RE: Sex Chudai Kahani फस गयी रिंकी
मैने अपने प्लान के अनुसार ही काम करना शुरू कर दिया. जब हम मिले यानी संभोग कर रहे थे तो मैने अपने उंगली उसकी गान्ड पर उपेर से ही घुमानी शुरू कर दी. मैने उसे कुछ नही कहा ,बस अपनी उंगली से उसे उत्तेजित करता रहा. जब वो थोड़ा रिलॅक्स होने लगी तो मैने हल्का सा थूक [– स्लिवा] लगा कर अपनी उंगली उसकी गान्ड के छेद मैं दे दी, पर बस एक ही इंच . वो इस पर चूक कर बोली- यह क्या कर रहो हो ? कुछ ग़लत इरादा तो नई है.
मैने कहा नही रिंकी जान तुम बस कुछ उततेज़ना बढ़ाना चाहता था.
उसने पूछा क्या तुम कुछ कमी महसूस करते हो.
तोहमैने कहा की वैसे तो नही पर हां अब कुछ ढीला पन सा महसूस होता है.
रिंकी – यानी
मैने कहा – कि अब तुम्हारी चूत कुछ खुल सी गयी है और तुम भी रिलॅक्स हो जाती हो इसलिए . वो पहले वाला मज़ा नही आ पाता.
रिंकी – तो मैं अपनी चूत से तुम्हारे लंड को दबा के रखा करूँगी
मैने कहा – ठीक है , अगर मैं तुम्हारी गान्ड के छेद मैं उंगली कारूगा तो अपने आप ही तुम्हारी चूत टाइट हो जाएगी और कभी डीली भी नही होगी.
रिंकी ने कहा – ठीक है पर मुझे दर्द मत करना. तुम तो जानते हो की मुझे अन्नॅचुरल सेक्स ज़्यादा पसंद नही है.
मैने कहा –ठीक है. मैं ध्यान रखूँगा. और वैसे भी यह ना ही अन्नॅचुरल है और मैं सिर्फ़ अपनी उंगली का ही ईस्तमाल करूँगा.
इसके बाद तो मेरा काम जैसे आसान होता चला गया. धीरे धीरे मैं उसकी गान्ड के छेद पर अपनी उंगलिसे क्रीम या इयोडीक्स की मालिश करता . जिससे उसकी चूत भी टाइट हो जाती और उसका छेद भी खुलने लगा.
खास तोर पर जब मैं इयोडीक्स से मालिश करता तो शुरू मैं होने वाला वो ठंडा एहसास और बाद मैं जब वो सिकाई करती है तो रिंकी बस बैचैन होने लगती. उसे अब मज़ा आने लगा था..मैं भी अब धीरे धीरे पूरी अंगुली उसकी गान्ड मैं डाल कर उसे चोद्ता था . उसे अब डबल मज़े की आदत होने लगी , अगर मैं उंगली ना करता तो वो कहती की आज उतना मज़ा नही आया. मैं समझ गया की रिंकी जाल मैं फस चुकी है.
ठीक दो बिन बाद जब मैं रात को उसे चोदने गया तो मैने कहा की आज हम कुछ खास करेंगे . उसने पूछा की कैसे –
मैने कहा – की आज मैं तुम्हारी आँखो पर पट्टी बाँध दूँगा और फिर तुम आज मुझे बिना देखा ही प्यार करना.
रिंकी – ठीक है
मैने उसे कहा की जा कर फ्रिड्ज से थोड़ी बर्फ निकाल लाओ.
रिंकी गयी और बिना कुछ लिए ही वापस आ गयी. मैने पूछा तो उसने बताया की मम्मी डॅडी अभी जाग रहे है. मैने कुछ आवाज़ से सुनी
मैने पूछा – किस तरह की आवाज़
रिंकी – जैसे कोई किसी के साथ ज़बरदस्ती कर रहा हो.
मैने कहा- क्या उनके कमरे की लाइट खुली है.
रिंकी - नही. बस आवाज़ आ रही है.
मैने कहा – तुम रूको मैं देख कर आता हूँ.
मैं जान बूझ कर आंटी की रूम की तफ़ गया तो सच मई आवाज़ आ रही थी. मैने कान लगा कर सुनने का फ़ैसला किया.
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