RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
हम दोनों मा के सामने जमीन पर बैठ गये और बारी बारी से उसकी बुर चाटने लगे मंजू मेरी गोद मे बैठी थी और मेरा लंड उसकी गान्ड मे फंसा था उसे धीरे धीरे उचक कर मंजू की गान्ड चोदते हुए मैं मा की चूत के रस पर हाथ सॉफ कर रहा था
मा की चूत चाटकर उसे फिर मस्त करके चुदाई आगे शुरू हुई अब हम एक ही पलंग पर पास पास लेट कर एक दूसरे की मा की गान्ड मार रहे थे
झडने के बाद सब एक बार मूतने उठे रघू आगे चला गया मैं भी जा रहा था तो रघू बोला "रुक मुन्ना, अभी मा को जाने दे"
मा बोली "मंजू, बड़ी ज़ोर से पेशाब लगी है चल मुझे बाथरूम ले चल मुझसे चला नहीं जाएगा" वह उठी और मंजू का सहारा लेकर लंगड़ाते हुए धीरे धीरे बाथरूम की ओर निकल पडी
इतने मे रघू वापस आ गया मुझे भी ज़ोर से पेशाब लगी थी मैं बैठा बैठा कसमसा रहा था बोला "रघू, ज़ोर से लगी है, मा और मंजू बाई कब आएँगी? मैं बाहर कर आऊ?"
वह बोला "अरे उन्हें बहुत टाइम लगेगा मेरी मा तो फटाफट मूत लेती है तेरी मा को बहुत टाइम लगेगा बड़े आराम से मज़ा लेकर मूत रही होगी मालकिन तुझे लगी है राजा? आ मेरे पास, मैं करा दूं"
मैं समझा कि वह मुझे वहीं खिड़की से बाहर कराएगा पर उसने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा किया और खुद मेरे सामने नीचे बैठ गया बड़े प्यार से मेरे मुरझाए लंड को उसने चूमा और फिर मुँह मे लेकर चूसने लगा
मुझे अच्छा लग रहा था पर बहुत ज़ोर से पेशाब लगी होने से मैं तिलमिला रहा था रघू का सिर हटाने की कोशिश करने लगा "रघू दादा, छोडो मुझे मूतना है"
उसने मुझे आँख मारी और मेरा लंड चूसता ही रहा आख़िर जब मैं उसके बाल पकडकर खींचने लगा तो लंड मुँह से निकालकर बोला "अरे मूत ना मेरे राजा मेरे मुँह मे मूत"
मैं उसकी ओर देखता ही रहा गया मेरे चेहरे पर का भाव देखकर वह मुस्करा दिया "सच मे मुन्ना कब से चाहत है तेरा प्यारा कमसिन मूत पीने की अरे घबरा मत, मैं गटागट पी जाऊन्गा"
मैं फिर भी शरमा रहा था समझ मे नहीं आ रहा था क्या करूँ रघू फिर बोला "अरे बेटे, उधर तेरी मा भी मेरी मा के मुँह मे मूत रही होगी चल अब नखरा ना कर फिर सब बताता हूँ" कहकर वह फिर मेरी लंड को चूसने लगा
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