RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैं चिंहूक उठा "क्या कर रही हो बाई? दुखता है!"
"अरे एक उंगली मे तू कसमसा गया? फिर कल तेरा क्या हाल होगा लल्ला? इस गान्ड मे तो अभी क्या क्या घुसने वाला है तुझे मालूम नहीं" मंजू ने उलाहना दिया मैं डर से सकपका गया
दो मिनिट बाद मंजू ने मुझे उठने को कहा मैं उठ कर बैठ गया मंजू पलट कर ओंधी लेट गयी अपनी उंगली पर अपनी चूत का पानी लेकर वह अपनी ही गान्ड मे चुपडते हुए बोली "देख क्या रहा है? मेरी गान्ड गीली कर ऐसे ही" मैने अपनी उंगलियों मे मंजू की बुर का रस लेकर उसकी गान्ड मे चुपडना चालू कर दिया मंजू की गान्ड मस्त थी, बहुत टाइट नहीं थी फिर भी उसकी गान्ड का छल्ला मेरी उंगली को पक पक करके पकड़ रहा था
"अब चढ जा इसके पहले कि रस सुख जाए" मंजू के कहने पर मैं उसपर चढ कर अपना लंड उसकी गान्ड मे पेलने लगा सट से एक बार मे पूरा लंड अंदर हो गया मंजू ने मेरे लंड को गान्ड मे जकड लिया और मुझे बोली "अब मार राजा, जितना मन चाहे मार"
मंजू पर लेट कर मैं उसकी गान्ड मारने लगा "हाथ मेरे नीचे डाल और मेरी चूचिया दबा" मंजू बोली उसकी चूचिया दबाते दबाते मैं कस कर उसकी गान्ड चोदने लगा आराम से मेरा लंड उसकी गान्ड मे अंदर बाहर हो रहा था मंजू बीच बीच मे उसे जकड लेती थी जिससे मेरा सुख दूना हो जाता था मैं सुख से सिसक उठा
मंजू बोली "मज़ा आया ना मुन्ना? अरे अब मरवा मरवा कर ढीली हो गयी है मेरी गान्ड नहीं तो ऐसी टाइट थी कि लंड घुसता नहीं था अब तुझे असली मज़ा आएगा अपनी मा की कुँवारी गान्ड मारने मे बस तीन चार दिन रुक जा, फिर तुझे तेरी अम्मा पर चढवा देती हूँ मैं"
आख़िर मैं झडा और सुसताने लगा मंजू ने मुझे हटाकर नीचे लिटाया और मेरे उपर चढ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर देकर बैठ गयी "अब चूस राजा तुझसे मरा कर फिर बुर पासीज रही है मेरी रात भर चूस मुझे खुश किया तो फिर एक बार और मारने दूँगी अपनी गान्ड"
रात भर हमारी रति चलती रही मंजू ने मुझसे खूब चूत पूजा करवाई बीच मे थक कर मैं सो गया पर मंजू ने रात मे कई बार मुझे जगाया और बर चुसवाई आखरी बार सुबह सुबह मुझे उठा कर उसने चूत चुसवा ली और फिर इनाम मे मुझे अपनी गान्ड एक बार मारने दी उसकी गान्ड मार कर मैं जो सोया वो स्कूल जाने के समय ही उठा
जल्दी जल्दी तैयार होकर मैं रघू के साथ निकला स्कूल का समय हो गया था आज रघू बीच मे जंगल मे नहीं रुका, सीधा मुझे स्कूल ले जाने लगा उसका लंड वैसे ज़ोर से खड़ा था मुझे साइकिल के डंडे पर बैठकर अपनी पीठ पर उसका आभास हो रहा था उसे चूसने को मैं लालायित हो उठा था मैं ज़रा निराश होकर रघू से बोला "रघू दादा, आज नहीं रुकोगे जंगल मे?"
रघू मुझे छू कर बोला "नहीं मुन्ना, देर हो जाएगी, और वैसे भी आज मैं अब सीधा रात को मिलूँगा तुझसे, अपनी अम्मा के साथ तब मज़ा करेंगे मालूम है, मैं सुबह से नहीं झडा हूँ मा को भी नहीं चोदा तेरे लिए अपना लंड बचा कर रखा है"
शामा को जब मैं घर पहुँचा तो मंजू मा के कमरे से मुँह पोंछते हुए निकल रही थी शायद मा का दूध पी कर आई थी मुझे बोली "मुन्ना, बहुत दूध देती है तेरी मा, अब तीन चार दिन सिर्फ़ मैं ही पीती हूँ, मेरा पेट भर जाता है, खाना खाने की भी ज़रूरत नहीं लगती जब तू चोदने लगेगा तो मैं शर्तिया कहती हूँ, हम तीनों के लायक दूध देगी ये दुधारू गैया बेच भी सकते हैं, इतना दूध निकलेगा देखना" और हँसने लगी
सुबह से मैं झडा नहीं था मंजू को चिपट कर उसके पेट पर लंड रगडते हुए बोला "बाई, चलो, चोदेन्गे"
मंजू हँसने लगी "आज अब रात को मेरे राजा जल्दी खाना बनाती हूँ आज रघू भी रहेगा तब तक सबर कर"
बड़ी मुश्किल से ये तीन चार घंटे कटे मैं मुठ्ठ ना मारूं इसलिए मंजू ने मुझे अपने सामने ही रसोई मे बिठा कर रखा
आख़िर रात का खाना पीना समाप्त हुआ और हम मेरे कमरे मे गये रघू साथ मे मखखां का डिब्बा लेकर आया था मैं फटाफट नंगा हो गया मंजू कपड़े उतारते हुए हँस कर बोली "देखा बेटे, मुन्ना कैसा मस्त है! दो दिन मे कैसा चोदू हो गया है देख"
रघू ने भी अब तक अपने कपड़े उतार दिए थे मुझे गोद मे लेता हुआ बोला "आज इसे चोदू के साथ गान्डू भी बना देंगे अम्मा" उसके सजीले गठीले शरीर ने मेरे उपर जादू सा कर दिया मैं खुशी खुशी उसकी गोद मे बैठ गया
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