RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"मालकिन, अब आप मेरी बुर चूसो आरामा से, रस का मज़ा लो इससे दर्द कम होगा" कहकर मंजू ने मा का सिर अपनी बुर मे डाल लिया और उसे चिपटाकर आगे पीछे होती हुई मा के मुँह पर मुठ्ठ मारने लगी
रघू ने बड़े प्यार से मा के नितंब पकडकर फैलाए और अपना सुपाडा ज़ोर लगाकर अंदर डाल दिया मा का शरीर सिहर उठा और मंजू की बुर मे से ही दबी आवाज़ मे वह चिल्लाई "उईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआअ माररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर डालेगा रे रघू मुझे क्या? लंड है या सोंटा?"
रघू मा की चूत को उंगली से सहलाने लगा "बस मालकिन, अब दर्द नहीं होगा आपने खुद देखा कैसे मुन्ना ने भी आसानी से मेरा ले लिया था अब आप आराम से मेरी अम्मा की बुर चूसो, मैं बड़े प्यार से आपको अपना लौडा देता हूँ"
धीरे धीरे रघू ने अपना लंड मा के गोरे गोरे चूतडो के बीच गाढ दिया वह बहुत प्यार और सावधानी से यह कर रहा था मेरी मारते हुए भी उसने इतनी सावधानी नहीं बरती थी जितनी वह मा की गान्ड मे लंड घुसाते समय बरत रहा था मा ज़रा भी कसमसाती तो वह रुक जाता
पूरा लौडा घुसा कर वह रुका और फिर उसे धीरे धीरे मुठियाने लगा "दर्द तो नहीं हो रहा मालकिन" रघू के पूछने पर मा कुछ नहीं बोली, मंजू की बुर चूसती रही अब वह अपने आप अपने चूतड उछालने की कोशिश कर रही थी मंजू मुस्कराकर बोली "अरे देखता नहीं कैसे मस्त हो गयी है ये रंडी? अब मार आराम से, साली खूब मराएगी अब देखना फालतू नखरा कर रही थी एक बार चस्का लग गया, मुन्ना, तू देखना अब गान्ड मराना ज़्यादा पसंद करेगी तेरी अम्मा"
रघू तुरंत मा पर चढ गया और उसपर लेट कर घचाघाच मा की गान्ड मारने लगा उसके लंबे तगडे लंड के गुदा मे अंदर बाहर होते ही मा फिर कसमसा उठी पर मंजू ने उसका मुँह अपनी चूत पर दबा कर रखा कि वह कुछ बोल ना पाए मुझे बोली "मुन्ना, ज़रा अपनी मा की चूत मे उंगली कर बेटे उसका दाना रगड जैसा मैने सिखाया था अभी और मस्त हो जाएगी"
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