Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
11-01-2017, 12:13 PM,
#85
RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
" अरे देवर जी अबहिं तो एक ऊँगली घुसी है जो इतना चीख रहे हो " चमेली भाभी ने मुंह बनाया।

" अरे नहीं चीख वो इस लिए रहा है , की एक उंगली से इसका क्या होगा , ये तो पुराना मरवानेवाला है " नीरा भाभी , मेरी जेठानी ने टुकड़ा जड़ा।


चमेली भाभी की उंगली अंदर ही थी की नीरा भाभी ने उसे गुदगुदी लगानी शुरू की और रवी को मुझे छोड़ना पड़ा.
और अब फिर बाजी मेरे हाथ थी।

नीरा भाभी और चमेली भाभी ने कस उन्हें दबोच लिया लिया था बिचारे हिल डुल भी नहीं सकते थे।

अब मौका मेरे हाथ था।

मैंने खूब आराम से गाढ़े पक्के लाल ,काही और बैंगनी रंगो की कॉकटेल अपने हाथों पे बनायी और बहोत ही प्यार से देवर जी के चिकने गालों पे रगड़ा। फिर उन नरम मुलायम गालों पे जोर से चिकोटी काटते, चमेली भाभी के साथ मिल के उनकी शर्ट , बनियाइन उतार के और बोला ,

" मेरी छिनाल ननद के यार , आपने तो सिर्फ टॉप में हाथ डाला था और हमने आपको पूरा टॉपलेस दिया। "

रंग मैंने उसकी छाती पे भी लगाया और अंगूठे और तरजनी के बीच उसके टिट्स को ले के पहले तो गोल गोल घुमाया , फिर लम्बे नाखूनों से जोर से पिंच कर दिया।

एक गाल पे मैंने लाल काही रंग लगाया था तो दूसरे पे , नीरा भाभी ने वार्निश की तीन चार पक्की परत लगा दी। यहीं नहीं , वार्निश और सफेद पेंट उन्होंने देवर की छाती पे भी कई कोट लगा दिया। उसके चारों

और जब देवर की छाती मेरी जेठानी के कब्जे में हो गयी तो मेरे हाथ सरक के , उनके पैंट के अंदर घुस गए और मेरी उंगलिया , गाढ़ा पक्का लाल रंग , 'उसके 'चारों और लगाने लगीं। मस्ती से तन्ना के वो एकदम टन्न हो गया , लेकिन देवर ने अपना विरोध दर्ज कराया
में
" भाभी , आपने बोला था , की नाट बिलो द बेल्ट और आप खुद ,…"

उसकी बात काट के मैंने 'उसे 'दबोचते हुए बोला " यही तो देवर आप मात खा गए। अरे होली तो उन्ही सब कामों के लिए होती है जिसे रोज मना किया जाता है। "

जब तक मैं अगवाड़े बिजी थी चमेली भाभी ने पिछवाड़े का मोर्चा सम्हाल रखा था और वो भी ' अंदर तक डुबकी लगा के '.


मैं गयी और एक बाल्टी गाढ़ा रंग सीधे पैंट के अंदर,…

और मौक़ा पा के अब चमेली भाभी ने आगे पीछे दोनों और का मोर्चा सम्हाल लिया। एक हाथ उनका आगे से 'चर्म दंड मंथन ' कर रहा था और दूसरे ने पीछे के छेद में गचागच , गचागच , अंदर बाहर , और अब दो उँगलियाँ अंदर थीं ,…

रंगो का स्टाक ख़तम हो गया था , उसे लेने मैं गयी और इधर बाजी पलट गयी।


रवी मेरे देवर चमेली भाभी को दौड़ाया , और वो भागीं।


लेकिन उनकी साडी का आँचल रवी की पकड़ में आ गया। उसने जोर से खींचा और, थोड़ी ही देर में पूरी साडी मेर्रे देवर के हाथ में। उसने साडी का बण्डल बनाया और सीधे छत पे।

चमेली भाभी अब सिर्फ ब्लाउज और साये में , और ब्लाउज भी सफेद , स्लीवलेस।
और रवी ने उन्हें अब दबोच लिया था। 

चमेली भाभी अब सिर्फ ब्लाउज और साये में , और ब्लाउज भी सफेद , स्लीवलेस।
और रवी ने उन्हें अब दबोच लिया था।

सहायता करने के लिए मैंने गाढ़े लाल रंग की एक बाल्टी सीधे रवी के ऊपर फेंकी , लेकिन मेरा देवर भी कम चतुर चालाक नहीं था।

उसने चमेली भाभी को आगे कर दिया और पूरी की पूरी बाल्टी का रंग चमेली भाभी के ब्लाउज पे।


अब वो एकदम उनके जोबन से चिपक गया था।


रवी ने चमेली भाभी के बड़े बड़े गद्दर जोबन को , ब्लाउज के ऊपर से पकड़ा , लेकिन बजाय हाथ अंदर डालने के , उसने आराम से चट चट उनकी , चुटपुटिया बटन खोल दीं। और दोनो गोरे गोरे , गदराये , खूब बड़े जोबन बाहर थे। बस अब तो रवी की चांदी थी। जोर जोर से वो चमेली भाभी की रसीली चूंचियां मसलने रगड़ने लगा।

बीच बीच में वो उनके बड़े खड़े निपल्स को भी पिंच करता , अंगूठे और तर्जनी के बीच लेकर रोल करता , पुल करता। जिस तरह से चमेली भाभी सिसकियाँ भर रही थीं , ये साफ था की उन्हें कितना मजा आ रहा है।

वो कस कस जे अपनी दनो हथेलियों से उनकी चूंची दबा रहा था , रगड़ रहा था , नाखुनो के निशान बना रहा था।
और जब एक पल के लिए उसने हाथ हटाया तो चमेली भाभी की गोरी गोरी चूंचिया , एकदम लाल भभूका हो गयीं थी। मैं और नीरा भाभी पूरी कोशिश कर रहे थे , उसे छुड़ाने को लेकिन चमेली भाभी की चुन्ची में जैसे कोई चुम्बक लगा हो , मेरे देवर के दोनों हाथ वही चिपक गए थे।

हार कर नीरा भाभी ने वही ट्रिक अपनायी , गुदगुदी।

और अबकी जब देवर ने चमेली भाभी को छोड़ा , तो हम लोगों ने कोई गलती नहीं की।

चमेली भाभी और मेरी जिठानी , नीरा भाभी ने मिलकर उसके दोनों हाथ पीछे कर के पकडे। और मैंने उस के हाथ उसी की शर्ट और बनियाइन से जोर जोर से डबल गाँठ में बाँध दी। अब वो लाख कोशिश करता ये छूटने वाली नहीं थी। ( आखिर मैं भी गाइड की लीडर थी और कैम्प की मस्तियों के साथ साथ नाट में मुझे मेडल भी मिला था )

अब बाजी एक फिर हम तीनो के हाथ में थी।

वो बिचारा गिड़गिड़ाया , शिकायत की। 

" भाभी आप तीन , और मैं अकेला , कम से कम हाथ तो छोड़ दीजिये "

"एकदम नहीं। " अपने भीगे ब्लाउज से झाकते जोबन उसके पीठ पे पीछे से रगड़ते मैं बोली , और साथ में मेरे दोनों हाथ उसके टिट्स पे थे। जोर से पिंच कराती मैंने उसकी बात का जवाब दिया ,


" अरे जा के अपनी छिनार बहना से पूछना, वो भी तो एक साथ तीन तीन बुलाती है चढ़ाती है। "

" अरे , एक बुर में, एक गांड में और एक मुंह में " चमेली भाभी ने बात का खुलासा किया।
" अरे लाला ,कभी तुमने नंबर लगाया की नहीं , मीता के साथ। पूरे मोहल्ले में बांटती है और मेरा देवर ६१ -६२ करता है। " नीरा भाभी क्यों पीछे रहती और उसकी पैट की ओर दिखाकर मुझे इशारा किया।
फिर क्या था , नइकी भौजी थी मैं। मेरा हक़ था।

झुक के पहले तो मैंने पैंट की बेल्ट निकाली , फिर बड़े आराम से ,बटन खोली ,उसके उभरे बल्ज को रंग लगे हाथों से रगड़ा और फिर पल
भर में पैंट नीचे। 

चमेली भाभी ने पैंट उठा के वहीँ फ़ेंक दी , जहाँ कुछ देर पहले रवी ने उनकी साडी फेंकी थी, सीधे छत पे।

बिचारा मेरा देवर , अब सिर्फ एक छोटी सी चड्ढी में था और तम्बू पूरा तना हुआ।

नीरा भाभी मेरी जिठानी पे भी अब फगुनाहट सवार हो गयी थी। हाथों में उन्होंने लाल रंग मला और सीधे , फ्रेंची फाड़ते बल्ज पे ही रगड़ने मसलने लगी।

मैं और चमेली , जो पैर अब तक रंगो से बचे हुए थे पैंट के कवच में , उन्हें लाल पीला करने में जुट गयी।
इतना तो मैंने मायके से सीख के आयी ही थी की अगर होली के दिन देवर का एक इंच भी बिना रंगे बच जाय , तो फिर देवर भाभी की होली नहीं।

चमेली भाभी रवी के सामने कड़ी हो के जोर से उन्होंने उसे अपनी अंकवार में भर लिया और लगी अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों का रंग देवर के सीने पे पोतने।

वही रंग जो कुछ देर पहले रवी ने उनके गद्दर जोबन पे रगड़ा मसला था।

चमेली भाभी के हाथ अब रवि के छोटे छोटे लेकिन खूब कड़े मस्त चूतड़ों पे था और उन्हें जोर जोर से भींच रहा था , दबोच रहा था। और जैसे ये काफी ना हो , उन्होंने अपने गीले पेटीकोट से झांकती , चुन्मुनिया को भी रवी के चड्ढी फाड़ते तन्नाये लिंग पे रगड़ना शुरू कर दिया।

मैं क्यों पीछे रहती। मैंने उसे पीछे से दबोचा। कुछ देर तो उस के छोटे छोटे टिट्स को तंग किया , फिर देवर को दिखा के , हाथ में बार्निश लगायी और दोनों हाथ सीधे चड्ढी के अंदर , और' उसे 'मैंने गपच लिया।

खूब बड़ा , ६ इंच से ज्यादा ही होगा , लेकिन ख़ास बात थी उसकी मोटाइ और कड़ाई।
थोड़ी देर मुठियाने के बाद मैंने एक झटके से सुपाड़ा खोल दिया और अंगूठे से सुपाड़े को मसलते , कान में बोला

" क्यों देवर जी ये हथियार कभी तेरी बहन , मीता की प्रेम गली में गया है। चौबीसो घंटे चुदवासी रहती है वो। "

लेकिन मेरी बात चमेली भाभी और नीरा भाभी ने एक साथ काटी।
" अरे मीता की फिकर मत करो , उस पे तो हमारे भाई चढ़ेंगे दिन रात। सफेद दरिया बहेगी उस की बिल से। ये तो इन्होने हमारी सास के भोसड़े के लिए
सम्हाल कर रखा है। "

और उसी के साथ अबकी चमेली भाभी ने दो उंगली पूरी जड़ तक एक झटके में उसके पिछवाड़े पेल दी और आशीष भी दिया।

" तेरी इस मस्त गांड को खूब मोटे मोटे लंड मिलें , अगली होली तक चुदवा चुदवा कर हमारी सास के भोसड़े की तरह हो जाय , जिसमें से तुम और मीता निकले हो। "

रवी सिसक रहा था , हलके से चीख रहा था कुछ दर्द से कुछ मजे से।


वार्निश के बाद अब पे कड़ाही की कालिख मल रही थी।

" देवर जी ये रंग सिर्फ एक तरीके से छूट सकता है , घर लौट के मेरी कुँवारी ननद से खूब चुसवाना इसको "

" बाकी का चीर हरण तो कर दो " नीरा भाभी दर्शन के लिए बेताब हो रही थीं।

मैं थी नयकी भौजी , इसलिए हक़ मेरा ही था।

अपने गदराये जोबन उसकी पीठ पे रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया , "मार दिया जाय की छोड़ दिया जाय , बोला साले भडुवे क्या सलूक किया जाय."

और मेरे उँगलियों ने एक झटके में चड्ढी खिंच के नीचे।

चमेली भाभी ने उसे भी वहीँ पहुंचा दिया , जहाँ उनकी पैंट थी , छत पे।

स्प्रिंग वाले चाक़ू की तरह वो बाहर निकला , एकदम खड़ा मोटा , और पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा मैंने पहले ही खोल दिया था।

लाल , नीला, वार्निश , कालिख रंगो से पुता।

मेरा तो मन ललच रहा था अंदर लेने के लिए। मेरी रामप्यारी एकदम गीली हो गयी थी उसे देख के , लेकिन सबके सामने।

नीरा भाभी ने रवी को छेड़ा ,

" क्यों देवर जी तुम्हे ऐसा ही विदा कर दें "
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