RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैने जीभ निकाली और मा की चूत चाटने लगा क्या स्वादिष्ट महकता शहद था! मैं भाव विभोर होकर लपालप उसे चाटने लगा अम्माने सिहरकर मेरा सिर पकड़ लिया और प्यार से बालों मे उंगली चलाते हुए बोली "मेरे बेटे, मेरे लाल, सच बता कैसा लगा तुझे मेरी चूत का रस?"
मैं चाटना बंद करके बोला "अम्मा, बहुत अच्छा है मा, बेजोड है रोज चाटने दोगी ना प्लीज़? अकेले मे भी?"
"जब जी चाहे चाट लेना अनिल बेटे, तुझे तो मैं दिन भर चुसवाऊ अपनी बुर मेरे बच्चे, मेरे लाल" मा भाव विभोर होकर बोली
मैने अब मा की बुर के पपोटे मुँह मे लिए और आम की तरह चूसने लगा फिर जीभ अंदर डाल दी मा ने कसमसा कर मेरा सिर अपनी बुर मे दबा लिया और अपनी जांघें मेरे सिर के इर्द गिर्द जकडकर आगे पीछे होती हुई मुठ्ठ मारने लगी "मंजू, तूने तो जादू कर दिया क्या मस्त ट्रेनिंग दी है मेरे बच्चे को! कैसा चूसता है देख!"
मंजू भी खडी खडी रघू को अपनी बुर चुसवाने लगी रघू के सिर को टाँगों मे जकडकर धक्के मारते हुए बोली "मालकिन क्या मज़ा आता है अपने बच्चोंको अपना रस पिला कर, है ना? लगता है एक बड़ी ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे हैं देखो बदमाश कैसे चूस रहे हैं जैसे मिठाई हो! मा की चूत के दीवाने हैं दोनों"
जब मैने मा के अंगूर से लाल लाल सूजे दाने को जीभ से रगडना शुरू किया तो मा दो तीन धक्के देकर एक चीख के साथ झड गयी चूत मे से रस का झरना उबल कर बाहर आ गया मन भर कर मैने उसकी चूत चुसी मैं शायद उठता ही नहीं पर मंजू ने मुझे पकडकर उठा लिया
रघूने मा की कमर पकडकर उसे पलंग पर ओँधा पटक दिया और गिडगिडाकर बोला "अब आज गान्ड मरवा ही लो मालकिन अपने गुलाम पर मेहरबान हो जाओ" और मा के चूतडो पर झुक कर उन्हें दबाता हुआ बेतहाशा चूमने लगा उसका तन्नाया लौडा मा की जांघों को रगड रहा था
मेरी मा के गोल मटोल गोरे नितंब देखकर मैं और मस्ती मे आ गया लग रहा था कि अभी चढ जाऊ और मा की गान्ड मार लूँ मैं सोच ही रहा था कि क्या करूँ इतने मे मन्जुबाई ने मुझे पकडकर मेरा सिर अपनी बुर मे डाल लिया "आ मुन्ना, तू मेरी चूत चूस ले तेरी मा तो अब नखरे करेगी साली डरती है गान्ड मरवाने से"
मा हँसते हुए रघू को दूर करते हुए पलटी और उसका सिर अपनी बुर मे डालती हुई बोली "तू मेरी चूत चूस और फिर बाजू हट मैं मुन्ना से चुदवाऊन्गि आज, फिर तू मुझे चोद डालना बड़ा आया गान्ड मारने वाला!"
"फालतू डरती हो आप मालकिन इत्ता सा ये नाज़ुक बेटा आपका, उसने भी रघू से मरवा ली, और तो और कल रात भर मरवाता रहा देखो ज़रा भी डरता है क्या रघू से, कैसे मस्त है देखो ज़रा" मंजू ने मा को समझाया
मा फिर भी नहीं मानी नखरे करती रही आख़िर मैने भी मा से प्रार्थना की "अम्मा, मरवा लो ना, रघू बहुत प्यार से लेता है, बिलकुल धीरे धीरे, ज़्यादा नहीं दुखेगा"
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