RE: Chudai Sex Kahani मस्त घोड़ियाँ
अचानक इस तरह अपनी बहू को अपनी बाँहो मे आया देख मनोहर अवसर का फ़ायदा उठा कर संध्या को अपनी बाँहो मे कस लेता है और तब मनोहर को अपनी बहू की मस्त कठोर और बड़ी-बड़ी चुचियो का एहसास होता है और उसका लंड खड़ा हो जाता है,
पिछे से संगीता खड़े-खड़े ज़ोर-ज़ोर से हस्ने लगती है और संध्या मनोहर से दूर हटते हुए मुस्कुरकर संगीता को मारने के लिए हाथ का इशारा करके अपने रूम मे घुस जाती है जहा रोहित अपना लंड पकड़े खड़ा हुआ था, तभी बाहर का नज़ारा देख कर रोहित और संध्या दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है, बाहर मनोहर ने अपनी बेटी को देख कर उसे अपनी ओर आने के लिए हाथ बढ़ाया और संगीता दौड़ कर अपने पापा की बाँहो मे समा गई,
संगीता अपने पापा के सीने से चिपकी हुई थी और मनोहर उसके भारी चूतादो को अपने हाथो से सहलाता हुआ कहता है क्या बात है हमारी बेटी आज कल अपने पापा से कितना दूर रहने लगी है और फिर मनोहर संगीता को अपनी गोद मे बैठा कर उसके गालो को कभी चूमने लगता है कभी उसके होंठो पर अपने हाथ की उंगलिया फेरते हुए उससे बाते करने लगता है,
रोहित- संध्या पापा से पहले मुझे संगीता को चोदना है प्लीज़ कुछ करो ना,
संध्या- तुम फिकर ना करो अगर पापा ने संगीता की चूत से लंड भिड़ा भी दिया तो तुम्हारे खातिर मे संगीता को हटा कर उनके लंड के सामने अपनी चूत रख दूँगी और संगीता की चूत को तुम्हारे हवाले कर दूँगी, और तुम्हारे पापा की इतनी हिम्मत नही कि संगीता के लिए वह मुझे छ्चोड़ दे अभी उन्होने मेरे बदन पर सिवाय साडी के देखा ही क्या है,
रोहित- मेरी रानी तुम्हे कितना ख्याल है अपने पति का
संध्या- तुम्हारी चाहत के आगे जो भी आएगा उसे मैं अपने आगोश मे ले लूँगी लेकिन तुम्हारी ख्वाहिशो को टूटने नही दूँगी, बस वक़्त का इंतजार करो,
पापा ने संगीता की मोटी गुदाज जाँघो पर हाथ फेरते हुए कहा, बेटी आजकल तुम जीन्स नही पहनती हो या फिर तुम्हारे पास के सब खराब हो गये है,
संगीता- नही पापा जीन्स मे पूरा शरीर कसा रहता है मुझे तो मज़ा नही आता मुझे तो कुछ खुले कपड़े पहनने मे अच्छा लगता है,
पापा- संगीता की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने सीने से लगाते हुए, बेटी मैं तो इसलिए कह रहा था कि तुम्हारे बदन के हिसाब से तुम्हे अच्छा लगता और कुछ नही,
संगीता- मुस्कुराते हुए ठीक है पापा आप कहते है तो पहन लूँगी,
क्रमशः......................
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