RE: Chodan Kahani शौहरत का काला सच
बॉस का लण्ड तो पहले ही शीबा ने थूक से लबालब कर दिया था, बॉस ने बस शीबा के चिकने चूतड़ों के बीच खुलते- बन्द होते छेद पर अपना लौड़ा टिकाया और दबाव बनाया।
शीबा- आईई… अह… उईई… मेरे जानू… आराम से करना… आह… कुँवारी गाण्ड है… बस आज आपके लिए इसके दरवाजे खुल रहे हैं आह…
बॉस भी पक्का चोदू था, लौड़ा धीरे धीरे ज़न्न्त की कसी गाण्ड में सरकने लगा।
शीबा कसमसाती रही और बॉस का लण्ड उसकी गाण्ड फ़ाड़ कर अपना रास्ता बनाता रहा।
और आख़िरकार धीरे धीरे पूरा लौड़ा ज़न्न्त की गाण्ड में कैद हो गया।
शीबा-. आइह… आह… मेरे जानू… आज शीबा की गाण्ड आपकी हो गई… आपने भारत की सबसे सुन्दर लड़की की गाण्ड को अपना बना लिया… अह…
अब बॉस दे दनादन लौड़ा पेलने लगा पर उसको बड़ी ताक़त लगानी पड़ रही थी।
शीबा की गाण्ड मारने में बॉस को मज़ा बहुत आ रहा था, वो स्पीड से लौड़ा अंदर-बाहर कर रहा था।
अब उसकी उतेज्ना बढ़ती ही जा रही थी, शीबा की कुंवारी गाण्ड पर खून भी छलक आया था।
बॉस ने ज़न्न्त की गाण्ड से रिसते खून को देख कर सोचा कि साली बहन की लौड़ी ये शीबा सही ही कह रही थी, इसकी गाण्ड अभी अनचुदी थी।
शीबा की कुंवारी गाण्ड की सोच सोच कर बॉस पर चुदाई का खुमार बढ़ता जा रहा था।
उधर इतनी ज़बरदस्त चुदाई से शीबा की चूत फड़फड़ाने लगी, लौड़ा गाण्ड में चोट कर रहा था मगर उसका असर शीबा की चूत पे हो रहा था।
शीबा को दर्द तो बहुत हो रहा था मगर फ़िल्म पास करवाने के लिये वो दर्द सह कर गाण्ड मरवाये जा रही थी।
शीबा- आह… आह… फास्ट मेरे जानू… आह… मैं जाने आह… वाली हूँ आह…
बॉस- मेरी जान… आह्… मज़ा आ गया तेरी ऐसी टाइट गाण्ड पेल के आह… मेरे लौड़े को निचोड़े जा रही है यह… मैं भी आज तेरी गाण्ड को आह… आह… आज अपने पानी से भर दूँगा… हू हू… आ…
शीबा झर गई मगर बॉस अब भी अपने काम में लगा हुआ था।
थोड़ी देर बाद उसके लण्ड ने तेज़ धार शीबा की गाण्ड में छोड़ी, वो हांफने लगा था… उसको बड़ा सुकून मिला आज…
इस थका देने वाली चुदाई के बाद दोनों आराम से बेड पे लेट गये।
उस रात बॉस ने शीबा की खूब चुदाई की और अगले दिन शीबा ख़ुशी ख़ुशी मुम्बई लौट गई।
आख़िर दो दिन बाद ही शीबा के पास वसीम का फ़ोन अया कि फिल्म पास हो गई है।
कुछ दिन बाद ही फ़िल्म रीलीज़ हो गई और आम लोगों तक अश्लीलता को पहुँचा ही दिया गया।
यह उस जमाने की बात है तो विरोध भी बहुत हुआ, मगर मज़ा लेने वालों के तो मज़े हो गये।
उस फिल्म के बाद तो शीबा सुपरस्टार बन गई, फ़िल्मों की लाइन लग गई उसके आगे और उस फिल्म के बाद बहुत से डायरेक्टर और हिरोइनें भी अब अंग-प्रदर्शन को सफ़लता का पैमाना समझ कर बढ़ावा देने लगे।
दोस्तो, यह कहानी तो ख़त्म हो गई मगर आज के दौर में यह कहानी अजीब सी लगती है…
और लग़ेगी ही क्योंकि आज का दौर तो ऐसी ऐसी हिरोइनों का है जिन्हें वो सब पर्दे पर करने में ज़्यादा मज़ा आता है जो शीबा ने होट्क़ल के बन्द कमरे में किया था।
मेरा इशारा आप समझ ही गये होंगे।
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