तमाइन नहीं कर पा रहा तो अम्मी ने समझाया कि ऐसी बात नहीं है लेकिन बेचारे राशिद के भी तो इम्तिहान हैं और वो चुदाई की बेकरारी में पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पा रहा है। अगर वो दिन के वक्त राशिद से चुदवा लेंगी तो वो भी मुत्तमाइन हो कर दिल लगा कर पढ़ाई कर सकेगा। नहीं तो कहीं फेल ना हो जाये। मैंने बहुत बे-दिल से अम्मी को अपनी रज़ामंदी दे दी। अम्मी ने खुश होकर मुझे गले लगा लिया और देर रात तक हम चुदाई करते रहे। अगले दिन मेरे ट्यूशन जाने के वक़्त पे अम्मी ने राशिद को बुला लिया और मेरे वापस आने से पहले राशीद मेरी अम्मी को चोद कर चला गया।
उस दिन मैंने फैसला कर लिया था कि इम्तिहान खत्म होने के बाद कुछ भी करके मैं भी अम्बरीन खाला को चोद कर ही रहुँगा। लेकिन अगले ही दिन एक और मसला हो गया। मैं घर के सेहन में मेज़-कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था कि अंदर कमरे में ‘पी-टी-सी-एल’ के फोन की घंटी बजी। अम्मी ने आवाज़ दी कि – “शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है।“ मैं उठ कर अंदर गया और फोन का रिसिवर उठा कर ‘हेलो’ कहा। दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नम्बर दोहराया और पूछा कि – “क्या ये शाकिर का घर है?” मैंने कहा – “हाँ मैं शाकिर ही बोल रहा हूँ।“ वो आदमी अचानक हंस पड़ा और बोला – “ओये मेरे गैरतमंद जवान! मुझे नहीं पहचाना? मैं नज़ीर बोल रहा हूँ... पिंडी वाला नज़ीर!” ये सुन कर मुझे तो जैसे करंट लगा और मेरे जिस्म से ठंडा पसीना फूट पड़ा।
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इससे कहीं ज़्यादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मग़लूब कर रखा था। मैंने उसे गंदी गालियाँ देते हुए कहा कि अगर उसने दोबारा यहाँ फोन किया तो मैं पुलीस से रबता करुँगा। ये कह कर मैंने फोन का रिसिवर क्रेडल पर दे मारा।
मैं फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परेशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं। उन्होंने पूछा कि – “तुम किस से लड़ रहे थे?” मैं कुछ कहना ही चाहता था कि फोन फिर बज उठा। मैंने लपक कर रिसिवर उठाया तो दूसरी तरफ़ नज़ीर ही था। वो बोला कि – “फोन बंद करने से पहले ये सुन लो कि मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला कि नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो मैं वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दुँगा।“
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