RE: Biwi Chudai Kahani मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी?
मैं फ्लॅट के बाहर निकला तो शिखा मेरी ओर पीठ कर ताला लगा रही थी. उसने पंजाबी सूट पेहना हुआ था और उसकी लम्बी चोटी उसकी कमर के नीचे लटक रही थी , मैं उसकी खूबसूरती को देख ही रहा था कि वह पीछे मुड़ी "ओह अमन जी अच्छा हुआ जो आप बाहर आ गये , देखिये ना ये ताला जाम हो गया , प्लीज़ ताला लगने में मेरी मदद कीजिये" वह बोली "लाइये" मैं उसकी ओर बढ़ा "ताला चाभी मुझे दीजिये , मैं लगता हूँ टाला" कह कर मैने उसकी ओर हाथ बढ़ाया. लेकिन उसने अपना हाथ खींच लिया "न.. नहीं आप मुझे यह टाला लगाना सिखाईये , राजन बाज़ार से नया ताला कल ही लाये हैं अगर उन्हें पता चला कि मुझे यह ताला लगाना नहीं आता तो बहुत नाराज़ होंगे" उसने घबराए हुए कहा "अरे छोडिये शिखा ज़ी , ताला लगने में कौन सी बड़ी बात है ? मैं आपको सिखाता हूँ आप ताला लगाइये" "जी अच्छा" वह मुड़ी और ताला लगने लगी , मैं उसके एकदम करीब जा कर पीछे खड़ा हो गया , उधर मेरा लंड भी उसकी फूली गांड़ को देख कर बड़ा होने लगा हालांकि वह ताला लगने की अभी भी कोशिश कर रही थी. मैने उसके करीब जा कर उसके बदन से उठति भीनी भीनी खुश्बू को महसूस किया ही था की उसने ताला लगा कर जोर से झटका दिया और वह पीछे हटी. उसके एकदम से पीछे हटने की वजह से उसके सिर से मेरी नाक टकरा गयी , और मैने उसके खुशबूदार काले घने बालों को सूंघा , उसकी बम भी मेरे कड़क लॅंड से टकरा गयी,
"ओह अमन जी सॉरी आपको लगी तो नहीं?" उसने चिंतित हो कर पूछा मैं अपनी नाक को सहला रहा था "अपना हाथ हटाओ मुझे देखने दो" उसने मेरा हाथ हटते कहा "अरे आपकी नाक से तो खून आ रहा है" उसने परेशान होते हुए कहा "अरे ये मामूली चोट है मैं मुँह धो कर आता हूँ" मैने कहा "नही.. नही आपको मेरी वजह से चोट लगी है, आइए में आपको डॉक्टर जोशी के पास ले चलती हूँ" "अरे शिखा जी ये मामूली चोट है आप परेशन मत होइए" "नही अमंजी आप इस चोट को इग्नोर ना करे , आपको मेरे साथ चलने में ऑक्वर्ड हो रहा है तो मैं डॉक्टर साहब को बुला लाती हूँ , वह पहले फ्लोर पर ही रहते हैं" उसने समझाते हुए कहा "जैसा आप ठीक समझे" मैने हार कर कहा , मुझसे उसकी बात काटी नही गयी "जी अच्छा , आप अंदर जा कर आराम कीजिए मैं डॉक्टर को ले आती हूँ" कहकर वह तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगी. इधर मैं घर आ कर मुँह धोया और सोफे पे बैठ गया लेकिन खून अभी भी बह ही रहा था, दरवाज़ा मैने जान बूझ कर खुला ही रखा. 10 मिनिट बाद वह हाँफती हुई उपर आई और बेल बजाई . "अरे शिखा जी आइए बैठिए" "डॉक्टर साहब किसी एमर्जेन्सी केस में हॉस्पिटल गये हैं" "जी कोई बात नही , आप मेरे वजह से तकलीफ़ ना लें , मैने जख्म धो लिया है" "लेकिन अभी भी आपकी नाक से खून बहना बंद नही हुआ" "वो रुक जाएगा , आप आराम से बैठिए तो सही?" मैने कहा "एक मिनिट" कह कर वा उल्टे पाँव अपने फ्लॅट की ओर भागी "अब ये कहाँ चली गयी? बेफ़लतू में मेरे कारण टेन्षन लेती है" मैने परेशान होते हुए सोचा. नाक तो कम्बख़्त अभी भी दुख रही थी और खून था की साला रुकने का नाम ही नही ले रहा था. इतने में शिखा एक बड़ा सा प्याज़ ले कर अंदर आई "ये क्या लाई हो?" मैने पूछा "यह कटा हुआ प्याज़ है , इसकी तेज़ गंध सूंघने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है" उसने समझते हुए बोला "और जो खून निकलना बंद ना हुआ तो" "अरे तुम सूंघ के तो देखो" कहकर उसने कटी हुई प्याज़ मेरे नथुनो की ओर बढ़ाई मैने एक लंबी साँस ले कर उसकी गंध खींची.. "आहह" "अब थोड़ी देर नाक को इस टिश्यू पेपर से दबाए रखो और हर पाँच मिनिट में ऐसे ही दोबारा सांस लो" उसने फरमान सुनाया. देखते ही देखते नाक से खून बहना बंद हो गया "अरे वा अपने तो कमाल कर दिया शिखा जी" मैने उसकी तारीफ करते हुए कहा "आपके देसी इलाज ने तो मेरा जख्म ठीक कर दिया" "ये आयुर्वेद है अमन जी हर मर्ज की दावा है इसमे" उसने बताया "अछा?" "हन" "आपको कैसे मालूम?" "मैने आयुर्वेद पढ़ा है" "तो आप वैद्य भी हैं?" "थोड़ी बहुत नुस्खे जानती हूँ" "जो भी हो , आपके नुस्खे से मेरी नाक का खून बहना बंद हो गया , बहुत बहुत शुक्रिया आपका" मैने धन्यवाद देते हुए उसको बोला "अरे अमन जी आप तो शर्मिंदा कर रहे हैं , आप बैठिए आराम कीजिए आपके लिए मैं हल्दी वाला गर्म दूध ले आती हूँ" उसने जवाब दिया और अपने फ्लॅट की तरफ चली गयी. "कितनी प्यारी और केरिंग औरत है यह" मैने सोचा "मुझे ऐसी बीवी मिल जाए तो पलकों पर बिता कर रखूँगा"
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