RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
रघू उंगली से मख्खन चुपडता हुआ बोला "घबरा मत मुन्ना, प्यार से मारूँगा, धीरे धीरे आराम से तेरी गान्ड मे लंड दूँगा आख़िर अब रोज मारनी है तेरी, फाड़ दूँगा तो मुझे ही बाद मे मुश्किल होगी, मज़ा थोड़े ही आएगा फटी गान्ड मारने मे चल अब तैयार हो जा अम्मा मुन्ना को ठीक से पकड़ लो"
मंजू ने मुझे बाँहों मे जकड़ा और मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा दिया मुँह मे चूची देते हुए बोली "चूची चूसो बेटे, चिल्लाना नहीं दुखेगा पर बाद मे मज़ा आएगा और तेरी मा ने भी कहा है मंजू बाई और रघू की बात मानना नखरा करेगा तो शिकायत करा दूँगी फिर मार पड़े तो बोलना नहीं"
मैं छटपटा रहा था आँख से आँसू बहा रहे थे पर एक अजीब खुशी थी मन मे कि आख़िर मैं रघू के खूबसूरत लौडे को गान्ड मे लेने मे कामयाब हो गया था! धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ जब मेरा छटपटाना बंद हो गया तो रघू मेरी पीठ चूम कर बोला "अब धीरे धीरे लंड उतारता हूँ मुन्ना आरामा से पड़ा रहा बस गान्ड ढीली छोड़"
इंच इंच करके रघू ने लंड मेरी गान्ड मे डाला जब बहुत दर्द होने लगता तो मैं हुमक उठता और छटपटाने लगता तब रघू लंड पेलना बंद कर देता आख़िर दस मिनिट बाद रघू का पेट मेरे चूतडो पर लगा और वह मेरे उपर लेट गया "हो गया अम्मा बहुत प्यारा गान्डू बच्चा है कितने आसानी से मेरा लंड ले लिया! तू भी नखरे करती थी, इसने ज़रा भी नखरा नहीं किया"
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसीने पूरा हाथ अंदर डाल दिया हो पेट तक रघू का लौडा घुस गया था बड़ी पीडा हो रही थी मैं सिसकता हुआ पड़ा रहा रघू प्यार से मेरे बदन को सहला रहा था
पाँच मिनिट बाद दर्द कुछ कम हुआ और मुझे कुछ कुछ मज़ा आने लगा कसी हुई गान्ड मे उस लोहे जैसे लंड का दबाव बहुत मादक लग रहा था मैं अब तक चुपचाप रोता हुआ पड़ा था, अब मस्ती मे आकर मंजू की चूची चूसने लगा और उसकी बुर मे लंड मुठियाने लगा
"तवा गरम हो गया बेटे, अब पराठा सेको मुन्ना तैयार है मराने को, है ना राजा?" मंजू हँस कर बोली मैं अब सुख मे डूबा हुआ था दर्द अब भी हो रहा था पर लंड मे इतनी मीठी कसक हो रही थी कि रहा नहीं जा रहा था
"मैं कहता था ना मुन्ना मज़ा आएगा! अरे गान्ड मराने मे जो मज़ा है वो किसी मे नहीं इसलिए तो साले इतने चोदू मर्द मराते भी हैं अब तू आरामा से लेटा रहा और अम्मा की चूची चूस मैं तेरे गान्ड मारता हूँ अम्मा अपने आप चुदेगी तुझसे" कहकर रघू धीरे धीरे अपना लंड मेरी गान्ड मे अंदर बाहर करने लगा दर्द से मैं फिर बिलबिला उठा पर किसी तरह चीख मुँह मे दबाए रखी सच बात तो यह थी कि अब मैं भी मराना चाहता था, कितना भी दर्द क्यों ना हो
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