RE: Hindi Sex Kahani माया ने लगाया चस्का
चाचा: अरे सुनती हो….हम लोग आ गए है. चाचा के साथ ३ मेहमान (श्यामलालजी ६२साल के, आशादेवी की मतलब उनकी पत्नी ६० की, अशोक यानी लड़का जोकि करीब ३८ का, थोडा दुबला सा, नंबर वाले चश्मे पहने हूँ ए, गाल अन्दर बेठे गए थे) दिखने में वो लोग बड़े श्रीमंत दीखते थे. चाचा ने उनसे मेरा परिचय अपने बेटे की तरह करवाया, मैंने नमस्ते करते हूँ ए कहा चाचा में चाची की मदद में रसोई में जा रहा हूँ आपको कुछ काम तो नहीं? चाचा ने नहीं बेटा जा तू आज बिटिया भी नहीं अच्छा है तू है तो.
में रसोई में गया तो माया मस्त तैयार होके बनठन के पानी की ट्रे तैयार कर रही थी. बापरे आज मुझे उसका असली रूप देखने को मिला. में तो उसे देखता ही रह गया. चाची मेहमानों के पास गयी थी तो रसोई में हम दो ही थे.
माया: ऐसे क्या देखता है? क्या मुझे कभी देखा नहीं? पागल जरा देख तो मेरे होंठ पर काटने का निशान तो नहीं. में नजदीक गया.. तो वो दूर जाने लगी और बोली –
माया: देख अभी कोई शरारत न करना, तुजे तो में शाम को देखती हूँ . आज तो तू गया….. देखती हूँ आज तुजे कोंन बचाता है?
में: अरे यार तुम क्या लग रही हो! यह रूप तुमने अबतक कहा छुपाया था?, आज तुम क़यामत सी लग रही तो मुझसे भी रहा नहीं गया और तुजे चबाने को दिल हो गया. सॉरी …… वैसे तुम क्लास लग रही हो यार जाच रही हो..
में: बोल इस लड़के को भगाके तुजसे शादी कर लू? मैंने उसकी गांड पर जोर से फटकारा….
माया: आई… आउच…. पा…गल ये ठोंकने की आवाज़ बहार कोई सुन लेगा. वो सी सी सी करते हूँ ए अपने कुलहो को हाथ से सहलाते हूँ ए.. बोली ले ये पानी की ट्रे लेजा और सब को पानी पिला और भाभी को अन्दर भेज. में ट्रे लेके बैठक में गया और सब को पानी पिलाया..वो लोग अपनी बातो में मस्त थे.. मेने चाची को इशारा करके रसोई में आने को कहा.
चाची: अरे क्या बीनू… क्यों बुलाया? थोड़ी बात तो करने देती. बोल क्या है?
माया: भाभी लड़का कैसा है? बिचमें में टपक पड़ा और बोला –
में: बिलकुल तेरी पसंद का. भगवान् ने तेरे लिए चुनके भेजा है. वो गुस्सा करते हूँ ए…
माया: भाभी इसको बहार भेजो वरना में इसका गला घोट दूंगी…..
चाची: अरे तू उसे क्यों छेड़ रहा है. इसका मेकअप ख़राब हो जायेगा. तू थोड़ी देर शांत नहीं रहैगा?
में: ना चाची इसके साथ बुआ की शादी कर ही दो और दहैज़ में मुझे इसके साथ भेज दो.
चाची: (हसते हूँ ए) पागल अभी तू शांत रह वरना ये मेहमान जाने के बाद तेरा कचुम्बर कर देगी फिर मुझसे कोई हैल्प न मांगना. माया ने जबान निकाल कर मुझे कहा..
माया: उल्लू… बन्दर… तू रुक तेरे लिए एक पागल लड़की ढूंढ़कर तुजे एक कमरे में उसके साथ बन्ध करना है.
चाची ने चाय नास्ते की ट्रे तैयार की और हमदोनो को सुचना दी अब यह तीनो ट्रे लेके तुम दो एक अच्छे बच्चो की तरह वहा आना और कोई शरारत मत करना वरना अपने चाचा से भी पिटोगे. मेने नास्ते की दोनों ट्रे ली और माया ने चाय एक ट्रे लेकर बैठक में गए. यह सब प्रोग्राम १२.३० तक चला और मेहमान जाने के बाद..
माया: (अपनी भाभी के गले मिलकर रोते हूँ ए) भाभी ये लड़का मुझे अच्छा नहीं लगा पर उन्हों ने मुझे शायद पसंद कर लिया है. मुझे ऐसे लड़के से शादी नहीं करनी.
चाची: (उसके बालो को सहलाते हूँ ए) ना बनू ऐसा नहीं कहते पगली. तेरी खामीयो को जानते हूँ ए उसे नज़र अंदाज़ करके उसने तुजे पसंद किया है, ऐसे लोग कहा मिलेगे?
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