RE: Sex Chudai Kahani फस गयी रिंकी
फस गयी रिंकी -पार्ट -3
जैसा की हमेशा ही होता है ,आप चाहे जीतने भी सावधानी से कम करें काबी ना कभी पकड़े ही जाते हैं. मेरे और रिंकी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
पिछली बार मैने आपको बताया था कि किस तरह मैं रिंकी के पड़ोसिओ के गेट से चढ़ कर उनकी छत तक जाता था. एक रात जब मैं रिंकी की छत पर से वापस आ रहा था तो हमारे नेपाली गोरखा ने मुझे देख लिया. क्योंकि वो मोहल्ले के सब लोगो के बारे मैं जानता था तो उसने अंदाज़ा लगा लिया की मेरा शायद रिंकी के पड़ोसिओं की घर मैं किसी के साथ चक्कर है. गोरखा एक नया लड़का था. उमर कोई 17-18 साल होगी,इससे ज़्यादा नही. यानी मेरे से भी 3 साल छोटा. वो वैसे भी मुझे साब जी कहता था. और कभी कभी जब मैं देर रात तक जाग रहा होता था अपने कमरे मैं तो एक कप चाइ पीने आ जाता था.
उसने मुझ पर नज़र रखनी शुरू कर दी , एक रात जब मैं छत पर गया तो उसने देख लिया पर कुछ जाहिर नही किया, अपना राउंड लगा कर वापस चला गया , मैं भी निश्चित हो कर वही छत पर रिंकी के साथ काम क्रीड़ा मैं मस्त हो गया.मैं रिकी की चूत मैं लंड पेल रहा था और उसकी गान्ड मैं उंगली कर रहा था. वो भी मेरे आंडो को मसल रही थी.
गोरखा छत पर आ गया और उसने हममे पकड़ लिया पर उसने शोर न्ही मचाया. मैं और रिंकी तो डर गये पर जब हमने देखा की उसने कोई शोर नही मचाया है तो मैने उसे भगाने की कोशिश की.
मैने कहा- गोरखा तुम यहाँ क्या कर रहे हो, ये हमारा आपस का मामला है तू इसमे मत पड़ , चुप चाप चले जाओ.
गोरखा- साब जी मामला तो आपके आपस का ही है पर अगर मैं इस वखत शोर मचा दूँ तो आप की और मेडम की बोहत बदनामी होगी.
मैने कहा – अगर तुम नही गये तो तुम्हारी नौकरी तो गयी समझो, और इस सहर मैं मैं तुम्हे नौकरी भी नही मिलने दूँगा.
गोरखा – आप ठीक कहते है,आप बड़े लोग है कुछ भी कर सकते हैं , पर मुझ ग़रीब का भी तो कुछ ख़याल करो.
मैने कहा – तुम्हे क्या चाहिए. पैसे ?
गोरखा- नही साब आप लोगो की पहले ही किरपा रही है पर मेरी शादी अभी हुई थी पर घरवाली अभी नेपाल मैं ही है मुझे उसकी याद बोहत आती है.अगर मेडम कुछ मदद कर्दे तो---
मैने कहा – तू मेरी रिंकी को हाथ लगाना चाहता है. तेरा दिमाग़ तो नही फिर गया
गोरखा – देख लो साहब बस एक बार की ही तो बात है. अगले हफ्ते मेरी घरवाली आ जाएगी
मैने कहा- नही यह नही हो सकता.
गोरखा- तो मैं शोर मचाता हूँ.
रिंकी बोली – ठीक है पर मैं तुम्हारी बस मूठ ही मारूँगी. उस से ज़्यादा कुछ नही.
गुरखा- तो फिर मुझे कुछ पैसो से मदद भी कर देना.
बात तय हो गयी . रिंकी गोरखा की मूठ मारेगी और मैं गोरखा को एक हज़ार रुपये दूँगा ताकि यो अपनी घरवाली को ला सके. गोरखा किसी को कुछ नही बताएगा.
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