RE: Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला
गतान्क से आगे..................
सुबह 9 बजे शार्फ़ो बाबा ने आकर हम दोनो को उठाया. मैं और वसीम साहिब नंगे ही सोगये थे. वसीम साहिब की आँख खुली तो उनका लंड भी अंगड़ाई लेकर खड़ा होगया. मैं ये देख कर मुस्कराई और मैं ने उनका लंड पकड़ लिया और बोली, वसीम साहिब आप का लंड भी आप के जागते ही खड़ा होगया है. वसीम साहिब ने मुझे लिपटा कर किस किया और बोले, मेरी जान इसे भूक लगी है और ये नाश्ता माँग रहा है. मैं हँसी और बोली, तो आप ने बिचारे को भूका क्यूँ रखा हुआ है करआईए ना इसे नाश्ता. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, अभी लो मेरी जान और ये कह कर वसीम साहिब ने मुझे झुका और अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी. मेरी चुदाई देख कर शार्फ़ो बाबा को भी जोश आगेया और उन्हो ने भी अपने कपड़े उतार दिए और वसीम साहिब के साथ मेरी चुदाई मे शामिल होगे और फिर दोनो ने आधे घंटे तक मेरी ज़बरदस्त तरीके से चुदाई करी. चुदाई के बाद शार्फ़ो बाबा तो कपड़े पहन कर चले गये जब के वसीम साहिब मुझे गौद मे उठा कर बाथरूम मे ले आए और हम दोनो ऐक साथ बाथरूम मे नहाने लगे. वसीम साहिब मुझे साबुन मल रहे थे और वसीम साहिब को मैं और फिर जब मैं ने वसीम साहिब का लंड साबुन से रगड़ा तो वो फुल अकड़ गया. लंड के अकड़ते ही वसीम साहिब ने मुझे पकड़ लिया. मैं मुस्कराई और बोली, क्या आप का अभी तक दिल नही भरा. वसीम साहिब हँसे और बोले, मेरी जान तुम चीज़ ही ऐसी हो के तुम को जितना चोदता हूँ उतनी ही चोदने की ख्वाइश बढ़ती जाती है. अपनी तारीफ सुनकर मैं मुस्करदी जब के वसीम साहिब ने अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दिया और बातरूम मे ही मेरी चुदाइ शुरू करदी. फिर जब हम दोनो नीचे उतरे तो अब्बू और अम्मी हमारा नाश्ते पर इंतेज़ार कर रहे थे. नाश्ते के दोरान अब्बू ने वसीम साहिब से पूछा, यार क्या आज भी तुम दोनो का घूमने का प्रोग्राम है. वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, हा यार अभी मैं ने पूरा हयदेराबाद कहा देखा है. अब्बू ने कहा, मगर यार तुम्हे आज का प्रोग्राम कॅन्सल कर होगा बलके 3 या 4 दिन तक तुम्हे घर मे रहना होगा. अब्बू की बात सुनकर मैं और वसीम साहिब दोनो ही चोंक गये. वसीम साहिब ने कहा, क्या मतलब मैं समझा नही? अब्बू ने कहा, यार वो आज सुबह फोन पर हमे खबर मिली है के हमारे मुल्तान मे किसी रिश्ते दार का इंतिक़ाल होगया है और मैं और तुम्हारी भाभी को मुल्तान जाना है. मैं सोनिया को नही ले जाना चाहता और मैं चाहता हूँ के जब तक हम दोनो वापिस ना आए तुम सोनिया का ख़याल रखो. अब्बू की बात सुनकर मैं और वसीम साहिब दोनो ही खुश होगये मगर हम दोनो ने अपनी खुशी को ज़ाहिर नही होने दिया. वसीम साहिब आफ़सूस से बोले, यार बोहत दुख हुआ इंतिक़ाल का सुनकर मगर तुम जल्दी आने की कोशिश करना. अब्बू ने कहा, यार मैं देखूँगा के कब तक आसकू. फिर नाश्ते के बाद अम्मी और अब्बू ने तय्यरी की और चले गये.
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