RE: Hindi Sex Kahani माया ने लगाया चस्का
चाचा के पास अपने बापदादा का दिया बड़ा सा यह मकान ही उसकी बड़ी जायदाद थी. मुंबई में इतना बड़ा मकान होना बड़ी बात थी. उसके किराये से उसके परिवार को अच्छी आमदनी हो जाती थी. वरना चाचा की तनखा से उसका बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था. लेकिन वो बहूँ त कम लोग को मकान किराये पे देते थे. चाचा की उम्र ४५ की थी, साथ में उनकी पत्नी रमा चाची जो की करीब ३९ साल की थी, उनकी दो बेटिया सीमा और सपना जोकि १९ और १७ की होगी, एक बेटा था संजू जोकि ७वी में पढता था, एक कुवारी बहैन माया जो करीब ३० साल की थी जिसकी अभीभी शादी नहीं हो रही थी इस तरह ६ लोग एक परिवार में रहते थे. सायद दहैज़ ही वजह से माया की शादी नहीं हूँ थी. पहले में आपको सब का परिचय दे दू.
माया जिसे सब बुआ बुलाते थे और में भी उसे बुआ ही कहने लगा था वो ५.४ ऊँची, दुध जैसा साफ़ रंग और मस्त सेक्सी बदन की मालिक थी वो, कटीले नयन नक्स, गुलाबी मोटे होंठ, मखन से मुलायम गाल, सुराहीदार गर्दन जिसे चूमने को मन हो जाये, ३५ की तोतापुरी आम जेसी भारी उन्नत नोकिली चुचिया जिसे हरदम देखते रहने को दिल करे, हमेशा होजियरी के चुस्त लोअर कट गाउन में अपने ३५ की भारी भरकम चुचिया और ३६ के बड़े बड़े कुल्हे मटकाती हूँ ई वो चले तो जैसे तूफान उठा दे और पास से गुजरे तो उसके बदन की एक अजीब सी मादक खुश्बू किसीका भी लंड खड़ा करदे. वो काफी हसमुख और मजाकिया स्वभाव की थी और मेरा बहूँ त खयाल रखती थी. मेरी उनसे काफी जमती थी. लेकिन मुंबई में मकान बड़ी मुश्किल से मिलता है तो उसको कुछ कहनेसे मेरी गांड फटती थी.
सीमा १९ की, मासूम गोरी चिट्टी मोम जेसी नरम और मुलायम बदनवाली, ५-४ ऊँची और सेक्सी मिसाइल थी. उसका फिगर ३४, २४ ३५ का कोका कोला की बोतल जैसा था, वो बड़ी आकर्षक और सेक्सी दिखती थी. बड़ी सुन्दर काजलमली आंखे, गुलाब की पत्ती से रसीले होंठ, तीखा नाक, शेब से नरम गा्ल जोकि चूमने का मन हो जाये. वो हमेशा वेल ड्रेस्ड रहती थी. वो उसके लोअर कट कुरते से उसकी बड़ी चुचिया ड्रेस में दबी दबी दिख जाती थी, वो काफी नरम दिल और सुल्जी हूँ ई लड़की थी पर वो मुझे घास तक नहीं डालती थी. नॉर्मली वो मेरे साथ हस बोल लेती थी पर मेरे लिए वो मुश्किल आइटम थी. जब मेंने उससे पहली बार देखा तो में भोचक्का रह गया पर पापा और मोम साथ थे तो में मासूम बनके नीची नज़र कर उनकी और चाचा की बाते सुनता बेठा रहा.
सपना एक मुग्ध कन्या थी जिसने अभी अभी नई नई जवानी पाई थी. उसकी छाती पे अभी नए नए दो फूल खिल रहै थे वो जब चलती तो बड़े अच्छे से जुल जाते. वो थोड़ी श्याम रंग थी पर ब्लैक ब्यूटी थी. उसके अच्छे नाक नक्से उसे बहूँ त नमकीन और चुलबुली बनाते थे. वो बड़ी कटीले बदन वाली नागिन जैसी लगती थी. सपना ५-२ ऊँची, ३०-२४-३२ के मस्त फिगर वाली थी. उसका गदराया बदन, बात बात पर आंख मारके बात करना किसी को भी भा जाये. वो मेरी अच्छी दोस्त बन गयी थी.
रमाचाची बिलकुल घरेलू गृहिणी जैसी बड़ी प्यारे स्वाभाव की और काफी सुन्दर औरत थी. वो अभीभी ३५ साल की लड़की जैसी लगती थी. वो तीन बचोकी माँ होने के बावजूद उसने अपने आप को काफी मेन्टेन किया था. उस्सकी सुन्दरता उसकी बेटियों में उतरी थी. हा मनोहरचाचा अपने इस बड़े परिवार के पालन करने में और अपनी कुवारी बहैन की शादी की चिंता में थोड़े बूढ़े से लगते थे और उसे डायाबीटीस की बीमारी भी हो गयी थी. डायाबीटीस के मरीज की सेक्स लाइफ लगभग खतम हो जाती है क्योंकी उसका लंड उत्त्थान नहीं होता. हलाकि वो रमाचाची बड़ा खयाल रखते थे. रमाचाची के चेहरे पे एक अजीब सी उदासी देखने को मिलती. मेरे पास बाइक था और चाचा के पास भी बाइक था. तो सुबह सुबह में चाचा, सीमा और सपना चारो दो बाइक पे स्कूल और कोलेज जाते थे क्यों की सीमा का होम साइंस कोलेज और सपना का हाई स्कूल हमारी कोलेज के रस्ते पे ही पड़ता था. सपना मेरी बाइक पे और सीमा अपने पापा के साथ बैठते थे. पहैले उनका स्टॉप आता था और बाद में हमारा कोलेज. दोपहर १ बजे हम चारो साथ आते और साथ में खाना खाते. में फिर ऊपर अपने कमरे में पढाई करने चला जाता और ४ बजे चाय के लिए निचे आता. रात को माया बुआ मुझे ८ बजे खाने के लिए आवाज़ देती या बुलाने छत पर आती. रात के खाने के बाद हमलोग थोड़ी इधर उधर की बाते करते टीवी देखते और १० बजे में अपने कमरे में सोने चला जाता. यह था हमारा दैनिक जीवनक्रम. में सुबह ५.३० को उठकर थोड़ी वर्जिस करता और सुबह ७.१५ को तैयार हो कर कोलेज जाने निचे आ जाता.
|