RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
हुम तीनो मर्द बारी बारी से नहा लिये. मन तो हमारा भी कर रहा था कि नंगे ही रहे लेकिन घर मे और भी मर्द थे इस लिये हम तीनो ने कपडे पहन लिये. मां पिछले एक घंटे से ज्यादा समय से नंगी ही घूम रही थी. चेहरे को छोड कर साली का पुरा बदन रंगा हुआ था. मां ने खाना परोसा .हम सब ने जिद्द करके मां को अपने साथ ही बीठाया. हम तीनो उसकी रंगीन मस्त गदराई जवानी को देख देख कर खाना खाते रहे और मां हमें अपना चूत पुरा खोलकर दिखाती रही. खाना खाते खाते देखा कि मां बार बार अपने शरीर को खुजला रही है..कभी पेट को, कभी गालो को, कभी चुची को तो कभी चूत को... ”बहु, क्या हुआ...इतना क्यो खुजला रही हो...” दादाजी ने पूछा.
“लगता है , रंग काट रहा है..इतना देर तक रंग शरीर पर लगा रहेगा तो काटेगा ही..” दादाजी ने फिर कहा.. ”अछ्छा होगा कि तुम रंग साफ कर लो..नही तो कही कुछ दाग –उग ना रह जाये, “
दादाजी ने अपनी बहु से कहा , “ बेटी तेरी मस्त गदरायी जवानी पर कोई भी दाग अछा नही लगेगा....जा रानी तु रंग साफ कर ले...हम सब ये बरतन बासन साफ कर लेंगे...”
हम सब ने खाना खतम किया और सब बरतन उठाकर किचन मे ले गये. दादाजी ने फिर कहा, “जा बेटी रंग साफ कर ले...और ऐसा कर आंगन में ही नहा ...”
“ठीक है बाबुजी...आप जैसा बोलीये...” मां ने मेरी ओर देख और कहा ,
“चल बेटा, तीन चार बालटी पानी आंगन मे रख दे...”
मां बीच आंगन मे बैठ् गयी और मै फटा फट चार बालटी पानी लाकर मां के पास रख दिया. मां ने नहाना शुरु किया और अपने बॉडी पर साबुन रगड रगड कर नहाने लगी..लेकिन बल्लु का रंग बहुत पक्का था.
“लगता है, मै ये सब रंग साफ नही कर पाउंगी ...आप लोग भी मुझे साफ करो. “ मां ने कहा . हम तीनो तो इसी इंतजार मे थे. हम अपने कपडे उतारने लगे तो मां ने मना कर दिया और कहा,
“अगर आप लोग नंगे होईयेगा तो मै सारे कपडे पहन लुंगी.” वो खडी हो गयी और अपनी चूत को ढंक लिया.
“ठीक है रानी, हम नंगे नही होगे.. तुम ही अपना जवानी हमें दीखाती रहो.. “ दादाजी ने कहा. वो मां के सामने गये और एक साबुन हाथ मे लेकर दोनो हाथो से मां की पीठ और चुत्तर पर रगडने लगे. मां खडी थी और दादाजी आराम से नंगे शरीर पर साबुन लगा रहे थे और पानी भी डाल रहे थे.
“तुम दोनो क्या देख रहे हो? तुम लोग भी लगाओगे तो जल्दी साफ हो जायेगा..” मां ने हमारी ओर देखते हुये कहा. मैने और बाबुजी ने दादाजी कि तरह सिर्फ जांघिया पहन कर मां के पास गये और मै मा की चूत और जांघ पर साबुन लगाने लगा और बाबुजी ने चुची को साफ करना शुरु किया. करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक हम तीनो मां की एक एक माल को रगडते रहे और आखिरकार मां बिल्कुल साफ हो गयी. पहले की तरह उनका अंग अंग चमकने लगा . हम तीनो ने साबुन लगाते लगाते और पानी से साफ करते करते कई बार बूर और गांड मे अंगुली पेल कर मां की जमकर चुदाई की. मां भी इतनी गरम हो गयी थी की हम तीनो उसको रगड रहे थे और वो रंडी सिसकारती मारती हुई मजा ले रही थी. अपने को समभालने के बहाने उस कुतिया ने कई बार जांघिया के उपर से हमारा लौडा सहलाया. हम तीनो का लौडा जांघिया को फाड कर निकलने को तैयार था
नहाने के बाद मां और भी हसीन और मालदार लग रही थी. मेरा तो मन कर रहा था कि साली रंडी को वही बाबुजी और दादा के सामने पटक कर चोद दालुं. शायद दादा भी यही चाह रहे थे तभी वो बहुत प्यार और आराम से अपनी बहु के सुडौल बदन को तौलियी से पोंछ रहे थे. पोंछते पोंछते दादा ने कहा ,
“बेटी, तेरी प्यारी सी चूत इन झांटों ने ढक कर रख्खी है.. कुछ भी नही दीखता है.. तेरा घरवाला कुछ बोलता नही.....मैने तो तेरी सास ( दादीजी) को कभी भी झांट बढाने नही दिया और दादाजी ने मां के पैंरो के पास बैठ कर चूत को चूमा और दोनो हाथो से झांट अलग कर बूर की फांक को फैलाया कहा, .
“ कितना प्यारा माल है...चुमने और चाट्ने का मन करता है... लेकिन इन झांटो के बीच बूर चुसने और चाट्ने मे मजा नही आयेगा. “
दादा ने फिर बूर को फैलाया और अन्दर के गुलाबी माल को चुमा. दादा खडे हो गये और मां के दोनो गालो को अपने हाथों मे दबाया और खुब प्यार से चुची मसल मसल कर चुमा. मां को सहलाते हुये दादा ने कहा ,
“लगता है तेरा घरवाला कभी तेरी चूत को चुसता नही है... तो फिर तुम्हे चूत का मजा तो अभी तक मिला ही नही होगा...रानी चुदाई से ज्यादा मजा चूत चटवाने मे आता है... चूत साफ कर ले फिर तुझे ऐसा मजा दुंगा कि बूर चाटने के लीये लोगों से खुशामद करती रहेगी.”
दादा ने मां को फिर से चुमा और अलग हट गये. मां हम लोगों के सामने पैर चियार कर बैठ गयी. कुछ देर हम तीनो की तरफ देख कर कहा..
“आप लोग अपने को मर्द कहते हो ! दो घंटे से एक रंडी नंगी घर मे घुम रही है..लंड के लीये तरस रही है और तुम नामर्द लोग बस उपर उपर मजा ले रहो हो..”
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